अस्पताल का गंदा पानी ट्रीटमेंट के बाद नाली में, पंडरी में ईटीपी का 1 नवम्बर को ट्रायल
अस्पताल का गंदा पानी ट्रीटमेंट के बाद नाली में, पंडरी में ईटीपी का 1 नवम्बर को ट्रायल

रायपुर । शहर के अस्पतालों से हर दिन निकलने वाला गंदा और केमिकल वाला पानी सीधे नाली में नहीं बहाया जाएगा। पानी को अस्पताल के भीतर ट्रीटमेंट प्लांट में सभी तरह के केमिकल से मुक्त किया जाएगा। ये पानी पेड़-पौधों और सड़क की सफाई के उपयोग के लायक हो जाएगा। ट्रीटमेंट के बाद ही इसे नाली में छोड़ा जाएगा। इससे नाले के पानी में केमिकल वाला गंदा पानी नहीं घुलेगा। जिला अस्पताल में ईटीपी यानी एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार हो गया है। सोमवार को इस प्लांट का पहला ट्रायल किया जाएगा। प्लांट शुरू होने के बाद पंडरी अस्पताल के आस-पास से गुजरने वाले नाले का पानी अस्पताल के संक्रमण से मुक्त हो जाएगा। पंडरी के बाद इसे डीकेएस सहित शहर के सभी सरकारी अस्पताल में लगाया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के अनुसार अस्पताल से रोज लिक्विड वेस्ट के रूप में कई तरह की गंदगी निकलती है।

इसमें सर्जरी के दौरान निकलने वाला रक्त, लिक्विड गंदगी और दवाओं के केमिकल भी शामिल रहते हैं। ये गंदा पानी सीधे नाली में बहाए जाने से आसपास की आबादी में संक्रमण फैलने का सबसे अधिक खतरा होता है। कोरोना के दौरान भी कोविड मरीजों के द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे टॉयलेट और दूसरे यूज के पानी को भी सीधे नाली में बहाने से पहले अस्थायी रूप से ब्लीचिंग पाउडर के जरिए ट्रीट किया जाता है। आबादी में संक्रमण फैलने के खतरे को देखते हुए केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने सभी सौ बिस्तर से अधिक वाले अस्पतालों और क्लिनिक में ईटीपी लगाना अब अनिवार्य कर दिया है। उसी के बाद पंडरी जिला अस्पताल में एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा था।

पंडरी जिला अस्पताल परिसर के मुख्य अस्पताल और कोविड वार्ड के बीच इस प्लांट को नाले के ऊपर बनाया गया है। ताकि ट्रीट होने के बाद पानी सीधे नाले में बह जाए। यही नहीं अस्पताल का गंदा पानी पहले प्लांट में जाएगा जहां दो चैंबर बनाए गए हैं। इस प्लांट की क्षमता करीब 25 केएलडी यानी एक बार में ये 25 हजार से अधिक लीटर गंदा पानी ट्रीट करेगा। प्लांट में दो चैंबर इन और आउट मोड पर लगाए गए हैं। इसमें इन चैंबर में पहले गंदा पानी आएगा जो कि कैमिकल के जरिए साफ करके आउट चैंबर से नाली में जाएगा। ट्रायल के जरिए इस पूरे प्लांट का इस सोमवार को परीक्षण किया जाएगा। ट्रायल के दौरान ये देखा जाएगा कि वहां पानी कितना साफ हो रहा है इसकी जांच भी केमिकल और टेस्ट किट के जरिए करके देखी जाएगी। पानी कितना शुद्ध हो रहा उसके बाद ही इस प्लांट को ओके किया जाएगा।

अस्पताल में इलाज, ऑपरेशन और मरीजों के जरिए इस्तेमाल के बाद निकलने वाले गंदे पानी से संक्रमण फैलाव का खतरा होता है। खासतौर पर उन इलाकों में सबसे ज्यादा रहता है जहां सीवरेज की लाइन और पीने के पानी की लाइन अस्पताल से बहने वाले पानी के काफी करीब से गुजरती है। कई बार पीने के पानी की लाइन में लीकेज आ जाने से नाली का पानी भी चला जाता है। रायपुर में कई बार इस तरह से पीलिया का रोग भी फैल जाता है। यही नहीं, अस्पताल के वेस्ट वाटर से त्वचा के रोग भी फैलने का खतरा बना रहता है। कुछ गंभीर और घातक बीमारी भी फैल सकती है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों के अनुसार ईटीपी लग जाने के बाद पंडरी अस्पताल के आसपास रहने वाली 50 हजार से अधिक आबादी और घर सुरक्षित होंगे। ट्रीटमेंट प्लांट से साफ पानी का उपयोग अस्पताल के पेड़-पौधों में किया जाएगा।

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