उत्तर बस्तर कांकेर :  ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी साबित हो रही गोधन न्याय योजना
 उत्तर बस्तर कांकेर : ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी साबित हो रही गोधन न्याय योजना
  • गौठान समिति एवं समूह की महिलाओं ने बेचें दो करोड़ सत्रह लाख रूपये के वर्मी कम्पोस्ट
  • जिले के किसान रासायनिक उर्वरको के साथ कर रहे वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट का भी उपयोग  

छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी के तहत गोठानों की गतिविधियों में विस्तार करते हुए गोधन न्याय योजना से बने गौठानों में पशुपालकों और गोबर विक्रेताओं से गोबर क्रय किया जा रहा है। इसके कारण गांव, गरीब एवं किसानों को आर्थिक सहायता के साथ-साथ गौ संरक्षण में लाभ मिल रहा है। फसलों के अकस्मात चराई से भी निजात मिल रही है। छत्तीसगढ़ शासन की इस योजना से गौपालक प्रोत्साहित हो रहे हैं। गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में निर्मित वर्मी एवं सुपर कम्पोस्ट खाद की शासन की ओर से निर्धारित विक्रय दर खुले बाजार की अपेक्षा कम है। इससे कम कीमत पर उच्च गुणवत्ता युक्त खाद किसानों के लिए उपलब्ध है।

किसान निश्चिंत होकर गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट खाद व सुपर कम्पोस्ट खाद क्रय कर खेतों में उपयोग कर सकते हैं। शासन की ओर से संचालित लैब में गुणवत्ता परीक्षण किए जाने के बाद ही गौठानों से पैकिंग कर सहकारी समितियों के माध्यम से खाद का विक्रय किया जा रहा है। वर्तमान में वर्मी खाद का उठाव सोसाइटी के माध्यम से परमिट में कृषकों की ओर से उठाव किया जा रहा है। जो किसान वर्मी खाद खरीदना चाहते हैं वे निकटतम सहकारी समिति या ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर प्राप्त कर सकते हैं।

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कलेक्टर श्री चंदन कुमार और जिला पंचायत सीईओ संजय कन्नौजे प्रति सप्ताह इस योजना की प्रगति की समीक्षा कर आवश्यक दिशानिर्देश और मार्गदर्शन दे रहे है। उप संचालक कृषि नरेंद्र कुमार नागेश ने बताया कि गौधन न्याय योजना अंतर्गत वर्तमान में जिले के 203 गौठानों में कृषि विभाग के तकनीकी मागदर्शन में महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से उच्चगुणवत्ता युक्त 23,711 क्विंटल वर्मी खाद एवं 7,500 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन किया जा चुका है। इसमें से 19,500 क्विंटल वर्मी खाद एवं 4,500 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट खाद का क्रय जिले के 16,350 कृषकों की ओर से किया गया हैं। शासन की ओर से निर्धारित दर पर वर्मी कम्पोस्ट 10 रुपए प्रति किग्रा. और सुपर कम्पोस्ट 6 रुपए प्रति किग्रा. दर से सहकारी समितियों के माध्यम से विक्रय किया जा रहा है। इससे ग्रामीण क्षेत्र के सैकड़ों महिलाओं को रोजगार प्राप्त हो रहा है।  जिले में 1 लाख 14 हजार 176 क्विटल गोबर की खरीदी की गई है जिसमें 5 हजार 232 पशुपालको को 02 करोड़ 28 लाख रुपये का भुगतान सीधे हितग्राहियों के खाते में किया गया है। खरीदे गए गोबर से उच्च गुणवत्ता युक्त 30 हजार 740 क्विटल कंपोस्ट खाद का निर्माण हुआ है जिसकी बिक्री से गौठान समितियो और स्वयं सहायता समुहो को 2 करोड़ 68 लाख रुपये की आमदनी प्राप्त होगी। जिले में 02 करोड़ 17 लाख रुपये का वर्मीकम्पोस्ट का विक्रय किया जा चुका है।

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उप संचालक श्री नरेन्द्र नागेश ने बताया कि वर्मी कम्पोस्ट खाद में 1.5 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.7 प्रतिशत फास्फोरस और 0.8 प्रतिशत पोटेशियम उपलब्ध होता है। इससे भूमि की उपजाऊ क्षमता और जल संधारण की क्षमता में वृद्धि होती है। भूमि में वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करने से छोटे-छोटे केंचुओं के अण्डे भी खेतों में पहुंच जाते हैं। इससे भूमि के   प्राकृतिक रंध्रों के साथ कार्बनिक क्षमता में वृद्धि होती है। ज्यादा मात्रा में उत्पादन के साथ-साथ गुणवत्ता युक्त पैदावार प्राप्त होती है।  धान फसल में 75 प्रतिशत रासायनिक खाद के साथ 250 किग्रा. प्रति हेक्टेयर वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग करना लाभप्रद होता है। सभी किसान स्वर्णा, महामाया, एमटीय-1010, हाईब्रिड धान जैसे किस्मों के लिए 163 किलोग्राम यूरिया, 281 किलोग्राम एसएसपी एवं 50 किलोग्राम पोटाश के साथ 250 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग प्रति हेक्टेयर खेतों में कर सकते हैं। इसी प्रकार सुगंधित एवं पतला धान फसल में 98 किलोग्राम यूरिया, 234 किलोग्राम एसएसपी और 63 किलोग्राम पोटाश के साथ 250 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग प्रति हेक्टेयर खेतों में कर सकते है।

सब्जी उत्पादक किसान रासायनिक खाद के 75 प्रतिशत मात्रा के साथ 500 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट खाद का उपयोग प्रति हेक्टेयर सभी प्रकार के सब्जी फसल में कर सकते हैं। वर्मी खाद का उपयोग बोनी के समय बेसल डोज के रूप में किया जाता है। रोपा लगाने वाले किसान रोपा के समय में और रोपा के 30 दिन के बाद यूरिया के दूसरे डोज के समय में भी इसका उपयोग कर सकते हैं। उप संचालक श्री नागेश ने कहा कि  कंपोस्ट खाद के प्रयोग से न केवल रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम होगी बल्कि उच्च गुणवत्ता युक्त उत्पादन होने से उत्पाद का मूल्य भी अधिक मिलेगा। खरीफ फसल की बोनी के संबंध में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि काँकेर जिले में खरीफ की बोनी का रकबा 2 लाख 40 हजार 760 हेक्टयेर है, जिसमें से 85 हजार 862 हेक्टयेर रकबे में धान की बोनी हो चुकी है, साथ ही धान के साथ-साथ अन्य सुगंधित धान, मक्का, दलहन एवं तिलहन फसलों की बोनी का कार्य प्रगति पर है।
 

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