दंतेवाड़ा: वन अधिकार मान्यता पत्रधारी कृषक भदरू व सायबो के जीवन में आये बदलाव : वन अधिकार मान्यता पत्र प्राप्त कृषक अब अपने भूमि छीनने के भय से मुक्त होकर कर रहे उन्नत खेती
दंतेवाड़ा: वन अधिकार मान्यता पत्रधारी कृषक भदरू व सायबो के जीवन में आये बदलाव : वन अधिकार मान्यता पत्र प्राप्त कृषक अब अपने भूमि छीनने के भय से मुक्त होकर कर रहे उन्नत खेती

दंतेवाड़ा, 11 जून 2021

वन क्षेत्र में रहने वाली आदिम जातियां एवं अन्य समुदाय के लोग आजीविका एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं के लिये पूर्णतः वन भूमि व वन संसाधनों पर आश्रित है उनके अधिकारो को वन अधिकार अधिनियम 2006 के द्वारा मान्यता दी गई। इस अधिनियम के अन्तर्गत ऐसे आदिवासी व अन्य समुदाय के लोग जो 13 दिसम्बर 2005 से वन भूमि पर काबिज है व अपना जीवन निवर्हन कर रहे है उनको उस भूमि का हक उसके नाम से वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदाय कर किया जा रहा है।

जिला दक्षिण बस्तर दन्तेवाड़ा में भी वन अधिकार अधिनियम लागू है व इसका क्रियान्वयन प्राथमिकता से किया जा रहा है। जिले में कुल 9954 कृषको को उनके काबिज भूमि पर वन अधिकार मान्यता पत्र प्रदाय किया जा चुका है। वन अधिकार मान्यता पत्र प्राप्त कृषक अब अपने भूमि छीनने के भय से मुक्त होकर उन्नत खेती रहे है व अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे है। कृषको के आय में भी काफी वृद्धि हुई है व रहन-सहन में भी काफी सकरात्मक परिवर्ततन आया है। इसी संबंध मे ग्राम कासोली के कृषक जिन्हे वन अधिकार मान्यता पत्र प्राप्त है उनसे मुलाकात कर व आय व जीवन में आये बदलाव के संबंध में जानकारी ली गई।

कृषक श्री भदरू पिता सोनू जाति मुरिया को खसरा नं. 453 में 0.83 हे0 व महिला कृषक श्रीमती सायबो पिता ध्रुवा जाति मुरिया को खसरा नं 409 मे 0-96 हे0 भूमि का वन अधिकार मान्यता पत्र प्राप्त है ने बताया कि इस भूमि पर वर्षो से काबिज होकर खेती कर रहे है। चूंकि यह वन भूमि था अतः वन अधिकार अधिनियम लागू होने से पूर्व किसी प्रकार का पट्टा या अधिकार पत्र हमारे पास नही था इस कारण भूमि छीनने या बेदखल किये जाने का भय हमेशा बना रहता था। वन अधिकार अधिनियम लागू होने के पश्चात इस भूमि का हक मान्यता पत्र रूप में हमें प्राप्त हुआ व भय मुक्त होकर खेती व निवास कर रहे है। कृषक अपने खेत मे भूटटा, भिन्डी, बरबटटी व अन्य हरी सब्जी फलदार वृक्ष आम, केला, पपीता, सेवफल, चीकू, अंजीर का भी रोपण किया है।

कृषको ने बताया कि वह इस भूमि पर प्रति वर्ष दो फसल लेते है व इससे होने वाले आय से भूमि का समतलीकरण, बोर खनन व सिंचाई हेतु पम्प व पाईप लाईन स्थापना का कार्य कियां। फलदार वृक्षों को भी कृषक ने स्वयं के आय से खरीद कर रोपण किया है। भूमि समतलीकरण, सिंचाई की सुविधा होने से अब पहले की तुलना में काफी अच्छी पैदावार कर रहे है व आय में अच्छी वृद्वि हुई है। फलदार पौधे भी फलना शुरू हो गया है जिससे अतिरिक्त आय हो रहा है। श्रीमती सायबो के भूमि में उद्यान विभाग की मदद जाली बाउंड्री, हरी सब्जी हेतु ग्रीन नेट हाउस निर्माण व ड्रीप पाईप को लगाया है जिससें गर्मी के मौसम में भी हरी सब्जी का अच्छी पैदावार कर आय अर्जित कर रही है। दोनों कृषक वन अधिकार पट्टा प्राप्त करने के पश्चात बहुत खुश है व कृषि हेतु उन्नत तकनीकी का भी प्रयोग कर रहे है। जिससे इनके आय में सतत् वृद्धि हो रही है। दोनों कृषक कृषि से होने वाले आय से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे है व खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे है।