बीजापुर : अण्डा उत्पादन बना महिला सशक्तिकरण का आधार
बीजापुर : अण्डा उत्पादन बना महिला सशक्तिकरण का आधार

जिला बीजापुर एक आदिवासी बाहुल्य जिला है। जिले में वनोंपज संग्रहण, कृषि व पशुपालन ग्रामीण आबादी के आजीविका के आधार है। आदिवासी घरों में मुर्गी पालना उनकी संस्कृति का हिस्सा है। इसलिए इस क्षेत्र की महिलाएं मुर्गी पालन की बारिकियों से भली-भांति परिचित होती हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना एवं 14वें वित आयोग के अभिसरण से जनपद पंचायत उसूर की ग्राम पंचायत नुकनपाल के आश्रित ग्राम चेरामंगी में सामुहिक मुर्गी शेड निर्माण किये गए है। जिले में महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह एक सार्थक कदम  हैं।

इस शेड में ग्राम चेरामंगी की काव्या स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा अण्डा उत्पादन का कार्य किया जा रहा है। शेड में बी वी-380 प्रजाति की 128 मुगिर्यों का पालन किया जा रहा है। मुर्गी की खरीदी हेतु जिला खनिज न्यास निधि से राशि 5 लाख रूपये दिए गए हैं। पशुपालन विभाग के तकनीकी मार्गदर्शन में समूह की महिलाएं वर्तमान में दक्ष हो गई है। इसी का नतीजा है कि इस कार्य को उन्होंने अब व्यवसाय के रूप में अपनाकर लाखों की मुनाफा कमा रही है।

काव्या स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा शेड में अण्डा उत्पादन का कार्य माह जनवरी 2021 से शुरू किया गया है। समूह द्वारा अब तक 6 रूपये प्रति अण्डा की दर से कुल 22 हजार अण्डा का विक्रय  आस-पास के आंगनबाड़ी केन्द्रों व ग्रामीणों को किया गया है। इस तरह कुल समूह ने इस कार्य से 1 लाख 32 हजार का मुनाफा प्राप्त किये हैं। महिलाओं द्वारा इस गतिविधि से प्रति माह 22 हजार रूपये की कमाई की जा रही है। समूह की सचिव श्रीमती पार्वती का कहना है कि इस कार्य से हम महिलाओं को अपनी आजिविका चलाने का साधन मिल गया है। समूह को प्रति माह अच्छी कमाई हो रही है, हम महिलाएं मन लगाकर मुर्गिंयों की देखरेख करती है। सच में यह काम हम लोगों की आजीविका के लिए शासन की अच्छी पहल है।