प्रदर्शनी में विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा की जीवनशैली का जीवंत प्रदर्शन
प्रदर्शनी में विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा की जीवनशैली का जीवंत प्रदर्शन

रायपुर । राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव स्थल पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति विकास विभाग की प्रदर्शनी में विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा की जीवनशैली का जीवंत प्रदर्शन किया गया है। प्रदर्शनी के माध्यम से बैगा जनजाति की जीवनशैली के साथ ही उनके सामाजिक-आर्थिक पहलुओं को आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। प्रवेश द्वार पर सर्वप्रथम देवगुड़ी (सरई पेड़, महुआ पेड़) नागा बैगा-नागा बैगीन प्रदर्शित किया गया है। यहां बैगा जनजाति द्वारा प्रयोग में लाए जाने वाली जड़ी-बूटियां और पारंपरिक खाद्य सामग्री को भी प्रदर्शित किया गया है। 

प्रदर्शनी में बैगा जनजाति के विवाह मण्डप (मड़वा) मछली पकड़ने के लिए जाली व वस्त्र आभूषण के अलावा तुरा, दफड़ा, बांसुरी, टिडकी आदि वाद्य यंत्रों, पारंपरिक गोदना, चौपाल का जीवंत प्रदर्शन लोगों के आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। प्रदर्शनी देखने वालों को यहां चावल कूटने की पारंपरिक ढेंकी, बैगा आवास की झलक देखने को मिल रही है।  प्रदर्शनी में आदिवासी बालक आश्रम, दलदली जिला कबरीधाम का आकर्षक मॉडल प्रदर्शित किया गया है। आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा प्रकाशित जनजाति साहित्य का प्रदर्शन विभाग के स्टॉल में किया गया है। इसमें विशेष पिछड़ी जनजातियों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहलुओं को प्रदर्शित करती बुकलेट के साथ ही छत्तीसगढ़ के जनजाति एटलस को भी प्रदर्शित किया गया है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ देश का ऐसा तीसरा राज्य है जिसमें छत्तीसगढ़ की जनजाति एटलस को तैयार किया है।