मोबाइल मेडिकल यूनिट की बन गई है अस्पताल के रूप में पहचान
मोबाइल मेडिकल यूनिट की बन गई है अस्पताल के रूप में पहचान

रायपुर। गरीबों को उनके घरों के आसपास निःशुल्क इलाज देने औैर जीवन को स्वस्थ बनाने शुरू की गई मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना से बीते लगभग 11 माह में 9 लाख से अधिक लोगों का इलाज हो चुका है। योजना के अंतर्गत संचालित मोबाइल मेडिकल यूनिट गरीब बस्तियों में एक अस्पताल के रूप में पहचान बनाती जा रही है। स्लम बस्तियों में एमएमयू की बढ़ती आमद और समय पर लगने वाले कैम्प ने यहां रहने वाले गरीबों और जरूरतमंद परिवारों को अपने शरीर को स्वच्छ रखने और बीमार होने पर तुरंत इलाज कराने के लिए भी प्रेरित करने का काम किया है। पैसा नहीं होने या फिर अस्पताल दूर होने की बात सोचकर जो बीमार व्यक्ति  अस्पताल नहीं जा पाते थे। आज उन्हें अपनी गली मुहल्ले में ही डॉक्टरों की टीम के साथ मोबाइल मेडिकल यूनिट के रूप में अस्पताल मिल गया है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के दिशा-निर्देशन में और नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया के निर्देशन में 1 नवंबर 2020 को प्रदेश के 14 नगर पालिक निगमों में प्रारंभ हुई इस योजना से अभी तक 9 लाख 32 हजार से अधिक मरीजों को उपचार हो चुका है। यहां उपचार कराने वाली मीना हरपाल, सुशीला देवांगन और संगीता यादव का कहना है कि मोबाइल मेडिकल यूनिट किसी अस्पताल से कम नहीं है। इसमें डॉक्टर सहित दवाइयां, लैब जांच की व्यवस्था है। हमने कई बार बीमार होने पर एमएमयू-दाई-दीदी क्लीनिक में अपना उपचार कराया है। जब यहां आते हैं तो ऐसा लगता है कि हम अपने घर के पास ही किसी अस्पताल या क्लीनिक में आ गए हैं।   
सबसे अधिक रायपुर के लोगों का हुआ उपचार और मिली दवाइयां
1 नवम्बर 2020 को प्रदेश के 14 नगर पालिक निगम में शुरू हुई 60 मोबाइल मेडिकल यूनिट के माध्यम से अब तक लगभग 15 हजार 166 शिविर स्लम क्षेत्रों में लगाई गई है। मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत मोबाइल मेडिकल यूनिट से  9 लाख 32 हजार  253 से अधिक मरीजों का उपचार किया जा चुका है। जिसमें रायपुर में सबसे अधिक 3975 शिविर में 2 लाख 36 हजार 143 मरीज लाभान्वित हुए हैं और 213712 मरीजों को दवा का वितरण किया गया है। कोरबा में 1831 कैंप में 111803, बिलासपुर में 1063 कैंप में 82367, दुर्ग में 1061 कैंप में 66581 और राजनांदगांव में 1059 शिविर में 68133 मरीज लाभान्वित हुए हैं। इसी तरह भिलाई में 794 कैंप में 54945, रिसाली में 534 कैंप में 32860 भिलाई चरोदा में 527 कैंप में 30802, अंबिकापुर में 941 कैंप में 60654, जगदलपुर में 992 कैंप में 48969 रायगढ़ में 975 कैंप में 55021, कोरिया चिरमिरी में 433 कैंप में 19455, बीरगांव में 496 कैंप में 29049 मरीज लाभान्वित हुए हैं।
7 लाख 86 हजार 334 को दवा वितरित
मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत 11 माह में 7 लाख 86 हजार 334 मरीजों को दवाओं को वितरण किया गया है। रायपुर में सर्वाधिक 2 लाख 13 हजार 712, बिलासपुर में 78575, कोरबा में 72536, भिलाई में 51510, दुर्ग में 57447, राजनांदगांव में 65064, रायगढ़ में 53433, अंबिकापुर में 42838, बीरगांव में 23442, रिसाली में 24274, भिलाई चरोदा में 25672, चिरमिरी में 12079, जगदलपुर में 38917 मरीजों को दवाइंयों का वितरण किया गया है।
1 लाख 91 हजार 293 मरीजों का हुआ लैब टेस्ट
मोबाइल मेडिकल यूनिट के माध्यम से 15166 कैंपों में लगभग 1 लाख 91 हजार 293 मरीजों का लैब टेस्ट भी किया गया है। सबसे अधिक रायपुर नगरीय क्षेत्र के 48390 मरीजों का लैब टेस्ट हुआ। बिलासपुर में 10804, कोरबा में 19696, अंबिकापुर में 16104, दुर्ग में 11167, भिलाई में 10692 और राजनांदगांव में 14992 मरीजों का लैब टेस्ट हुआ है।
प्रति एमएमयू 61 मरीजों को मिल रहा स्वास्थ्य लाभ
मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना अंतर्गत मोबाइल मेडिकल यूनिट के माध्यम से स्लम इलाकों में शिविर लगाकर मरीजों का इलाज एवं स्वास्थ्य जांच की जाती है। शिविर में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने वाले मरीजों का औसत देखे तो प्रति एमएमयू 61 मरीजों को इसका लाभ मिल रहा है। दाई-दीदी क्लीनीक के माध्यम से प्रति एमएमयू 67 महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है।
दाई-दीदी क्लीनिक में 749 कैंपों में 50358 महिलाएं हुई लाभान्वित
मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना अंतर्गत संचालित दाई-दीदी क्लीनिक देश की ऐसी पहली योजना है जिसमें महिला चिकित्सक से लेकर अन्य सभी स्टाफ महिलाएं है। महिलाओं द्वारा महिलाओं के इलाज होने से स्लम सहित आसपास की महिलाएं बेझिझक अपना उपचार करा पाती है। दाई-दीदी क्लीनिक में 749 कैंपों में 50358 महिलाएं इससे लाभन्वित हुई है।
मोबाइल मेडिकल यूनिट की संख्या बढ़ाने के साथ बढ़ाई जाएगी उपचार सुविधा
स्लम इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए एक अस्पताल के रूप में अपनी पहचान बना चुके मोबाइल मेडिकल यूनिट की लोकप्रियता और स्वास्थ्य लाभ को देखते हुए इसके विस्तार की तैयारी पूरी कर ली गई है। इस पहल से सभी निकायों में रहने वाले जरूरमंद और गरीब परिवारों का उपचार और भी आसान हो जाएगा। वर्तमान में 14 नगर पालिक निगम क्षेत्रों में 60 मोबाइल मेडिकल यूनिट संचालित की जा रही है। पहले चरण में रायपुर में 15, कोरबा में 8, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, रायगढ़, जगदलपुर, अम्बिकापुर में 4-4, भिलाई में 3 और रिसाली, भिलाई चरोदा, धमतरी, बिरगांव, चिरमिरी में 2-2 मोबाइल मेडिकल यूनिट संचालित है। दूसरे चरण में जिलावार 155 निकायों को भी इस योजना से लाभान्वित करने और 60 नए मोबाइल मेडिकल यूनिट संचालित करने की तैयारी की गई है। योजना के तहत बलौदाबाजार भाटापारा,रायगढ़ में 4, रायपुर, कबीरधाम, राजनांदगांव, बालोद,बिलासपुर और कोरिया में 3-3 जांजगीर-चाम्पा में 6, बेमेतरा, दुर्ग, मुंगेली, बलरामपुर, सूरजपुर, जशपुर, कांकेर और दंतेवाड़ा में 2-2 ,गरियाबंद, कोरबा, गौरेला पेण्ड्रा मरवाही, सरगुजा, नारायणपुर, कोंडागांव, सुकमा सहित बीजापुर में 1-1 मोबाइल मेडिकल यूनिट का संचालन कर योजना का विस्तार किया जाएगा।
लैब टेस्ट की सुविधा भी मरीजों के लिए बनी बड़ी राहत
किसी भी बीमारी के इलाज के लिए आमतौर पर चिकित्सक खून या यूरीन सहित अन्य प्रकार की जांच कराने की सलाह देते हैं। इस प्रकार की जांच में मरीजों को पैसे खर्च करने पड़ते हैं। पैसे के अभाव में भी कुछ मरीज उपचार कराने जाने से कतराते हैं। छत्तीसगढ़ की सरकार ने इन्हीं समस्याओं को देखते हुए मोबाइल मेडिकल यूनिट में निःशुलक लैब टेस्ट की व्यवस्था भी की है। कैंप में पूरी टीम के साथ जांच की सुविधा भी उपलब्ध होती है। एमएमयू के माध्यम से 41 प्रकार के विभिन्न लैब टेस्ट किए जाते हैं। इनमें खून, मल-मूत्र, थूक, टीबी, थायराइड, मलेरिया, टाइफाइड आदि की जांच की जाती है। इसके साथ ही ब्लड-प्रेशर मापने की  मशीन, शुगर टेस्ट की मशीन, ईसीजी मशीन, आक्सीजन सिलेण्डर आदि की भी व्यवस्था है। एमएमयू में पैरासिटामाल, ब्रूफेन, मेटफार्मिन, एटेनोलोल,बी-कामप्लेक्स,आयरन,फोलिकएसिड, सिफालेक्सिन, एमोक्सिसिलिन, लिमसी, ओआरएस, टिटेनस इंजेक्शन, रैबिज इंजेक्शन आदि दो सौ प्रकार की दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।
 

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