सकारात्मक सोच से ऊर्जा, आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है: राज्यपाल सुश्री उइके
सकारात्मक सोच से ऊर्जा, आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है: राज्यपाल सुश्री उइके

रायपुर । राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके छिन्दवाड़ा में स्वर्गीय श्रीमती पुनिया बाई मेरिट छात्रवृत्ति लोक न्यास द्वारा आयोजित मेधावी छात्राओं के सम्मान समारोह में शामिल हुई। राज्यपाल ने समारोह में मेधावी छात्राओं का सम्मान किया। उन्होंने कहा कि हम जैसा सोचते हैं, वैसा बनते हैं। हम जब सकारात्मक सोचते हैं, तो हमें सकारात्मक उर्जा मिलती है। इससे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। हम अच्छा कार्य करेंगे और जीवन में आगे बढ़ेंगे, जो दूसरों की उपलब्धियों पर खुश होते हैं और सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, उन्हें हमेशा सफलता मिलती है। इस अवसर पर राज्यपाल ने सेवानिवृत्त वन अधिकारी श्री एम.आर. शिवहरे द्वारा लिखित आत्मकथा ‘‘उपलब्धियां दो जीवन की’’ का भी विमोचन किया और उन्हें शुभकामनाएं दी। राज्यपाल ने स्वर्गीय श्रीमती पुनिया बाई जी को नमन किया और कहा कि उनकी याद में यह मेरिट छात्रवृत्ति लोक न्यास की स्थापना की गई है। इस संस्था द्वारा 12वीं उत्तीर्ण जरूरतमंद छात्राओं को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे वे आगे की पढ़ाई कर सके। मैं छात्रवृत्ति लोक न्यास के अध्यक्ष श्री शिवहरे को बधाई देती हूं, जिन्होंने इस पुनीत कार्य का बीड़ा उठाया है। शिक्षा देना और शिक्षा प्राप्त करने में सहयोग करना जैसे पुण्य कार्य कोई नहीं है। शिक्षित बेटी पूरे परिवार को शिक्षित करती है। इससे समाज में जागरूकता आती है और देश, प्रगति की राह में आगे बढ़ता है।

उन्होंने कहा कि आप सभी जानते हैं कि किसी भी देश या राज्य के विकास में शिक्षा का योगदान सबसे अधिक होता है। शिक्षा की उपलब्धता और गुणवत्ता ही वहां के विकास की दिशा और दशा तय करती है। हमारे देश का भविष्य इन बच्चों के भविष्य पर ही निर्भर है और मैं समझती हंू कि आज का यह कार्यक्रम मेधावी बच्चों के रूप में राज्य के सबसे मूल्यवान मानव संसाधन को सशक्त बनाने का ही एक प्रयास है। राज्यपाल ने महापुरूषों के जीवन पर आधारित तथा प्रेरणादायी पुस्तकें पढ़ने का आग्रह करते हुए कहा कि ऐसी पुस्तकों से महापुरूषों के जीवन के संघर्ष के बारे में जानकारी मिलती है और अच्छा कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।

राज्यपाल ने कहा कि मेरा मानना है कि हर विद्यार्थी में अनंत ऊर्जा एवं असीमित संभावनाएं हैं। इसके साथ ही बच्चों में सीखने की ललक भी अधिक होती है। आवश्यकता इस बात की है कि उन संभावनाओं को मूर्त रूप देने के लिए उन्हें प्रेरणा एवं प्रोत्साहन मिले। हर बच्चे की बौद्धिक क्षमताएं अलग होती है, जिन्हें पहचानने की जरूरत है। आप में से अनेक विद्यार्थी, आने वाले समय में अच्छे डॉक्टर, इंजीनियर, प्रशासक एवं शिक्षक बनकर देश तथा प्रदेश की सेवा करेंगे। आप ने अपनी परीक्षाओं के माध्यम से अपने सामर्थ्य का परिचय दिया है और मुझे विश्वास है कि आप सभी आज के दौर की कठोर प्रतिस्पर्धा का सफलतापूर्वक सामना करेंगे। उन्होंने कहा कि आप सभी नेे कठिन परिश्रम लगन और लगातार प्रयासों से पढ़ाई कर अपनी उत्कृष्ट मेधा और अध्ययन क्षमता का परिचय दिया है। यही कारण है कि प्रावीण्य सूची में आपने अपना नाम दर्ज कराकर अपने घर-परिवार, स्कूल, गांव-शहर और राज्य का नाम गौरवान्वित किया है। मैं आप सभी को आपकी इस उपलब्धि के लिए बधाई देती हूं और आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हूं। इस अवसर पर छिन्दवाड़ा जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री बी.पी. शर्मा, मुख्य वन संरक्षक श्री के.के. भारद्वाज, वरिष्ठ अधिवक्ता श्री दौलत राम ठाकुर उपस्थित थे।