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  • मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने 39 करोड़ का प्रस्ताव पारित
  • राज्य में कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार तीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस प्रस्तावित 

 छत्तीसगढ़ राज्य में मधुमक्खी पालन को उद्योग व्यवसाय के रूप में स्थापित करने तथा इसके जरिए युवाओं, किसानों और महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए 39 करोड़ रूपए के प्रस्ताव को राज्य स्तरीय संचालन समिति ने सर्वसम्मति से पारित किया। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन के अंतर्गत यह प्रस्ताव स्वीकृति के लिए राष्ट्रीय संचालन समिति भारत सरकार को प्रेषित किया जाएगा। छत्तीसगढ़ राज्य में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने का प्रस्ताव आज कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता की अध्यक्षता में वर्चुअल रूप से आयोजित राज्य स्तरीय संचालक समिति की बैठक में उद्यानिकी विभाग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, जिला प्रशासन नारायणपुर एवं अशासकीय संस्था अहा बी किपिंग दुर्ग द्वारा प्रस्तुत किया गया था। राज्य में मधुमक्खी पालन की गतिविधियों को लाभदायक बनाने एवं इसके बेहतर संचालन के लिए तीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस रायपुर, सरगुजा एवं जगदलपुर में स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है, ताकि स्थानीय लोगों को कृषि जलवायु के अनुरूप मधुमक्खी पालन के लिए प्रशिक्षण, मार्गदर्शन, मार्केटिंग एवं अन्य आवश्यक मदद दी जा सके। 

 कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता एवं संचालन समिति के सदस्यों ने मधुमक्खी पालन के लिए प्रस्तुत प्रस्तावों पर विस्तार से चर्चा की और संबंधित संस्थाओं से इसके तहत किए गए प्रावधानों की जानकारी ली। बैठक में सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, ग्रामोद्योग, वाणिज्य एवं उद्योग, वन, आदिम जाति कल्याण एवं कृषि, संचालक बिहान परियोजना, सीईओ औषधि एवं पादप बोर्ड, संचालक अनुसंधान सेवाएं, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय सहित अन्य सदस्य एवं राज्य स्तरीय संचालन समिति के सदस्य सचिव, संचालक उद्यानिकी श्री माथेश्वरन वी. वर्चुअल रूप से शामिल हुए।

बैठक में सदस्य सचिव ने बताया कि आय और रोजगार सृजन के लिए मधुमक्खी पालन उद्योग के समग्र विकास, कृषि एवं गैर कृषि परिवारों को आजीविका सहायता प्रदान करना इसका उद्देश्य हैै। मधुमक्खी पालन के जरिए महिलाओं और युवाओं को आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी बनाने के साथ ही इसके तहत शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पाद के परीक्षण, क्वालिटी कंट्रोल के लिए राज्य एवं जिला स्तर पर, डव्लपमेंट सेंटर लैब एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। महिला समूह और कृषक उत्पादक संगठन को भी प्रशिक्षण एवं सहायता उपलब्ध करा कर मधुमक्खी पालन जोड़ा जाएगा। महिल स्व-सहायता समूहों में कम से कम 25 महिला शामिल होंगी। महिला समूहों के गठन के लिए 20 हजार रूपए तथा कार्यशील पूंजी के रूप में 50 हजार रूपए उपलब्ध कराए जाएंगे। जिला एवं क्षेत्रीय स्तर पर युवाओं, महिला स्व-सहायता समूह, किसानों एवं कृष उत्पादक संगठन के सदस्यों को प्रशिक्षण दिए जाने का प्रावधान भी किया गया है।