Infantry-Day-2015-at-Amar-Jawan-Jyoti
The Chief of Army Staff, General Dalbir Singh with the Senior Veterans, Colonels of Infantry Regiment and Infantry officers, on the occasion of Infantry Day, at Amar Jawan Jyoti, in New Delhi on October 27, 2015.
sikh regiment

प्रत्येक वर्ष 27 अक्टूबर को सशस्त्र सेना के साथ इन्फैंट्री दिवस का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है. सन 1947 में 27 अक्टूबर को भारतीय सेना के जवानों ने नार्थ – ईस्ट से आये पाकिस्तानी कबायलियों को कश्मीर से बहुत बुरी तरह खदेड़ा था.

jat sikh regiment

यह कार्यक्रम शहीद जवानों को श्रधांजलि अर्पित करने के लिए किया जाता है. सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत और अन्य सैन्य अधिकारी कार्यक्रम में शामिल होंगे साथ ही बांग्लादेश की के लिए 1971 के युद्धवीर कैप्टन वासुदेवन भास्करन, ब्रिगेडियर वी. के. बेरी ( महावीर चक्र ), हवलदार काचरू साल्वे ( वीर चक्र ) के नेतृत्व में सेवानिवृत सैनिक भाग लेंगे. कार्यक्रम के अंतिम में ऑपरेशन मेघदूत में भाग लेने वाले सैनिकों के निःस्वार्थ सेवा हेतु उनके सम्मान में सियाचिन वारियर डाक टिकिट भी जारी किया जायेगा.

Indian Army Infantry Day

27 अक्टूबर का दिन भारतीय सैनिकों के लिए बहुत ही ख़ास दिन है. देश को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली और इसके बाद भारत और पाकिस्तान दो अलग राष्ट्र बन गए. कुछ देशी रियासते ऐसे थे जो स्वतंत्र रहना चाहते थे. कश्मीर मुस्लिम बाहुल रियासत होने के कारण जिन्ना का नजर कश्मीर पर बना हुआ था. जिन्ना ने महाराजा हरिसिंह को पाकिस्तान में विलय करने हेतु प्रस्ताव भेजा जिसे राजा ने ठुकरा जिन्ना को बहुत बड़ा झटका दिया. इसके बाद पाकिस्तान षड्यंत्र पूर्वक कश्मीर को हड़पने का योजना बनाने लगा और 24 अक्टूबर 1947 को कबायली पठानों के द्वारा कश्मीर पर हमला करवा दिया.

अंततः राजा हरिसिंह को भारत के शरण में आना ही पड़ा. सरदार वल्लभ भाई पटेल ने राजा से विलय पत्र पर हस्ताक्षर करवाया और भारतीय सेना के सिख रेजिमेंट की पहली टुकड़ी को हवाई जहाज के माध्यम श्रीनगर भेज दिया. सिख रेजिमेंट कोपकिस्तानी सेना और कबायली सेना से कश्मीर को मुक्त करना था. कबायली सेना में लगभग 5000 पठान थे जिन्हें पाकिस्तानी सेना की भी समर्थन प्राप्त था. इसके बावजूद भी भारतीय सेना ने अपने पराक्रम और साहस के सामने उन्हें घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया. इस तरह 27 अक्टूबर 1947 को कश्मीर कबायलियों से मुक्त हो गया.      

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