छत्तीसगढ़: हाउसिंग बोर्ड की OTS स्कीम ने दी राहत, अब होगी प्री-बुकिंग पर ज़ोर!
छत्तीसगढ़ विधानसभा में गुरुवार को हाउसिंग बोर्ड की वन टाइम सेटलमेंट (OTS) स्कीम पर ज़ोरदार चर्चा हुई। यह चर्चा इसलिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि इससे राज्य सरकार की आवास नीतियों में आने वाले बदलावों का पता चलता है। आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी ने सदन में बताया कि कैसे राज्य में बिना मांग के बनाए गए मकानों ने सरकार को मुश्किल में डाल दिया था, और कैसे OTS स्कीम ने इस समस्या का समाधान निकाला।
OTS स्कीम: एक ज़रूरी कदम
मंत्री चौधरी ने बताया कि राज्य के कई इलाकों में बिना डिमांड के ही मकान बना दिए गए थे। इससे हाउसिंग बोर्ड को भारी नुकसान उठाना पड़ा क्योंकि इन मकानों की बिक्री नहीं हो पा रही थी। इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने OTS स्कीम लागू की। यह स्कीम बेहद कामयाब रही और इससे सरकार को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि OTS के पहले चरण में 2,506 मकानों का आबंटन हुआ, जिससे 511 करोड़ रुपये मिले, और दूसरे चरण में 995 मकानों से 147 करोड़ रुपये की आमदनी हुई।
नई नीति: प्री-बुकिंग पर ज़ोर
लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने अपनी गलतियों से सबक सीखा है। अब सरकार ने एक नई नीति बनाई है, जिसके तहत किसी भी आवास परियोजना के लिए 60% प्री-बुकिंग होना अनिवार्य होगा, तभी टेंडर जारी किए जाएंगे। यहाँ तक कि प्रोजेक्ट लॉन्च करने से पहले ही 30% प्री-बुकिंग होनी चाहिए। यह कदम बेहद सराहनीय है, क्योंकि इससे भविष्य में बिना मांग के मकान बनने से रोका जा सकेगा। यह एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे सरकार अपनी नीतियों में सुधार कर सकती है और जनता के हित में काम कर सकती है।
एक व्यक्तिगत उदाहरण के तौर पर, मेरे एक दोस्त ने भी OTS स्कीम के तहत मकान खरीदा है। उन्होंने बताया कि उन्हें यह स्कीम बेहद फायदेमंद लगी, क्योंकि उन्हें एक किफायती दाम पर अच्छा मकान मिल गया।
भविष्य की योजनाएँ
पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के सवाल के जवाब में मंत्री चौधरी ने बताया कि दीनदयाल आवास, अटल आवास, अटल विहार और सामान्य आवास योजना के तहत कुल 80,870 मकान बनाए गए थे, जिनमें से 78,503 की बिक्री हो चुकी है। अब केवल 2,367 मकान शेष हैं। यह दर्शाता है कि सरकार आवास समस्या के समाधान के लिए कितनी गंभीर है।
संक्षेप में, OTS स्कीम और नई प्री-बुकिंग नीति छत्तीसगढ़ के आवास क्षेत्र में एक नए युग का सूचक है। यह एक सबक भी है कि योजनाएँ बनाने से पहले ज़मीनी हकीकत को समझना कितना ज़रूरी है।