छत्तीसगढ़ का कोयला लेवी घोटाला: एक नया मोड़
छत्तीसगढ़ के चर्चित कोयला लेवी घोटाले में एक और दिलचस्प घटनाक्रम सामने आया है। रायपुर सेंट्रल जेल में बंद कारोबारी सूर्यकांत तिवारी, जिन पर मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, को अब दूसरी जेल में नहीं भेजा जाएगा। रायपुर स्थित ACB-EOW की विशेष अदालत ने जेल प्रशासन की स्थानांतरण याचिका को खारिज कर दिया है।
जेल प्रशासन की थी मांग
जेल प्रशासन ने 20 जुलाई 2025 को सूर्यकांत तिवारी की बैरक की अचानक जांच की थी। जांच के दौरान तिवारी ने न केवल सहयोग करने से इनकार किया, बल्कि जेल कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार भी किया। इसी वजह से जेल प्रशासन ने उन्हें दूसरी जेल में स्थानांतरित करने की मांग की थी। उनका तर्क था कि तिवारी जेल में अराजकता फैलाते हैं और प्रशासनिक कार्यों में सहयोग नहीं करते, जिससे अन्य कैदियों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। सोचिए, अगर एक कैदी नियमों का उल्लंघन करेगा तो जेल की सुरक्षा और अनुशासन कैसे बना रहेगा?
कोर्ट का फैसला: तिवारी रायपुर जेल में ही रहेंगे
लेकिन अदालत ने जेल प्रशासन की दलीलों को नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि जब तक किसी कैदी का व्यवहार जेल मैनुअल के गंभीर अपराध की श्रेणी में न आये या सुरक्षा के लिए खतरा न हो, तब तक स्थानांतरण का कोई आधार नहीं बनता। इससे साफ है कि अदालत ने सूर्यकांत तिवारी के व्यवहार को जेल नियमों के उल्लंघन के रूप में नहीं देखा। अब तिवारी को रायपुर सेंट्रल जेल में ही अपनी सजा काटनी होगी।
570 करोड़ रुपये का कोयला लेवी घोटाला
यह मामला छत्तीसगढ़ के विवादास्पद 570 करोड़ रुपये के कोयला लेवी घोटाले से जुड़ा है। इस घोटाले में राज्य के खनिज विभाग, पुलिस, परिवहन और कोयला कारोबार से जुड़े अधिकारियों और निजी कारोबारियों की मिलीभगत सामने आई थी। आरोप है कि कोयले के परिवहन पर प्रति टन 25 रुपये की अवैध वसूली की जाती थी। सूर्यकांत तिवारी को इस घोटाले का मुख्य आरोपी माना जाता है, जो कथित तौर पर एक सुव्यवस्थित नेटवर्क के माध्यम से वसूली करवाता था।
जेल में भी प्रभाव का इस्तेमाल?
जेल प्रशासन का आरोप है कि तिवारी जेल में भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल करता था। हालाँकि, कोर्ट के फैसले के बाद अब जेल प्रशासन को तिवारी की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने और सख्त अनुशासन बनाए रखने का निर्देश दिया गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या होता है।