छत्तीसगढ़: शिक्षा में क्रांति, शाला-शिक्षक युक्तियुक्तकरण नीति से बदला बच्चों का भविष्य!
छत्तीसगढ़: शिक्षा में क्रांति, शाला-शिक्षक युक्तियुक्तकरण नीति से बदला बच्चों का भविष्य!

छत्तीसगढ़: शिक्षा में क्रांति, शाला-शिक्षक युक्तियुक्तकरण नीति से बदला बच्चों का भविष्य!

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की दूरदर्शी पहल, शाला-शिक्षक युक्तियुक्तकरण नीति, ने छत्तीसगढ़ के शिक्षा क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ा है। यह नीति न केवल शिक्षकों का संतुलित वितरण सुनिश्चित करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे एक छोटा सा बदलाव, बच्चों के जीवन में एक बड़ा बदलाव ला सकता है।

शून्य शिक्षक विहीन विद्यालय: एक ऐतिहासिक उपलब्धि

कल्पना कीजिए, एक ऐसा प्रदेश जहाँ एक भी स्कूल शिक्षक के बिना नहीं है! यह सपना अब छत्तीसगढ़ की हकीकत बन गया है। युक्तियुक्तकरण से पहले, प्रदेश में 453 विद्यालय शिक्षक विहीन थे। आज, शून्य विद्यालय शिक्षक विहीन हैं! इससे ज़्यादा प्रेरणादायक और क्या हो सकता है?

इसके अलावा, 4,728 एकल-शिक्षकीय विद्यालयों में अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। इसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर दिख रहा है। नियमित कक्षाएं, बढ़ी हुई उपस्थिति, और बच्चों में पढ़ाई के प्रति बढ़ा हुआ उत्साह – ये सब इस नीति के सकारात्मक परिणाम हैं।

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ग्रामीण परिवेश में बदलाव की गूंज: उदाहरण

सरगुजा जिले के मैनपाट विकासखंड के प्राथमिक शाला बगडीहपारा में दो शिक्षकों की नियुक्ति से बच्चों की पढ़ाई में काफ़ी सुधार आया है। नवपदस्थ शिक्षक रंजीत खलखो ने बताया कि उन्हें अपनी पसंद का स्कूल चुनने का मौका मिला और उन्होंने दूरस्थ बगडीहपारा को इसलिए चुना क्योंकि वे ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षित करना अपना कर्तव्य मानते हैं। यह एक आदर्श उदाहरण है कि कैसे एक शिक्षक का समर्पण, बच्चों के भविष्य को बदल सकता है।

मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी जिले के मानपुर विकासखंड में स्थित ग्राम कमकासुर की प्राथमिक शाला, जो एक वर्ष तक शिक्षक विहीन थी, को अब एक प्रधान पाठक मिला है। यह नक्सल प्रभावित इलाका है, और इस पहल से वहाँ के बच्चों के चेहरों पर फिर से मुस्कान लौट आई है। सक्ती जिले के ग्राम भक्तूडेरा में भी एकल शिक्षक वाले स्कूल को दो शिक्षक मिलने से बच्चों की पढ़ाई में सुधार हुआ है।

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एक उज्जवल भविष्य की ओर: निष्कर्ष

राज्य सरकार की यह पहल न केवल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार कर रही है, बल्कि यह सुनिश्चित भी कर रही है कि राज्य के सबसे दूरस्थ और पिछड़े क्षेत्रों के बच्चे भी एक उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सकें। यह एक ऐसी कहानी है जो हमें आशा और प्रेरणा देती है।