बस्तर में जापानी इंसेफेलाइटिस का बढ़ता खतरा
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में मानसून की दस्तक के साथ ही संक्रामक बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। जापानी इंसेफेलाइटिस (JE) नामक बीमारी ने इस बार खास चिंता बढ़ा दी है। अब तक 19 मामले सामने आ चुके हैं और लोहांडीगुड़ा और केसलूर क्षेत्र में दो बच्चों की मौत की पुष्टि हुई है। स्वास्थ्य विभाग अंतिम रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है।
जापानी इंसेफेलाइटिस: क्या है ये खतरा?
जापानी इंसेफेलाइटिस एक वायरल बीमारी है जो कुलेक्स मच्छरों के काटने से फैलती है। ये बीमारी, खासकर बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है। मेरे एक दोस्त के बच्चे को भी पिछले साल ये बीमारी हुई थी, और उसका इलाज करवाने में हमें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इसलिए, मैं खुद इस विषय को लेकर काफी सतर्क हूँ।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुरूप साहू के अनुसार, खेत-खलिहान और जंगली इलाकों में रहने वाले लोग इस बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। उन्होंने बताया कि मच्छरदानी का इस्तेमाल, मच्छर भगाने वाली दवाओं का छिड़काव, और साफ-सफाई इस बीमारी से बचाव के सबसे कारगर उपाय हैं। डिमरापाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जापानी बुखार की जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की पहल
स्वास्थ्य विभाग की टीम संभावित इलाकों में जागरूकता अभियान चला रही है और एहतियाती कदम उठा रही है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है। बस्तर में JE के बढ़ते मामलों और बच्चों की मौतों ने सरकार और आम लोगों की चिंता बढ़ा दी है।
आप क्या कर सकते हैं?
यदि आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को JE के लक्षण जैसे बुखार, सिरदर्द, उल्टी, और चक्कर आना दिखाई दें, तो तुरंत अस्पताल जाएँ। मच्छरों से बचाव के उपायों को अपनाना बेहद ज़रूरी है। अपने घर और आसपास के इलाके को साफ रखें और मच्छरों को पनपने से रोकें। यह हम सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है कि हम इस बीमारी से खुद को और अपने परिवार को बचाएँ।