छत्तीसगढ़: सरकारी स्कूलों में शराब पीकर पहुँचे शिक्षक, क्या है शिक्षा का भविष्य?
छत्तीसगढ़: सरकारी स्कूलों में शराब पीकर पहुँचे शिक्षक, क्या है शिक्षा का भविष्य?

छत्तीसगढ़: शराब के नशे में धुत शिक्षक, बच्चों का भविष्य दांव पर!

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों द्वारा शराब पीकर आने की घटनाएँ लगातार बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में एक ऐसा ही मामला विकासखंड के दूरस्थ इलाके के प्राथमिक स्कूल बंदरचूँआ में सामने आया है।

प्रधान पाठक पर लगे गंभीर आरोप

यहाँ पदस्थ प्रधान पाठक पर आरोप है कि वे शराब के नशे में स्कूल पहुँचे। मीडिया से बातचीत में उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने थोड़ी शराब पी थी, लेकिन उनका तर्क था कि उन्होंने सिर्फ़ ‘एक पाव’ ही पी थी। सोचिये, अगर शिक्षक ही शराब के नशे में होंगे तो बच्चों की पढ़ाई और शिक्षा की गुणवत्ता पर क्या असर पड़ेगा? यह एक गंभीर चिंता का विषय है।

जातिगत तर्क और शिक्षा का स्तर

प्रधान पाठक ने यह भी कहा कि वे आदिवासी समुदाय से हैं, इसलिए उन्होंने शराब पी। हालांकि उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की, लेकिन क्या यह तर्क उनकी लापरवाही को सही ठहराता है? क्या शिक्षा का स्तर जातिगत पहचान से जुड़ा है? यह सवाल बेहद अहम है। एक शिक्षक के तौर पर उनका कर्तव्य है कि वे बच्चों को बेहतर शिक्षा दें, न कि शराब पीकर उनका भविष्य खराब करें।

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क्या है समाधान?

यह घटना एक बार फिर सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को उजागर करती है। हम सभी को यह सोचने की ज़रूरत है कि कैसे इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। क्या सिर्फ़ शिक्षकों को अपनी ज़िम्मेदारी समझाने से ही काम चल जाएगा? क्या शिक्षकों को बेहतर प्रशिक्षण और बेहतर वेतन देने से इस समस्या का समाधान निकल सकता है? क्या सरकार की तरफ़ से कड़ी कार्रवाई की ज़रूरत है? यह ऐसे सवाल हैं जिनपर हमें गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। हमें शिक्षा के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी समझते हुए एक बेहतर और उज्जवल भविष्य का निर्माण करना है। हमारे बच्चों का भविष्य दांव पर है।

यह घटना मुझे एक ऐसे शिक्षक की याद दिलाती है, जिसने अपनी मेहनत और लगन से गरीब बच्चों के जीवन में बदलाव लाया था। उनकी लगन ने मुझे प्रेरित किया है और मैं उम्मीद करती हूँ की यह घटना सभी शिक्षकों को अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक करेगी।

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