छत्तीसगढ़ में मेडिकल उपकरण घोटाले का पर्दाफाश!
ईडी ने छत्तीसगढ़ के एक बड़े मेडिकल उपकरण और री-एजेंट खरीद घोटाले में शशांक चोपड़ा और उनके सहयोगियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। 30 और 31 जुलाई को, ईडी ने रायपुर सहित कई जगहों पर 20 से ज़्यादा ठिकानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई पीएमएलए, 2002 के तहत की गई है।
40 करोड़ से ज़्यादा की संपत्ति जब्त!
इन छापेमारियों में ईडी ने 40 करोड़ रुपये से ज़्यादा की संपत्ति जब्त की है। इसमें बैंक खातों में जमा राशि, फिक्स्ड डिपॉजिट, शेयर, और वाहन शामिल हैं। ज़ब्त की गई संपत्तियों के साथ कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ और डिजिटल उपकरण भी मिले हैं। यह कार्रवाई कितनी बड़ी है, इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इतनी बड़ी रकम एक साथ जब्त होना अपने आप में चौंकाने वाला है। आप सोच सकते हैं, इतने पैसे कहाँ से आए और कैसे खर्च हुए होंगे? यह जाँच का विषय है।
घोटाले की जड़ें और ईडी की भूमिका
यह घोटाला छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) से जुड़ा हुआ है। ईओडब्ल्यू-एसीबी ने पहले ही इस मामले में 22 जनवरी को केस दर्ज कर लिया था और शशांक चोपड़ा सहित कई अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। मोक्षित कॉर्पोरेशन नाम की कंपनी से हुई कथित अनियमितताओं पर ईडी की नज़र गयी। ईडी को ईओडब्ल्यू से मिले दस्तावेज़ों में मनी लांड्रिंग के सबूत मिले थे, जिसके बाद यह बड़ी कार्रवाई की गई। यह मामला विधानसभा में भी उठा था।
घोटाले का खुलासा: आपको क्या सिखाता है?
इस मामले में सबसे चौंकाने वाली बात है कि ब्लड कलेक्शन ट्यूब की कीमत आठ रुपये से बढ़ाकर 2,352 रुपये कर दी गई और पांच लाख रुपये की मशीन 17 लाख रुपये में खरीदी गई! यह एक ऐसा उदाहरण है जो हमें सिखाता है कि सरकारी खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही कितनी ज़रूरी है। ऐसे घोटालों को रोकने के लिए हमें सभी को जागरूक और सतर्क रहने की ज़रूरत है। हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह ऐसे किसी भी अनियमितता के बारे में तुरंत अधिकारियों को सूचित करे।
यह मामला अभी भी जाँच के अधीन है और आगे क्या होता है, यह देखना बाकी है। लेकिन यह एक बात स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी और ऐसे घोटालों को उजागर करने के लिए कड़ी कार्रवाई की जाएगी।