छत्तीसगढ़ में पाठ्यपुस्तक निगम की किताबें कबाड़ में? क्या सरकार है बेखबर?
छत्तीसगढ़ में पाठ्यपुस्तक निगम की किताबें कबाड़ में? क्या सरकार है बेखबर?

रायपुर की खबरों में एक बार फिर से छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम का नाम सामने आया है, और इस बार वजह है निगम की किताबें कबाड़ में मिलना। हर साल निगम से करोड़ों के घोटाले की खबरें आती हैं, लेकिन सरकार इस समस्या का ठोस उपाय नहीं कर पा रही है।

पुस्तकों की छपाई से लेकर वितरण और स्कूलों में पढ़ाए जाने तक सब गोलमाल हो रहा है। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने बताया कि पिछले 10 सालों से वो मांग कर रहे हैं कि प्रदेश के सभी स्कूलों में कक्षा पहली से आठवीं तक सिर्फ एससीईआरटी की पाठ्य पुस्तक अनिवार्य कर दी जाए। लेकिन सरकार ने अब तक कोई सख्त आदेश जारी नहीं किया।

इसके कारण छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम की किताबें कबाड़ में मिल रही हैं। कई प्राइवेट स्कूल छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम की किताबें तो ले लेते हैं, लेकिन पढ़ाते हैं प्राइवेट प्रकाशक की किताबों से। निगम की किताबें फिर कबाड़ में बिक जाती हैं।

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दूसरी तरफ, सीबीएसई ने अपने स्कूलों के लिए शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से 9वीं से 12वीं तक के लिए एनसीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों को जरूरी कर दिया है। बोर्ड ने पहली से आठवीं तक की कक्षाओं को एनसीईआरटी की किताबों का उपयोग करने की सख्त सलाह दी है।

क्रिष्टोफर पॉल ने कहा, “बोर्ड की संबद्धता कक्षा नवमीं से मान्य होती है। पहली से आठवीं तक के स्कूल राज्य सरकार और जिला शिक्षा अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में होते हैं। राज्य को कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक सभी स्कूलों में एससीईआरटी की पाठ्य पुस्तकों को अनिवार्य कर देना चाहिए, ताकि किताबें कबाड़ में न जाएँ और बच्चों को स्कूलों में पढ़ाया जा सके।”