छत्तीसगढ़ में अमानक दवाओं का सिलसिला जारी!
छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चिंताजनक खबर सामने आई है। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) द्वारा राज्य के विभिन्न अस्पतालों में भेजी गई दवाओं की गुणवत्ता पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में, 14 जुलाई को जारी एक आदेश में प्रेडनिसोलोन नामक टैबलेट के इस्तेमाल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी गई है।
क्या है मामला?
यह पहला मामला नहीं है जब CGMSC द्वारा आपूर्ति की गई दवाओं की गुणवत्ता पर सवाल उठे हों। पिछले कुछ समय से ऐसी कई खबरें सामने आ रही हैं जिनमें अमानक दवाओं के उपयोग की बात कही गई है। इससे पहले भी कई दवाइयों पर रोक लगाई जा चुकी है। इस बार प्रेडनिसोलोन पर रोक लगाने से साफ ज़ाहिर होता है कि कॉरपोरेशन द्वारा भेजी गई इस दवा की भी गुणवत्ता संदिग्ध पाई गई है। यह चिंता का विषय है क्योंकि प्रेडनिसोलोन एक महत्वपूर्ण दवा है जिसका उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
मरीजों की सुरक्षा सबसे पहले!
यह घटना एक बार फिर से राज्य के स्वास्थ्य ढांचे में व्याप्त कमियों को उजागर करती है। मरीजों की सेहत और सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। CGMSC को चाहिए कि वो दवाओं की गुणवत्ता जांचने के लिए और कठोर कदम उठाए और सख्ती से गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली को लागू करें। यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि मरीजों को केवल मानक और सुरक्षित दवाएँ ही मिलें।
आगे क्या?
इस घटना से यह भी पता चलता है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग को इस मामले में और गंभीरता से विचार करना होगा। एक स्वतंत्र जाँच की आवश्यकता है ताकि पता चल सके कि आखिर कैसे अमानक दवाएँ राज्य के अस्पतालों तक पहुँच रही हैं। साथ ही, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दुहराई न जा सकें। यह बेहद ज़रूरी है कि हम अपने स्वास्थ्य सेवा ढांचे को मज़बूत करें और मरीजों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण देखभाल सुनिश्चित करें।
मेरा खुद का अनुभव है कि जब मेरे परिवार को मेडिकल इमरजेंसी का सामना करना पड़ा था तब हमें गुणवत्तापूर्ण दवाओं की कितनी ज़रूरत थी। इस तरह की घटनाएँ उस समय की यादें ताज़ा कर देती हैं और मुझे और भी चिंतित करती हैं।