कोरिया में धान की अफरा-तफरी का मामला सामने आया है, जिसमें एक राइस मिल संचालक के खिलाफ कलेक्टर के निर्देश पर एफआईआर दर्ज की गई है। मिल को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्ट भी कर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक, कलेक्टर चंदन त्रिपाठी के निर्देश पर एक जिला स्तरीय कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी ने चितमारपारा पटना स्थित मेसर्स मंगल राइस मिल परिसर में धान और चावल के भंडारण का भौतिक सत्यापन किया। टीम को मिल में कोई स्टॉक नहीं मिला, जबकि मिल संचालक ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में चावल जमा करने का दावा किया था।
इस मामले में मेसर्स मंगल राइस मिल की संचालिका कमला ठाकुर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। जिला खाद्य अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित, नवा रायपुर के निर्देश पर खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में भारतीय खाद्य निगम में औसत से कम चावल जमा करने वाली राइस मिलों का भौतिक सत्यापन किया जा रहा है।
जांच में पाया गया कि मेसर्स मंगल राइसमिल ने कुल 3,895 मैट्रिक टन धान उठाया था। इस धान के बदले एफसीआई/नान में केवल 28.98 मैट्रिक टन चावल जमा किया गया था। मिल में 3,852.17 मैट्रिक टन धान और 2,606.76 मैट्रिक टन चावल का स्टॉक होना चाहिए था, लेकिन जांच दल को मिल में कोई स्टॉक नहीं मिला।
जांच में पता चला कि मेसर्स मंगल राइसमिल द्वारा उठाए गए धान की अफरा-तफरी की गई है, जिसके कारण छत्तीसगढ़ कस्टम मिलिंग चावल उपार्जन आदेश 2016 और कस्टम मिलिंग नीति 2023-24 के नियमों का उल्लंघन हुआ है। इस उल्लंघन के लिए मेसर्स मंगला राइसमिल को दोषी पाया गया।
जिला विपणन अधिकारी ने मेसर्स मंगल राइस मिल की संचालिका कमला ठाकुर के विरुद्ध धान के अफरा-तफरी करने के कारण पुलिस में प्राथमिकी (एफ.आई.आर.) दर्ज कराई है। साथ ही, मिल को तीन वर्षों के लिए काली सूची में दर्ज किया गया है।
यह घटना बताती है कि धान और चावल की खरीद-बिक्री में पारदर्शिता और नियमों का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है। किसानों के हितों को संरक्षित करने और धान की अफरा-तफरी को रोकने के लिए सरकार को सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।