मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी 11 जुलाई को, विकास का नया दौर पर होगी केंद्रित
मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी 11 जुलाई को, विकास का नया दौर पर होगी केंद्रित
  • मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी का प्रसारण 11 जुलाई को, विकास का नया दौर पर होगी केंद्रित

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियोवार्ता लोकवाणी की 19 वीं कड़ी का प्रसारण 11 जुलाई रविवार को। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल लोकवाणी में इस बार विकास का नया दौर विषय पर  प्रदेशवासियों से बातचीत करेंगे। लोकवाणी का प्रसारण छत्तीसगढ़ स्थित आकाशवाणी के सभी केन्द्रों, एफ.एम. रेडियो और क्षेत्रीय समाचार चौनलों से सुबह 10.30 से 11 बजे तक होगा।

11 July 2021:

एंकर
–    सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार।
–    साथियों, आज लोकवाणी कार्यक्रम की उन्नीसवीं कड़ी का प्रसारण हो रहा है, जिसका विषय है ‘विकास का नया दौर’।
–    इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी और आप सभी श्रोताओं का हार्दिक स्वागत है।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    लोकवाणी के सुनइया सब्बो सियान मन, दाई-दीदी, भतीजा- भतीजी, अउ सब्बो-संगवारी मन ल मोर डहर ले जय जोहार।
–    मोला अब्बड़ खुसी हे के आज लोकवाणी के माध्यम ले हमर छत्तीसगढ़ राज्य के विकास के नवा दौर के चर्चा होही।
–    छत्तीसगढ़ के विकास होय एकर बड़ा सपना हे। हमर पुरखा मन के सपना हे। हमर नवा पीढ़ी के सपना हे। ये सपना म रंग भरे के मउका हमन ल मिले हे। हमन ये काम, सेवा अउ जतन के भाव के संग करत हन।
–    छत्तीसगढ़ के विकास के सही तरीका का होना चाही? एकर बर हमर सरकार जेन काम करत हे, ओमा जनता-जनार्दन के बिचार अउ सुझाव के सुवागत हे? ये सब गोठ-बात प्रजातंत्र म जरूरी हे।
–    लोकवाणी म सामिल होके, अपन बात ल रखे बर, अउ हमर गोठ-बात ल सुने बर, आप जम्मो मन ल धन्यवाद।

एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, छत्तीसगढ़ के विकास को लेकर जनता में बहुत उत्साह है। जब से आपने प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला है, तब से प्रदेश में विकास का एक नया स्वरूप नजर आ रहा है। इस संबंध में हमारे कुछ श्रोताओं की जिज्ञासाएं हैं, जिनका समाधान वे आपसे चाहते हैं।
    नमस्कार, माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं चांदनी राजवाड़े, बरखापाली, सूरजपुर से बोल रही हूं। विकास के बारे में हम विगत दो दशकों से अलग-अलग तरह की बातें सुनते रहे हैं। इतने बड़े राज्य में कुछ एक्सप्रेस हाइवे, या स्काईवाक, इक्का-दुक्का तालाबों का सौंदर्यीकरण, स्वीमिंग पूल, कुछ भव्य सरकारी दफ्तरों के निर्माण की तस्वीरें विकास के नाम पर पेश की जाती थीं। लेकिन अभी के ढाई साल में ऐसी तस्वीरें नहीं दिखाई पड़ रही हैं, बल्कि बेरोजगारी दर में कमी आर्थिक तंगी से निपटने के उपाय, कुपोषण और मलेरिया दर में कमी, जैसी बातें ज्यादा सुनने को मिल रही हैं तो यह विकास सही है या पहले वाला विकास सही था? इस संबंध में आपके क्या विचार हैं?  

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    चांदनी जी, बहुत अच्छा सवाल किया आपने। वास्तव में यह सिर्फ आपका नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ का सवाल है।
–    इसकी एक ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी है।
–    मैं अपनी बात वहां से शुरू करना चाहता हूं, जहां से हमारे पुरखों डॉ. खूबचंद बघेल, पंडित सुन्दर लाल शर्मा, बैरिस्टर छेदीलाल, मिनीमाता, चंदूलाल चंद्राकर, पवन दीवान, डॉ. टुमन लाल, बिसाहू दास महंत, डॉ. राधा बाई, बी.आर. यादव, ठाकुर प्यारे लाल सिंह जैसे अनेक हमारे नेताओं ने, समाज सुधारकों ने, राजनेताओं ने, साहित्यकारों और कलाकारों ने पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का सपना देखा था, इसके लिए संघर्ष किया था।
–    वास्तव में यह भारत के नक्शे में सिर्फ एक अलग राज्य के रूप में एक भौगोलिक क्षेत्र की मांग नहीं थी, बल्कि इसके पीछे सदियों की पीड़ा थी। उन्हें यह महसूस होता था कि कहीं न कहीं वे दबे-कुचले और शोषण की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं।
–    जिस धरती में संसाधनों की चमक हो, वहां के लोगों की आंखों में आंसू क्यों ? यह दर्द हमारे पुरखों को सताता था।
–    वास्तव में अलग छत्तीसगढ़ राज्य बनाने की मांग हमारे लिए बहुआयामी न्याय की मांग थी।
–    ये छत्तीसगढ़िया सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने की मांग थी।
–    जब बस्तर और सरगुजा के आदिवासी अंचलों में लोगों को उनकी वनोपज का सही दाम नहीं मिलता था, तो हमारा दिल दुखता था। जब कोई किसान कर्ज से लदे होने के कारण फांसी पर झूल जाता था, तब हमारी आत्मा रोती थी।
–    जब हम छत्तीसगढ़िया आकांक्षाओं की बात कहते हैं तो उसमें जाति, धर्म, समाज, वर्ग जैसी चीजों से ऊपर उठकर ऐसे विकास की बात करते हैं, जिसमें हमारी परंपराओं और संस्कृति का सम्मान हो।
–    जिसमें छत्तीसगढ़ी भाई-बहनों के श्रम और उपज के सम्मान का भाव हो।
–    छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान की बात हो।
–    आपने चमकदार निर्माण कार्यों की बात की है, तो मैं कहना चाहता हूं कि सीमेंट-कांक्रीट की चमक, हमारे लिए कोई मायने नहीं रखती, हमारे लिए तो छत्तीसगढ़िया भाई-बहनों की आंखों की चमक और चेहरे की मुस्कुराहट महत्वपूर्ण है।
–    डेढ़ दशकों में छत्तीसगढ़ के विकास के सपने का क्या हाल हुआ, यह आप सबने देखा है। इसलिए जब हमें अवसर मिला तो हमने विकास की सही अवधारणा प्रस्तुत की।
–    हम उद्योग-धंधे, व्यापार-व्यवसाय के कतई खिलाफ नहीं हैं। इनके विकास से राज्य आगे बढ़ेगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, हम इनका भरपूर विकास चाहते हैं। हर क्षेत्र में भरपूर विकास चाहते हैं। लेकिन जब सवाल जल-जंगल-जमीन और प्राकृतिक संसाधनों पर हक का आता है तो हम स्थानीय समुदाय के साथ खड़े होते हैं। क्योंकि सारे साधन जनता के हैं, इसलिए विकास में जनता की सीधी भूमिका और भागीदारी सुनिश्चित करना हमारा कर्त्तव्य है।
–    अब चाहे धान का मान रखना हो, तरह-तरह की कृषि और वन उपजों को सम्मान देना हो, यहां तक की गरीबों का आखिरी सहारा गोबर को गोधन में बदलना हो, तो निश्चित तौर पर यह हमारी प्राथमिकता है।
–    नरवा-गरवा-घुरवा-बारी को छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण विकास से, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और अस्मिता से जोड़ना हो, तो निश्चित तौर पर यह हमारी प्राथमिकता है।
–    हम छत्तीसगढ़ के बुनियादी विकास की बात करते हैं और उसी दिशा में सारे प्रयास किए गए हैं, जिसके कारण आर्थिक मंदी और कोरोना जैसे महासंकट के दौर में भी, छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था अपनी पटरी पर बनी रही।
–    जब देश और दुनिया के बाजारों में सन्नाटा था, तब छत्तीसगढ़ में ऑटो-मोबाइल से लेकर सराफा बाजार तक में उत्साह था।
–    हमारे कल-कारखाने भी चलते रहे और गौठान भी।
–    हमारा रास्ता थोड़ा लंबा जरूर है, लेकिन यह स्थायी विकास का रास्ता है, जिसे समय के थपेड़े बाधित नहीं कर सकते।
–    हमारे फैसले छत्तीसगढ़ को न सिर्फ तात्कालिक राहत देते हैं बल्कि दूरगामी महत्व के साथ, चौतरफा विकास के रास्ते खोलते हैं। इसीलिए हम कहते हैं कि हम ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ रहे हैं और ‘ये बात है अभिमान की, छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान की’।
–    मेरा मानना है कि अभी प्रदेश में ऐसे बहुत से बुनियादी काम किए जाने हैं, जिनसे हमारे प्रदेश के ग्रामीण अंचल, वन अंचल, बसाहटों, कस्बों और बहुत से शहरों में रहने वाले लोगों का जीवन आसान हो सके।
–    अच्छी सड़कों पर चलने का हक, अच्छे अस्पतालों में इलाज का हक, अच्छे स्कूलों में पढ़ने का हक, साफ पानी पीने का हक, अच्छी गुणवत्ता और उचित दर की बिजली आपूर्ति पाने का हक, अपने संसाधनों के आधार पर रोजगार का हक, अच्छी शिक्षा से अच्छी नौकरी पाने का हक, छत्तीसगढ़ में रहने वाले हर व्यक्ति को है।
–    हमारा मानना है कि छत्तीसगढ़ के हर नागरिक, हर बच्चे को ऐसी सुविधाएं मिलनी चाहिए, जिनसे वे आज सुखी जीवन जी सकंे और बेहतर भविष्य बनाने के लिए शिक्षा-कौशल तथा अवसर प्राप्त कर सकें। इसलिए हमने डेढ़ दशक की तरह लग्जरी सुविधाओं के चंद काम करने का लक्ष्य नहीं रखा है, बल्कि ऐसे सार्वजनिक निर्माण कार्यों को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा है, जो एक साथ सैकड़ों-हजारों लोगों के काम आ सकंे। यही हमारी मूल नीति है। विकास की इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।
    माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं बस्तर जिला जो ग्राम पंचायत मांेगरापाल ले अमन लहरे बोलबी आछी, जय जोहार। साहब मैं येबी समाचार पढ़ते रहती आप मन आमा के कारबोकाई स्टील से छेरीचूहीइ इस्तमाल करबो काजे बलास्तो अमचूर चू क्वालिटी इत्रो अच्छू होले की जोन अमचूर 100 रू. किलो जाते रहे, उन्हें अभी 600 रू. किलो जाथे। मैं आप मन ले ये जानबा चाहे से की आप मन बस्तर जो अधिकारी मन के ये निर्देश काय-काय निती आदेशित, उनमन आदिवासी आमचो समस्या के दूर करव, क्योंकि साहब आदिवासी मन के जोन समस्या से खुबे छोटे-छोटे रहुआ।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    भाई अमन लहरे जी, सबसे पहले तो आपको धन्यवाद आपने प्यारी बोली हल्बी में अपनी बात रखी।
–    मुझे बड़ा अच्छा लगा कि आपने अमचूर का दाम बढ़ने में स्टील चाकू के बारे में सुना और चाहते हैं कि ऐसे उपायों का लाभ आदिवासी समाज को मिले।
–    मैं बताना चाहता हूं कि आदिवासियों से जुड़ी हुई बात, कोई भी विषय, कोई भी समस्या को हम छोटा नहीं मानते और आदिवासी अंचलों में आम जनता की सहूलियत के नए-नए उपाय करने के लिए प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
–    आपने देखा होगा कि पिछले ढाई सालों में ऐसे अनेक छोटे -बड़े नवाचार हुए हैं, जिसका लाभ मिल रहा है।
–    डेनेक्स कपड़ा फैक्ट्री से लेकर वनोपज संग्रह में महिला स्व-सहायता की भूमिका, देवगुड़ी के विकास से लेकर स्थानीय उपजों के वेल्यूएडिशन तक बहुत से काम किए गए हैं।
–    मैं तो डीएमएफ के उपयोग को लेकर जब मैंने पहली बैठक में पूछा था कि इससे आदिवासी अंचलों का विकास कैसे होगा तो कोई सही जवाब नहीं मिला था और मैंने डीएमएफ के उपयोग के लिए नई गाइड लाइन बनवाई थी, जिसके कारण बस्तर में कुपोषण मुक्ति से लेकर मलेरिया उन्मूलन तक सफलता का नया कीर्तिमान रचा गया है।
–    हमारी मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना अगर 11 लाख मरीजों तक पहुंचती है, मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना और दाई-दीदी मोबाइल क्लीनिक जैसी पहल का लाभ 5 लाख लोगों को मिलता है, तो इसके पीछे आप जैसे साथियों की सोच और सहयोग है। मैं तो यह कहूंगा कि ऐसी योजनाओं की प्रेरणा स्थली भी बस्तर ही है।

एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने जो बात कही, उससे हमें अपने संविधान और लोकतंत्र की गरिमा का आभास होता है। सड़कों को लेकर जो बात आपने कही है, बिल्कुल वैसी ही चिंता हमारे एक श्रोता ने व्यक्त की है। आइए सुनते हैं उनकी आवाज।
(1)    कृष्ण कुमार साहू, मदनपुर-कवर्धा
    मदनपुर कवर्धा, कृष्ण कुमार साहू बोल रहा हूं। गांवों का विकास होना चाहिए अच्छे ढंग से। आज गांवों में सड़क की असुविधा है आने-जाने में विद्यार्थियांे को, किसानों को, राहगीरों को यह समस्या जल्द से जल्द दूर होना चाहिए, ये ज्वलंत समस्या है। इस समस्या के संबंध में माननीय मुख्यमंत्री जी से मैं बोलना चाहता हूं कि यह समस्या का निदान जल्द से जल्द करें, कहीं गड्ढे हैं, कहीं बहुत ही चलने में दूभर है, इसके लिए मैं माननीय मुख्यमंत्री जी से बारंबार करबद्ध निवेदन करता हूं कि सड़कों की जो असुविधा है, उसको सुविधा में तब्दील करने की कृपा करें।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    धन्यवाद साहू जी,
–    सोचिए कि गांव का बच्चा जब अपने घर से निकलकर स्कूल, अस्पताल या फिर शहर की तरफ आता है तो उसे जो सबसे पहली सुरक्षा चाहिए, वह उसे अच्छी सड़कों से मिलती है।
–    हमारी बेटियों और गर्भवती बहनों को घर से निकलते ही, जो पहली सुरक्षा चाहिए वो उन्हें अच्छी सड़कों से मिलती है।
–    दूध वाले, सब्जी वाले, रोजी या अन्य कामों पर जाने वाले लोग  या किसान भाई-बहन जब खाद-बीज के लिए बाहर निकलें और उन्हें अच्छी सड़क न मिले तो उनकी क्या हालत होती है?
–    कोई ग्रामीण भाई-बहन अपनी रोजी-रोटी के लिए निकलें और उन्हें अच्छी सड़क न मिले तो उनकी परेशानी का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।
–    किसी बुजुर्ग की कल्पना कीजिए, जिन्हें समतल सड़क से ज्यादा सुविधा कुछ नहीं चाहिए।
–    इसलिए हमने चार-पांच लग्जरी सड़कों की कल्पना नहीं की, बल्कि हजारों ऐसी सड़कों की कल्पना की है, जो सुविधाजनक हों।
–    आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आगामी दो वर्षों में हम 16 हजार करोड़ की लागत से हजारों सड़कें और पुल-पुलिया बना रहे हैं।
–    हमारा लक्ष्य है कि सड़कों का नेटवर्क पूरा हो। ऐसा न हो कि सड़क तो हैं, लेकिन एप्रोच नहीं, पुल-पुलिया नहीं। इसलिए हमारी परियोजनाओं में समग्रता का भाव है।
–    मैं हजारों सड़कों का उल्लेख तो नहीं कर सकता, लेकिन कुछ प्रमुख सड़कों के बारे में जरूर बताना चाहूंगा, जिससे उस अंचल के लोग समझ जाएंगे कि उनकी कितने बरसों पुरानी मांग पूरी होने वाली है।
–    ऐसी कुछ सड़कें हैं- रघुनाथपुर-लुंड्रा-धौरपुर मार्ग, अंबिकापुर- दरिमा हवाई पट्टी-मैनपाट मार्ग, कुनकुरी-तपकरा मार्ग, बतौली -बगीचा-चिंराईडांड मार्ग, चंद्रपुर-डभरा मार्ग, खरसिया- धरमजयगढ़-पत्थलगांव मार्ग, कटघोरा-हरदीबाजार- बलौदा- अकलतरा मार्ग,  मड़वा- गिरौदपुरी (बरपाली-बिरौद- महराजी) मुख्य जिला मार्ग, अमोदी-मड़वा- पवनी मार्ग/ राजिम-पोखरा मार्ग, मंदिरहसौद-चंदखुरी मार्ग/मेघा- सिंगपुर-दुगली मार्ग, दुर्ग-अंडा व उतई-पाटन-अभनपुर मार्ग, जामुल-नंदिनी अहिवारा मार्ग, जगदलपुर- बैलाडीला (गीदम-दंतेवाड़ा-किरंदुल) मार्ग। इसी तरह शबरी नदी पर केरलापाल बटनवाड़ा घाट पर बनने वाले पुल और इंद्रावती नदी पर बिन्ता-सतसपुर-धर्माबेड़ा मार्ग पर बनने वाले पुल से वहां के लोगों की जिंदगी में कितना अच्छा असर पड़ेगा, इसको सोचकर ही मैं बहुत रोमांचित हो जाता हूं।
–    इसी तरह जिलों में सड़कों के काम होंगे। ऐसी कोई सड़क नहीं बचेगी, जिसके बारे में जनता की मांग हो और वह हमारी आगामी कार्ययोजनाओं में शामिल न हो।
–    हमने विभिन्न योजनाओं की सड़कों को तत्परता से बनाते हुए अनेक कीर्तिमान भी बनाए हैं। चलिए, सिर्फ एक साल 2020-21 की बात कर लेते हैं। इसमें ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के तहत प्रदेश में 4 हजार 228 किलोमीटर सड़कें बनाई गईं। आप इतिहास निकालकर देख लीजिए, इतना काम पिछले किसी एक साल में नहीं हुआ। इसी तरह पीएमजीएसवाई सड़कों की पूर्णता का प्रतिशत 121 रहा। ‘मुख्यमंत्री ग्राम गौरवपथ योजना’ के तहत 94 किलोमीटर की 261 सड़कें बनाई, जिसमें पूर्णता का प्रतिशत 92 रहा है। ‘मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं विकास योजना’ में 387 किलोमीटर की 97 सड़कें बनाईं, जिसमें पूर्णता का प्रतिशत 85.24 रहा।
–    पूरे ढाई साल को देखें तो हमने पीएमजीएसवाई के तहत 8 हजार 545 किलोमीटर सड़कें बनाई और सड़कों का निर्माण पूर्ण करने का प्रतिशत 96.98 रहा है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
–    सीधी बात है कि हम केवल नए काम शुरू करके, शिलान्यास के पत्थर पर अपना नाम लिखवाकर अमर नहीं होना चाहते, बल्कि जो जिम्मेदारी उठाई है, उसे पूरा करते हुए, निर्मित कार्यों को आम जनता के हित में समर्पित करने पर विश्वास रखते हैं।
–    यह भी ध्यान रखना होगा, ये सारे काम कोरोना काल में हुए हैं, जब सुरक्षा उपायों से लेकर लॉकडाउन तक की चुनौतियां थीं।

एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने कहा था कि विकास का मतलब सिर्फ सड़कों का निर्माण नहीं होता, तो विकास के इस नए दौर में आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं और उन प्राथमिकताओं में स्वास्थ्य सुविधाएं कहां पर हैं? आइए सुनते हैं, इसी विषय पर एक श्रोता की आवाज।
    मैं देवराम, ग्राम-रेड़ा, जिला रायगढ़ का निवासी हूं। माननीय मुख्यमंत्री जी से लोकवाणी में चर्चा का अवसर मिलना खुशी की बात है। छत्तीसगढ़ के गांवों के मरीजों को इलाज के लिए या तो बड़े शहर जाना पड़ता था या दूसरे प्रदेश। दोनों स्थितियों में ही बहुत दिक्कतें होती थीं। आपने डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना, मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना के साथ बसाहटों तक, घरों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने का इंतजाम किया है, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। कोरोना से लड़ने के लिए आपने जिस तरह से प्रयास किए, वह हम देख रहे थे और उसी का असर है कि छत्तीसगढ़ कोरोना की दूसरी लहर से बहुत जल्दी बाहर आ गया है। हम जानना चाहते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर को लेकर छत्तीसगढ़ की क्या तैयारी है?
    नमस्कार, माननीय मुख्यमंत्री जी। मैं बृजमोहन अग्रवाल, रायपुर से बोल रहा हूं। ऐसा कहा जा रहा है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए अधिक घातक होगी तथा इस पर पुरानी दवाइयांें और उपचार का लाभ नहीं होगा। दूसरी लहर में देश में ऑक्सीजन की कमी जैसी अनेक समस्याएं आई थीं। हालांकि छत्तीसगढ़ में आपके प्रयासों से स्थिति संभल गई थी, लेकिन यदि नई लहर अधिक घातक हुई तो छत्तीसगढ़ की क्या तैयारी होगी ?

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    धन्यवाद भाई देवराम जी, बृजमोहन जी।
–    कोरोना का संक्रमण पूरी दुनिया के लिए एक नए तरह का अनुभव था। इससे निपटने में जितनी भूमिका मेडिकल साइंस की थी, उतनी ही भूमिका शासन-प्रशासन और जनता के बीच एक समझ विकसित करने की थी, जिससे कि जनता को जागरूक करते हुए कोरोना को हराया जा सके।
–    मैं कहना चाहता हूं कि ढाई साल पहले सरकार में आते ही, हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिस तरह के सुधार किए और व्यवस्थाओं को चौक-चौबंद किया, उसका बहुत लाभ कोरोना से निपटने में भी मिला है।
–    वर्ष 2018 के अंत में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 1 हजार 378 डॉक्टर काम कर रहे थे, हमने उसे बढ़ाकर 3 हजार 358 कर दिया। इसी प्रकार मेडिकल स्टाफ की संख्या भी 18 हजार से बढ़ाकर लगभग 22 हजार कर दी गई है। उस समय प्रदेश के सभी अस्पतालों को मिलाकर बिस्तरों की संख्या मात्र 15 हजार थी। हमारी उदार नीतियों से मात्र ढाई वर्ष में यह संख्या बढ़कर अब लगभग 30 हजार हो गई है।
–    कोरोना से लड़ने के लिए विशेष सुविधाओं की जरूरत पड़ी तो हमने वेंटिलेटर, आईसीयू बेड्स, एचडीयू बेड्स, ऑक्सीजनयुक्त बेड, ऑक्सीजन कान्सेंटेªटर, हर तरह के ऑक्सीजन सिलेंडर, पीएसए ऑक्सीजन प्लांट, लिक्विड ऑक्सीजन टैंक, मल्टीमॉनिटर्स जैसे आवश्यक उपकरणों को भी कई गुना बढ़ाया गया है।
–    हम कांकेर, कोरबा तथा महासमुंद में नए मेडिकल कॉलेज भी खोल रहे हैं, जिससे प्रदेश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी और जनता को इसका लाभ भी मिलेगा।
–    पिछले दो बजट में हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में सबसे अधिक बढ़ोतरी करते हुए 880 करोड़ रू. का बजट दिया। इसके अलावा राज्य आपदा राहत मद से 50 करोड़ रू. मुख्यमंत्री सहायता कोष से 80 करोड़ रू. भी दिए, जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में कुल मदद बढ़कर 1 हजार करोड़ से अधिक हो गई है।
–    सबसे पहले तो हम भगवान से प्रार्थना करेंगे कि देश व प्रदेश में तीसरी लहर का प्रकोप आने ही न पाए। मैं आप सबसे यह अपील करता हूं कि जान है तो जहान है। कोई भी विकास तभी काम आता है, जब आपकी जान बची रहे। इसलिए मास्क, हाथ की सफाई, भौतिक दूरी को अपनी जीवन शैली का अंग बना लें। कोरोना का हिसाब तो वैसा ही है कि सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।
–    जहां तक तीसरी लहर का असर बच्चों पर अधिक होने, इस बार के संक्रमण में दवाओं का असर न होने जैसी बातों का सवाल है तो मैं आपसे हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि किसी भी तरह की अफवाहों में न आएं। तबीयत बिगड़ने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें यह मान लीजिए, सही समय पर इलाज कराया जाए तो हर मर्ज का इलाज संभव है।
–    फिर भी मैं यह बता दूं कि दूसरी लहर से जैसे निपटे थे, उससे ज्यादा अच्छी तैयारी तीसरी लहर से निपटने की है।

एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, प्रदेश के सर्वांगीण विकास में आप बिजली की क्या भूमिका देखते हैं? छत्तीसगढ़ की पहचान ऊर्जा उत्पादक और ऊर्जा सरप्लस राज्य के रूप में होती थी लेकिन आम जनता के मन में यह सवाल रहता था कि इससे हमें क्या लाभ? आइए एक सवाल लेते हैं।
    जय जोहार, माननीय मुख्यमंत्री जी मैं शिमला मेरावी, ग्राम कटगो से बोल रही हूं। आप यह कहते हैं कि छत्तीसगढ़ के संसाधनों पर, जल-जंगल-जमीन पर जनता का हक है। लेकिन उसका लाभ तो ज्यादातर उद्योगपतियों को ही मिलता है। कृपया यह बताइए कि हमारे खनिज, हमारे जंगल का लाभ हमें कैसे मिलेगा और इससे हमारे विकास में क्या भूमिका होगी?

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    शिमला बिटिया, आपका सवाल जायज है।
–    हमारा मानना है कि छत्तीसगढ़ के कोयले से अगर बिजली बनती है तो उसके लाभ में सीधे हिस्सेदारी आम जनता की होनी चाहिए। यही वजह है कि हमने घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल हाफ योजना लागू की है। इस योजना के तहत प्रदेश के 39 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को विगत 27 महीने में 1 हजार 822 करोड़ रू. का लाभ दे चुके हैं। इस योजना के तहत प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता को बिना जाति-धर्म या आय के बंधन के प्रतिमाह 400 यूनिट बिजली निःशुल्क दी जा रही है।
–    इसके अलावा 5 हार्स पावर तक के सिंचाई पंप का उपयोग करने वाले लगभग 6 लाख किसानों को भी निःशुल्क बिजली दी जा रही है। बीपीएल श्रेणी के 18 लाख परिवारों को 30 यूनिट बिजली प्रतिमाह निःशुल्क दी जा रही है। हम चाहते हैं कि बिजली के उपयोग से हमारे प्रदेश की जनता, गरीबों, किसानों का आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बढ़े, इससे उनके परिवार को संबल मिले और वे विकास के हर साधन और हर रास्ते का उपयोग कर सकंे।
    नमस्कार, मुख्यमंत्री जी, मैं अपूर्वा शर्मा, रायपुर से बोल रही हूं। जब आप मुख्यमंत्री बने थे, उस समय प्रदेश में कई स्थानों पर अघोषित बिजली कटौती का दौर चल रहा था। हमें याद है कि उस समय बहुत सी कार्रवाई भी हुई थी। लेकिन क्या विद्युत विकास के भी कुछ ऐसे काम किए गए हैं, जिसके कारण प्रदेश में बिजली आपूर्ति की क्वालिटी में सुधार आया है?

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    अपूर्वा बिटिया, सही सवाल किया आपने। दिसम्बर 2018 की स्थिति में बिजली के ट्रांसमिशन, डिस्टीªब्यूशन नेटवर्क के काम अधूरे थे। बड़ी-बड़ी घोषणाएं हुई थीं, पर उन पर काम नहीं हुआ था। हमने तो तय किया कि जनता के खून-पसीने का पैसा बरबाद नहीं होने देंगे। इस तरह ठप्प पड़ी योजनाओं के 516 करोड़ रू. लागत के बड़े-बड़े काम हमने पूरे किए हैं। कुछ का उल्लेख जरूर करना चाहूंगा।
–    400/220 केवी उपकेन्द्र कुरुद, जिला धमतरी, 220/132 केवी उपकेन्द्र नारायणपुर, जिला नारायणपुर तथा ऐसे ही उपकेन्द्र  धरदेही, जिला मुंगेली तथा जगदलपुर, जिला बस्तर में बनाए गए। इसके अलावा 132/33 केवी उपकेन्द्र बीजापुर, जिला बीजापुर तथा उदयपुर, जिला सूरजपुर में बनाए गए हैं। इन 6 विद्युत उपकेन्द्रों से अब बिजली प्रदाय हो रही है।
–    इसी तरह अति उच्चदाब के 20 उपकेन्द्रों का काम भी हमने शुरू किया है, जिसकी लागत 1 हजार 200 करोड़ रू. से अधिक है। ये उपकेन्द्र धरदेही, मस्तुरी जिला बिलासपुर/पाटन, सेमरिया, लिटिया, अहिवारा, अमलेश्वर, छावनी जिला दुर्ग/दलदल सिवनी, सिलतरा, माठ खरोरा, आरंग जिला रायपुर/ खरमोरा, जिला कोरबा/ इंदामारा, खैरागढ़, जिला राजनांदगांव/इंदागांव, जिला गरियाबंद/बैजलपुर, जिला कबीरधाम/बलौदा, जिला जांजगीर चांपा/बेतर, टेमरी, जिला बेमेतरा/जनकपुर, जिला कोरिया में बनाए जा रहे हैं, जो आगामी दो साल में पूरे कर दिए जाएंगे।
–     इसी तरह बिजली की वितरण व्यवस्था में सुधार के लिए 1281 करोड़ रू. के लागत के कार्य किए जा चुके हैं तथा 211 करोड़ रू. के कार्य किए जा रहे हैं।
–     1400 करोड़ रू. से अधिक लागत से 33 केवी उपकेन्द्रों की स्थापना, ट्रांसफार्मर एवं लाइन विस्तार जैसे अनेक कार्य किए गए हैं।
–    इस तरह से हमने बिजली को जनता की ताकत बनाने में सरकार की ताकत लगाई है।
–    प्रदेश के औद्योगिक विकास का लाभ प्रदेश की जनता को दिलाने के लिए नई औद्योगिक नीति बनाई गई है, जिसके कारण प्रदेश में 47 हजार करोड़ रू. का पूंजी निवेश होगा और 67 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। अप्रत्यक्ष रूप से इसमें लाखों लोगों को लाभ मिलेगा।
–    हमने हर विकासखंड में फूडपार्क स्थापित करने की दिशा में कार्यवाही शुरू की है। 146 में से 110 विकासखंडों में भूमि चिन्हांकित हो गई है तथा 48 विकासखंडों में जमीन, उद्योग विभाग को हस्तांतरित की चुकी है।
–    सुकमा में फूडपार्क की स्थापना हेतु अधोसंरचना विकास का कार्य शुरू कर दिया गया है। दुर्ग जिले में 78 करोड़ रू. लागत की वनोपज प्रसंस्करण के लिए वृहद इकाई स्थापित करने की दिशा में भी काम शुरू हो गया है। ऐसी ही दर्जन भर अन्य इकाइयां, विभिन्न स्थानों पर लगाने के लिए निजी संस्थाओं से करार किए गए हैं।
–    आदिवासियों तथा वन आश्रित परिवारों को सीधा लाभ दिलाने के लिए हमने समर्थन मूल्य पर वनोपज खरीदी संख्या 7 से बढ़ाकर 52 की।
–    17 वनोपजों की संग्रहण मजदूरी तथा समर्थन मूल्य में वृद्धि की, जिसके कारण 13 लाख से अधिक आदिवासियों और वन आश्रित परिवारों को हर साल 502 करोड़ रू. अतिरिक्त मिलेंगे।
–    ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के तहत हर साल लगभग 5700 करोड़ रू. का भुगतान किया जा रहा है।
–    ‘गोधन न्याय योजना’ से होने वाला भुगतान भी 125 करोड़ रू. से अधिक हो चुका है।
–    इस तरह हमने प्राकृतिक संसाधनों को लोगों की आय का जरिया बनाने का बड़ा कदम उठाया है और हमारी नजर में यही सार्थक विकास है।

एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, जब बात प्राकृतिक संसाधनों से विकास की डगर बनाने की निकली है तो पानी की भी उसमें बड़ी भूमिका है। इस बारे में भी हमें कुछ सवाल मिले हैं। आइए सुनते हैं।
    मैं बिहारी राम वर्मा, सरपंच, सरोरा, रायपुर से बोल रहा हूं। छत्तीसगढ़ के मुखिया, हमर मुख्यमंत्री जी ला मोर सादर प्रणाम। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय से सुनते आए हैं कि प्रदेश में सिंचाई और पीने के लिए पर्याप्त पानी की व्यवस्था की जाएगी। आपकी सरकार आने के पहले सिंचाई की कितनी परियोजनाएं अपूर्ण थीं तथा आपने कितनी नई योजनाएं बनाईं और इस दिशा में क्या काम किया जा रहा है। कृपया इस संबंध में बताने का कष्ट करेंगे।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    बिहारी भाई, आपने आंकड़ों में सवाल पूछा है तो मैं भी आंकड़ों में जवाब दिए देता हूं।
–    17 दिसम्बर 2018 के पहले 18 हजार करोड़ रू. से अधिक लागत की 543 सिंचाई परियोजनाएं अधूरी छोड़ दी गई थीं।
–    इन परियोजनाओं के सर्वे आदि में जनता का बहुत सा पैसा लगा है। हमने मात्र दो साल में इनमें से 138 परियोजनाएं पूर्ण कर दी हैं तथा 405 का काम प्रगति पर है। इतना ही नहीं 17 दिसम्बर 2018 के बाद हमने 429 नई परियोजनाएं स्वीकृत की हैं। जिनकी लागत 1 हजार 657 करोड़ रू. है। इनमें से भी 12 योजनाएं पूर्ण कर दी गई हैं और 417 योजनाएं प्रगति के विभिन्न चरणों पर हैं। इस तरह मात्र ढाई साल में नई-पुरानी मिलाकर 150 सिंचाई परियोजनाएं हमने पूर्ण की हैं और 822 योजनाओं का काम शुरू करा दिया है, जिसे निर्धारित समय में पूरा कराने का लक्ष्य है।
–    मैं बताना चाहता हूं कि आगामी दो वर्षों में भाटापारा शाखा नहर, प्रधानपाट बैराज, खरखरा मोहदीपाट, जोंक व्यपवर्तन सिंचाई परियोजना का लाभ जनता को मिलना शुरू हो जाएगा।
–    जहां तक पेयजल का सवाल है तो हमने ‘जल-जीवन मिशन’ के माध्यम से एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है, जिसके तहत वर्ष 2023 तक प्रदेश के सभी 39 लाख ग्रामीण घरों में नल से शुद्ध जल पहुंचाया जाएगा। पहले प्रति व्यक्ति, प्रतिदिन 40 लीटर शुद्ध पेयजल प्रदाय का लक्ष्य था, जिसे अब बढ़ाकर 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कर दिया गया है। इस योजना के लिए चालू वर्ष में 850 करोड़ रू. का बजट आवंटन किया गया है।
–    पिछले महीने हमने वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से सभी जिलों में ‘जल-जीवन मिशन’ का शिलान्यास कर दिया है।
–    हमारा मानना है कि जब हर घर में नल के माध्यम से शुद्ध पानी पहुंचने लगेगा तो उससे सबसे अधिक राहत हमारी माताओं, बहनों को मिलेगी।
–    अपने घर पर लगे नल से, साफ पानी मिलना शुरू हो जाए तो यह विकास का सही मापदण्ड है।
–    मैं बताना चाहता हूं कि भारत सरकार ने जल-जीवन मिशन के तहत सभी ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से शुद्ध जल पहुंचाने के लिए वर्ष 2024 की समय सीमा तय की है। लेकिन हम छत्तीसगढ़ में यह काम एक साल पहले पूरा करना चाहते हैं ताकि इससे ग्रामीण घरों में लोगों का समय और परिश्रम बचना जल्दी शुरू हो जाए, जिससे वे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे कामों में अधिक ध्यान दे पाएं।

एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, शिक्षा की चुनौती जिस तरह पूरे देश के सामने हैं। उसी तरह से यह छत्तीसगढ़ में भी सदा से मौजूद रही है। विकास के इस नए दौर में आपने शिक्षा में सुधार के लिए क्या कदम उठाए हैं? इस संबंध में श्रोता जानना चाहते हैं।

माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    हमने सरकार में आते ही सबसे पहले शिक्षकों को सम्मान दिलाने का अभियान शुरू किया। क्योंकि जिस समाज में शिक्षक- शिक्षिकाओं का सम्मान होता है। उसी समाज में नए ज्ञान के अंकुर फूटते हैं, सबसे पहले तो अपना वादा निभाया और 26 हजार शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया, जिससे उन्हें नियमित वेतनमान, पदोन्नति, स्थानांतरण जैसी तमाम सुविधाएं मिलने लगीं। हमने छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहली बार प्रदेश में करीब 15 हजार स्थायी शिक्षकों की भर्ती करने की घोषणा की थी। प्रारंभ में यह मामला अदालती दांवपेंच में फंस गया। फिर कोरोना जैसी त्रासदी सामने आ गई। इन बाधाओं के बावजूद अभी तक प्रदेश में 2 हजार 800 व्याख्याताओं की भर्ती का काम पूरा हो चुका है। उन्होंने ज्वाइन भी कर लिया है।
10 हजार से अधिक पदों पर शिक्षकों तथा सहायक शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया पूरी हो गई है। स्कूल खुलते ही ये शिक्षक-शिक्षिकाएं बच्चों को पढ़ाने के लिए मौजूद रहेंगे।
–    अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के बच्चों को छात्रवृत्ति तथा भोजन सहाय राशि में वृद्धि की गई। देश में पहली बार शिक्षा के अधिकार के तहत 12वीं तक निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गई है।
–    ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाली बेटियों की निःशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था की गई है।
–    प्रदेश में स्कूल से ही शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना शुरू की गई है, जिसके तहत 171 शालाओं में बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है।
–    कोरोना से जिन बच्चों के पालकों का निधन हुआ है, उन बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने के लिए हमने ‘महतारी दुलार योजना’ शुरू की है, जिसके तहत सरकारी तथा निजी स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलाकर उनकी निःशुल्क शिक्षा, पात्रता अनुसार छात्रवृत्ति तथा निःशुल्क कोचिंग आदि की व्यवस्था की जा रही है।
–    विभिन्न वर्गों और शैक्षणिक स्तर के लोगों के रोजगार के व्यापक प्रबंध किए जाने के कारण प्रदेश में बेरोजगारी दर ढाई वर्षों में 22 प्रतिशत से घटकर 3 प्रतिशत पर आ गई है, जो राज्य के विकास के विभिन्न प्रयासों की सार्थकता का प्रतीक है।

जय हिन्द, जय छत्तीसगढ़

एंकर
–    श्रोताओं लोकवाणी का आगामी प्रसारण 8 अगस्त, 2021 को होगा। जिसमें माननीय मुख्यमंत्री ‘‘आदिवासी अंचलों की अपेक्षाएं और विकास’’ विषय पर चर्चा करेंगे। आप इस विषय पर अपने विचार सुझाव और सवाल दिनांक 28, 29 एवं 30 जुलाई, 2021 को दिन में 3 बजे से 4 बजे के बीच फोन करके रिकार्ड करा सकते हैं। फोन नम्बर है 0771-2430501, 2430502, 2430503

लोकवाणी में आम जनता से राज्य सरकार की योजनाओं पर मिलता है फीडबैक.

लोकतंत्र में शासन की मूल आवश्यकताओं में ले एक है जनता के साथ संवाद… बिना संवाद न जनता की असल समस्या सामने आ पाती है और न उन समस्याओं का समाधान हो पाता है।  छत्तीसगढ़ में इस संवादहीनता की खाई को पाटने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की तर्ज पर एक रेडियो वार्ता ‘लोकवाणी’ की शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम के माध्यम से बघेल जनता से सीधे संवाद करते हैं। 

इस कार्यक्रम का प्रसालरण आकाशवाणी के सभी केंद्रों से होता है। इस दौरान मुख्यमंत्री बघेल समाज के विभिन्न वर्गों के विभिन्न मुद्दों पर सवालों का जवाब देते हैं और अपने विचार साझा करते हैं।