verma-640x1024, छत्तीसगढ़ को समर्पित स्व. डॉ. नरेन्द्रदेव वर्मा द्वारा रचित गीत \\\\\\\"अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार\\\\\\\" उनके जयंती पूर्व राजकीय गीत घोषित
verma-640x1024, छत्तीसगढ़ को समर्पित स्व. डॉ. नरेन्द्रदेव वर्मा द्वारा रचित गीत \\\"अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार\\\" उनके जयंती पूर्व राजकीय गीत घोषित

अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार इस मधुर छत्तीसगढ़ी गीत के रचयिता स्व. डॉ. नरेन्द्रदेव वर्मा जी का आज जयंती है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अलंकरण समारोह के मंच से डॉ. नरेन्द्र वर्मा द्वारा रचित छत्तीसगढ़ी गीत ‘‘अरपा पैरी की धार, महानदी हे अपार’’ गीत को राज्यगीत घोषित किया. छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति उनका अटूट प्रेम और अंतर्मन का लगाव इस गीत के माध्यम से झलकता है. छत्तीसगढ़ महतारी से उनके प्रेम का अंदाजा इस गीत के भाव को समझ क्र लगाया जा सकता है कि उन्होंने ने गीत के माध्यम से लोगों को छत्तीसगढ़ महतारी के मानवीय स्वरुप का साक्षात दर्शन करा दिया.

स्व. डॉ. नरेन्द्रदेव वर्मा छत्तीसगढ़ के प्रख्यात कवि, साहित्यकार, रचनाकार, लेखक, उपन्यासकार, कथाकार, समीक्षक, भाषाविद व प्रसिद्ध कथाकार थे. इनका जन्म सेवाग्राम वर्धा में 4 नवम्बर 1939 को हुआ था और 8 सितम्बर 1979 को उनका रायपुर में निधन हुआ. छत्तीसगढ़ी भाषा व साहित्य में कालक्रमानुसार विकास का महान कार्य किया. उन्होंने छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह ‘‘अपूर्वा‘‘ की रचना की. इसके अलावा ‘‘सुबह की तलाश (हिन्दी उपन्यास)‘‘ छत्तीसगढ़ी भाषा का उद्विकास, हिन्दी स्वछंदवाद प्रयोगवादी, नयी कविता सिद्धांत एवं सृजन, हिन्दी नव स्वछंदवाद आदि ग्रंथ लिखे. उनके द्वारा लिखित ‘‘मोला गुरू बनई लेते‘‘ छत्तीसगढ़ी प्रहसन अत्यंत लोकप्रिय है. डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा छत्तीसगढ़ के पहले बड़े लेखक है जो हिन्दी और छत्तीसगढ़ी में समान रूप से लिखकर मूल्यवान थाती सौंप गए. वे चाहते तो केवल हिन्दी में लिखकर यश प्राप्त कर लेते. लेकिन उन्होंने छत्तीसगढ़ी की समृद्धि के लिए खुद को खपा दिया। 

 डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ने सागर विश्वविद्यालय से एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा 1966 में उन्हें प्रयोगवादी काव्य और साहित्य चिंतन शोध प्रबंध के लिए पी.एच.डी. की उपाधि मिली. उन्होंने 1973 में पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय से भाषा विज्ञान में एम.ए. की दूसरी परीक्षा उत्तीर्ण की तथा इसी वर्ष ‘‘छत्तीसगढ़ी भाषा का उद्भव विकास‘‘ विषय पर शोध प्रबंध के आधार पर उन्हें भाषा विज्ञान में भी पी.एच.डी. की उपाधि दी गई. 

Complete Geet:

अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
(अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)

अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पईयां
(महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)

सोहय बिंदिया सही, घाट डोंगरी पहार
(सोहय बिंदिया सही, घाट डोंगरी पहार)
चंदा सुरूज बने तोरे नैना
सोनहा धान अइसे अंग, लुगरा हरियर हे रंग
(सोनहा धाने के अंग, लुगरा हरियर हे रंग)
तोर बोली हवे जइसे मैना
अंचरा तोर डोलावय पुरवईया
(महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)

सरगुजा हे सुग्घर, तोरे मउर मुकुट
(सरगुजा हे सुग्घर, जईसे मउर मुकुट)
रायगढ़ बिलासपुर बने तोरे बञहा
रयपुर कनिहा सही, घाते सुग्गर फबय
(रयपुर कनिहा सही, घाते सुग्गर फबय)
दुरूग बस्तर बने पैजनियाँ
नांदगांव नवा करधनियाँ
(महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)

अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पइयां
महूं विनती करव तोरे भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
(अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार
इंदिरावती हर पखारय तोरे पइयां
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया
महूं विनती करव तोर भुँइया
जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया)

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