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मध्यकालीन संत काव्य में सामाजिक समरसता – शोधार्थी शालीन साहू

भारत के राष्ट्र जीवन का आधार सदा अध्यात्मिकता रहा हैं। सर्वजन में एक ही तत्व को देखने वाली यह संस्कृति विश्व में बेजोड़ हैं। ‘माता भूमिः पुत्रोऽहमं पृथिव्याः’, धरतीमाता और हम सब उसके पुत्र हैं अर्थात् सारे विश्व के लोग हमारे भाई हैं – यह घोष यहाँ हुआ। परिणामतः ऊँच- नीच का भाव नहीं रहा। […]