download (9), जांजगीर चांपा जिले के 1,720 बच्चों को मिली कुपोषण से मुक्ति, मुख्यमंत्री सुपोषण योजना से जल्द कुपोषण मुक्त होगा प्रदेश
download (9), जांजगीर चांपा जिले के 1,720 बच्चों को मिली कुपोषण से मुक्ति, मुख्यमंत्री सुपोषण योजना से जल्द कुपोषण मुक्त होगा प्रदेश

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार बच्चों और महिलाओं की सेहत एवं तंदुरूस्ती के लिए कई कवायद कर रही है। इन्हीं में से एक अहम् योजना मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान शुरू की गयी। इस योजना के तहत गंभीर कुपोषित बच्चों और एनीमिया पीड़ित महिलाओं का उपचार किया जा रहा है। कुपोषण मुक्ति के लिए जिले में पहले से सतत् प्रयास किया जा रहा है। विगत छह माह में एक हजार 720 बच्चों को कुपोषण से मुक्ति मिली है।

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत शून्य से 5 वर्ष की आयु के बच्चों के पोषण स्तर की जांच की जा रही है। अभियान के दौरान एक लाख 46 हजार 342 बच्चों का वजन किया गया। जिनमें एक लाख 22 हजार 926 बच्चे सामान्य श्रेणी में पाये गये। इसके अलावा 19 हजार 835 मध्यम कुपोषित तथा 3 हजार 581 बच्चे गंभीर कुपोषित श्रेणी में चिन्हांकित किया गया है। सुपोषण अभियान के तहत किशोरी बालिकाओं सहित 15 से 49 वर्ष तक की महिलाओं का भी स्वास्थ्य परीक्षण किया गया।

संतुलित मात्रा में पौष्टिक आहार ना मिल पाने से शरीर में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इससे शरीर में विटामिन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, खनिज तत्वों जैसे आयोडीन, आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम की पूर्ति नहीं हो पाती। इससे  रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाती है। इसके कारण कई अन्य बीमारियों का शिकार बन जाते हैं। कुपोषण कई बार मातृ एवं शिशु मृत्यु का कारण बनता है। स्त्रियों में रक्ताल्पता या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी और यहां तक कि अंधत्व भी कुपोशण का ही दुश्परिणाम है।

कुपोशण से बच्चों के शरीर का संपूर्ण विकास अवरूद्ध हो जाता है। शरीर कमजोर और उम्र के अनुसार वजन कम होता है। कुपोषण से आंखे कमजोर होना, त्वचा का रूखा होना, पेट फूलना, नाखूनों का अपने आप टूटना, बालों का अधिक झड़ना, भूख न लगना, चिड़चिड़ापन, हड्डियों में दर्द, मांसपेशियों की कमजोरी, बच्चों का बिना वजह रोना, खून की कमी होना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। शरीर में आयरन की कमी हो जाने से एनीमिया रोग हो जाता है। बच्चों का उम्र के अनुसार वजन लेकर और ऊंचाई मापकर कुपोशण का स्तर ज्ञात किया जाता है। चिकित्सक के परामर्श अनुसार नियमित उपचार लेकर कुपाषण एवं एनीमिया से मुक्ति पायी जा सकती है।

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