नवा छत्तीसगढ़ के 36 माह: छोटे से मन में आत्मानंद स्कूलों ने भरी सफलता की आशा
नवा छत्तीसगढ़ के 36 माह: छोटे से मन में आत्मानंद स्कूलों ने भरी सफलता की आशा

कोरबा । दिल है छोटा सा, छोटी सी आशा… 1992 में आई बॉलीवुड फिल्म रोज़ा के इस गाने ने छोटे-छोटे बच्चों खासकर बेटियों के मन में पढ़ने-लिखने और आगे बढ़ने की बड़ी ललक जगा दी थी। पढ़-लिखकर आगे बढ़ने, समाज-प्रदेश और देश के कुछ कर गुजरने का जज्बा इस गाने ने बच्चों-बच्चों में भर दिया था। ऐसा ही अवसर छत्तीसगढ़ सरकार ने गरीब परिवारों के बच्चों को इंग्लिश मीडियम की अच्छी शिक्षा देने के लिए भी दिया है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के व्हीजन को स्वामी आत्मानंद शासकीय इंग्लिश मीडियम स्कूल अब पूरी तरह से साकार कर रहे हैं। पैसों के अभाव में अपने मेधावी बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाने की, उन्हें अच्छे संस्कार देने की गरीब परिवारों की ख्वाहिश इन स्कूलों ने पूरी कर दी है। कोरबा जिले में भी मुख्यमंत्री श्री बघेल ने ऐसे छह स्कूल खोल दिए हैं जहां गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवारों के लगभग दो हजार से अधिक बच्चे पढ़ रहे हैं।

हरदीबाजार के स्वामी आत्मानंद स्कूल में श्रीमती गौरी-श्री हीरालाल अहिर की चार बेटियां पढ़ रहीं हैं। श्री हीरालाल अहिर एक प्राइवेट कंपनी में लेबर का काम करते हैं। सबसे बड़ी बेटी प्रिया रानी ग्यारहवीं उसके बाद भूमिका रानी आठवीं, तीसरी बेटी तेजस्विनी पांचवी और चौथी बेटी गरिमा दूसरी क्लास में पढ़ती है। बच्चों की मां श्रीमती गौरी अहिर बताती हैं कि पहले इनकी बेटियां हरदीबाजार के निजी स्कूलों में पढ़ती थीं। पति बामुश्किल आठ हजार रूपए प्रतिमाह कमा पाते हैं। इतनी कम आमदनी में निजी स्कूलों की फीस, किताब-कॉपी, ड्रेस आदि का खर्चा उठाने में काफी परेशानी होती थी। अहिर परिवार की ये चारो बेटियां शुरू से ही मेधावी रहीं हैं। हरदीबाजार में जैसे ही राज्य शासन ने स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू किया इन चारों बच्चियों का एडमिशन आसानी से उसमें हो गया।

आठवीं क्लास में पढ़ रही भूमिका बतातीं हैं कि स्कूल की पढ़ाई पहले के प्राइवेट स्कूलों से भी अच्छी है। नई तरह के बेंच पर बैठते हैं, अच्छे शिक्षक विषय को सरल भाषा में व्यवहारिक बनाकर पढ़ाते हैं। पलक झपकते ही गणित जैसे विषय भी बच्चों को समझ में आ जाते हैं। खुद भूमिका ने राज्य स्तर पर स्वामी आत्मानंद स्कूलों के विद्यार्थियों के बीच हुई गणित की ओलंपियाड क्विज़ में पहला स्थान प्राप्त किया है। भूमिका की बहन तेजस्विनी भी पांचवी क्लास में पढ़ती है और उसने भी इसी तरह के ओलंपियाड क्विज में विज्ञान, गणित और इंग्लिश विषय में राज्य स्तर पर प्रथम 10 में स्थान प्राप्त किया है। श्रीमती गौरी अहिर स्वामी आत्मानंद स्कूल शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल को धन्यवाद देते नहीं थकती हैं। वे कहती हैं कि श्री बघेल ने उस गरीब की चारों बेटियों को अच्छे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने की सुविधा दी है। बच्चियों के मन में आगे बढ़ने, देश के विकास में भागीदारी करने की अलख जगाई है। उन्हें विश्वास है कि इन स्कूलों में पढ़कर उनकी बेटियां उनके परिवार का और कोरबा जिले का भी नाम रौशन करेंगी।

सब्जी बेचकर जीवन-यापन करने वाले महतो परिवार की तीन बेटियां भी स्वामी आत्मानंद स्कूल में पढ़ रहीं हैं। श्रीमती प्रमिला महतो बतातीं हैं कि बच्चों की पढ़ाई का खर्च इतना था कि उनके पति ने बच्चों की पढ़ाई बंद कराने का फैसला कर लिया था। श्रीमती महतो कहतीं हैं बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। आमदनी कम होने के कारण पति ने बच्चों को स्कूल में नहीं पढ़ाने का भी फैसला कर लिया था। परंतु आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल खुल जाने से उन्हें बहुत राहत हुई है। तीनों बच्चों का आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में एडमिशन कराया है। अब बच्चे भी खुश हैं, मन लगाकर उत्साह से पढ़ रहे हैं। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों की भाषा-बोली, आचरण तक में बदलाव आ गया है। श्रीमती महतो भी मुख्यमंत्री श्री बघेल को आत्मानंद स्कूल शुरू करने के लिए आभार व्यक्त करती हैं।