चेम्बर ने वित्त मंत्री को दिए जीएसटी व आयकर संबंधी सुझाव
चेम्बर ने वित्त मंत्री को दिए जीएसटी व आयकर संबंधी सुझाव

रायपुर। चेम्बर ऑफ कॉमर्स ने 5 अक्टूबर को आयोजित प्रबुद्धजन संगोष्ठी में केन्द्रीय वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन को जीएसटी सरलीकरण व आयकर संबंधी सुझाव दिए। अमर पारवानी ने कहा कि जीएसटी सरलीकरण एवं विसंगतियों को दूर करने औद्योगिक एवं व्यापारिक संगठनों से प्राप्त सुझाव तथा आयकर संबंधी सुझाव में इनपुट क्रेडिट का 105 प्रतिशत सम्बंधित प्रावधान, जीएसटी प्रणाली में ब्याज की गणना के प्रावधान को बदलने बाबत, RCM संबधित प्रावधान, एक ही लेनदेन पर दो दो बार ब्याज, विक्रेता पर ही कार्यवाही की जानी चाहिए, स्पॉट ऑडिट संबधित प्रावधान, स्टेशनरी वस्तु “पेन“ पर जीएसटी में वृद्धि बाबत, ऽ नियम 86 बी- Restriction of ITC to 99%, नियम 21 जीएसटी पंजीकरण का निलंबन/निरस्तीकरण, ई-वे बिल की वैधता अवधि में 50 प्रतिशत की कटौती, ई-इनवॉइसिंग के 1 अप्रेल 2021 से रु. 50 करोड़ तक के टर्नओवर वाले व्यापारियों पर लागु किए गए प्रावधान वापस लेने बाबत, E- Invoicing की स्थिति में खरीददार को इनपुट अनिवार्य रूप से मिलना चाहिए ।

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छूटे हुए इनपुट टैक्स क्रेडिट लेन एवं वार्षिक विवरण पत्र में संशोधन किए जाने हेतु अवसर प्रदान करने बाबत, जीएसटी वार्षिक विवरण के संबंध में सुझाव, One Time Amnesty स्कीम लानी चाहिए, ब्याज, पेनाल्टी एवं विलंब शुल्क से छुट प्रदान करने हेतु, माल के परिवहन एवं ई-वे बिल संबंधित समस्याएं, जीएसटी का रजिस्टेªशन संरेडर करने बाबत, रिटर्न सम्बंधित अन्य समस्याएं, जीएसटी के प्रावधानों में सुधार हेतु अन्य सुझाव, व्यवसाय को राहत देने एवं Ease of Doing हेतु सुझाव, जीएसटी की दर में कमी करने हेतु सुझाव, एक व्यवसाय एक कर तथा प्रक्रिया को केन्द्रीकृत करें की मांग शामिल है। वहीं आयकर संबंधी सुझाव में हाउस प्रापर्टी संबंधित, टी.डी.एस., नगद लेन देन सीमा, आयकर रिटर्न, आयकर सर्च एवं सर्वे तथा अन्य प्रावधानों में सुधार हेतु सुझाव शामिल है। चेम्बर प्रदेश अध्यक्ष पारवानी ने श्रीमती निर्मला सीतारमन से कहा कि वर्तमान में व्यापारी वर्ग जीएसटी की दरों से जितना परेशान नहीं हैं उससे अधिक परेशान जीएसटी में परिवर्तन की दरों (जीएसटी के प्रावधानों में निरंतर हो रहे संशोधनों) से हैं । अतः यह सुनिश्चित किया जाए कि जीएसटी के प्रावधानों में संशोधन कम हो एवं संशोधन वित्तीय वर्ष के प्रारंभ से ही लागू हो।

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