दिव्या की ज्योति से फैला उजियारा
दिव्या की ज्योति से फैला उजियारा

दंतेवाड़ा ।  दंतेवाड़ा विकासखण्ड कुआकोंडा के अंतर्गत शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय किरंदुल में अध्ययनरत कक्षा 12वीं की छात्रा कुमारी दिव्या सागर एक ऐसी बच्ची है जिसका जीवन संघर्ष पूर्ण रहा है। शुरुआती दिनों में ही उसकी मां का ममता भरा आंचल उसके सिर से चला गया। इस नन्हीं सी बच्ची के साथ उसके पिता का सहारा भी ज्यादा दिन का नहीं था। 6 वर्ष की उम्र में उसके पिता का साथ भी छूट गया। किसी भी बच्चे के जीवन में माता-पिता रथ के दो पहिए के समान होते हैं जो बच्चों को आगे बढ़ने में सहयोग प्रदान करते हैं। और इस बच्ची के पास यह दोनों ही पहिए नहीं थे।

दिव्या अपनी बुआ के साथ रहती है, लेकिन अपनी बुआ के ऊपर बोझ बनकर नहीं, बल्कि वह अपने बुआ के सारे घरेलू कामों में खुशी-खुशी अपनी इच्छा से हाथ बटाती है। यह निम्न वर्गीय परिवार की बालिका है जो सारे घरेलू कामों में माहिर है जैसे कि चूल्हे में आग जलाकर खाना बनाना, जंगल से लकड़ी लाना, बाहर से पानी भरकर लाना और घर का सारा काम अपनी खुशी से करती है। जिस जिम्मेदारी के साथ दिव्या घर के कामों में माहिर है पढ़ने में भी उतनी ही अच्छी है। कोरोना काल के इस संकट में इस बच्ची ने पिछले सत्र तकनीकी का प्रयोग कर अपनी पढ़ाई के लिए किया। निरंतर ऑनलाइन कक्षाएं अटेंड करती रही। इस सत्र भी दिव्या ग्रीष्मकालीन आमा राइट प्रयोजना की फाइल तैयार की जिसमें अपने क्षेत्र रामपुर कैंप का सर्वे किया, औषधि पौधों के बारे में जानकारी ली। 

कबाड़ से जुगाड़ में पुराने उन, चूडि़यों और मोतियों से फूल रखने का बहुत ही सुंदर डलिया बनाया। दिव्या स्वयं तकनीकी से जुड़ी है और अपने आसपास मोहल्ले में भी सभी लोगों को तकनीकी से जुड़े रखने में सहायता करती है। साथ ही यह बाकी लोगों को निरंतर ऑनलाइन कक्षाएं अटेंड करने के लिए भी प्रेरित करती है। अपने छोटे भाई बहनों, दोस्तों  को पढ़ने में भी मदद करती है तकनीकी के इस जमाने में दिव्या ऑनलाइन शॉपिंग भी कर रही हैं। इन सारे कामों के अलावा यह नृत्य कला में भी माहिर है। अपने जीवन में आए परेशानियों से लड़कर वह खूब मेहनत कर आगे चलकर आईएएस बनकर अपने सपनों को साकार करना चाहती है। जिसके लिए अपनी पढ़ाई पूरी मन लगाकर कर रही है दिव्या अपने घर की चहेती ही नहीं बल्कि अपने शिक्षकों की प्रिय छात्रा होने के साथ आज्ञाकारी भी है उनकी शिक्षिका नीतू पारधी के द्वारा उन्हें सदैव प्रेरित किया जाता है।