धान के साथ-साथ अरहर की खेती
धान के साथ-साथ अरहर की खेती

जांजगीर-चांपा । छत्तीसगढ़ की पहचान कृषि प्रधान राज्य के रूप में रूप में है।  किसानों की आय बढ़ाने के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से विशेष प्रयास किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा परंपरागत धान की खेती के स्थान पर अन्य फसल लगाने वाले किसानों को राजीव गांधी किसान योजना के तहत प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है।

कृषि विभाग की आत्मा योजना अंतर्गत धान की परंपरागत खेती के साथ-साथ दलहन तिलहन की खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके तहत जांजगीर-चांपा जिले के किसान धान के साथ-साथ दलहन तिलहन की खेती में भी विशेष रूचि ले रहे हैं।

दलहन, तिलहन की खेती में सिंचाई के लिए पानी कम लगता है और धान की तुलना में अधिक लाभदायक होती है।  जिले के धान उगाने वाले किसान भी  खेत की मेड़ में  अरहर लगाकर लाभ ले रहे हैं।

नवागढ़ विकासखंड के ग्राम गौद  के किसान श्री तुलाराम कश्यप ने बताया कि उनकी कृषि भूमि का रकबा 7 एकड़ है। जिसमें वे धान की फसल लगाते हैं। उसने  खेत की मेड़ पर अरहर लगाना प्रारंभ किया है। जिससे प्रतिवर्ष उसे 5000 रूपये की अतिरिक्त आमदनी हो रही है।

उन्होंने आगे बताया कि पहले मेड़ का उपयोग नहीं हो पाता था। तुलाराम ने कृषि विभाग की आत्मा योजना के तहत  राजीव लोचन किस्म (ज्श्रज्-1209) के अरहर बीज निःशुल्क प्राप्त किया और खाली पड़े मेड़ में अरहर लगाना प्रारंभ किया।

स्वयं के उत्पादित अरहर का उन्होंने साल भर उपयोग भी किया और शेष बचे अरहर बीज को बेचकर 5000 रूपये की अतिरिक्त कमाई भी कर ली। धान केअलावा इस अतिरिक्त आय से तुलाराम और उसका परिवार बहुत उत्साहित है।

वे अन्य किसानों को भी दलहन तिलहन की फसल लेने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। स्वयं भविष्य में दलहन तिलहन अधिक से अधिक मेड़ों में लगाने के लिए योजना बना रहे हैं।

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