बुखार आने पर तुरंत निकट के स्वास्थ्य केन्द्र में कराएं जांच
बुखार आने पर तुरंत निकट के स्वास्थ्य केन्द्र में कराएं जांच

राजनांदगांव । कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा ने जिले में मलेरिया एवं डेंगू की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी, आयुक्त नगर पालिक निगम तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को सावधानी बरतने के निर्देश दिए। जिसके तारतम्य में मलेरिया एवं डेंगू की रोकथाम के लिए शहरी क्षेत्र में प्रति गुरूवार तथा ग्रामीण क्षेत्र में प्रति बुधवार ड्राई दिवस मनाया जा रहा है।

इसकेअंतर्गत जिला स्तर पर टीम द्वारा सोर्स रिडक्शन एक्टीविटी चलाया जा रहा हैं तथा शहरी क्षेत्रों में विभिन्न मलेरिया व डेंगू संभावित क्षेत्रों में टेमीफास का छिड़काव किया जा रहा है। विभिन्न स्थानों पर लोगों से गृह भेंट कर मलेरिया एवं डेंगू की रोकथाम एवं बचाव के संबंध में जानकारी दी जा रही है साथ ही आईईसी का वितरण भी किया जा रहा है।

गृह भेंट कर मलेरिया तथा डेंगू रोग की रोकथाम एवं बचाव के संबंध में अपने घरों के आसपास सफाई रखने डेंगू तथा मलेरिया के मच्छरों की उत्पत्ति के कारकों जैसे कूलर, छत पर खुली पानी की टंकिया, फटे पुराने टायर ट्यूब, टूटे-फूटे मटके, बाल्टी, टीन, प्लास्टिक डिब्बे, घर के सजावटी गमलों के पानी में, मनी प्लांट के पौट के पानी में, मंदिर के कलश में बहुत दिनों से रखे पानी में, फ्रीज के नीचे टेऊ में, नारियल के टूटे टुकड़े में, कच्चे नारियल का पानी पीने के बाद उसमें पानी जमा हो जाता है। इन मच्छर उत्पत्ति क्षेत्रों को नष्ट या व्यवस्थित करने पर मच्छर के पैदावार को रोका जा सकता है।


मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी ने तेज बुखार, बदन दर्द, सरदर्द, उल्टी होना, शरीर पर दाने आना, साथ में नाक से खून आना, उल्टी में खून आना से संबंधित कोई भी शिकायत होने पर तुरंत निकट के स्वास्थ्य केन्द्र में जांच कराने की अपील की है।

उन्होंने मच्छर उपत्ति के कारणों को नष्ट करने के लिए आवश्यक जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि प्रति सप्ताह कूलर को अच्छी तरह धोले तथा कूलर के खस वाली शीट को अच्छी तरह धोकर कड़ी धूप में सुखाएं। डेंगू के मच्छर एडीस के अंडे कूलर के खस की शीट में चिपके रहते है और नमी मिलते ही जीवित हो जाते हैं। घर के आंगन एवं छत में रखे टूटे-फूटे मटके, टायर ट्यूब, प्लास्टिक की बाटल, डब्बों को अभी से नष्ट कर दें। आंगन एवं छत की खुली पानी की टंकियों को ठक कर रखें।

फ्रीज के पानी जमा होने वाले टेऊ के पानी को प्रति सप्ताह बदलते रहें। मंदिर में रखे कलश के पानी को प्रति सप्ताह बदलें। हमेशा मच्छरदानी लगाकर सोने की आदत डालें। इस प्रकार हम छोटी-छोटी सावधारियों से डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों से बच सकते है।