रायपुर :  जो महापुरूष जीवन में सफल होते हैं वो समर्पण भाव से काम करते हैं: सुश्री उइके :  श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के दीक्षारंभ कार्यक्रम में शामिल हुई राज्यपाल
रायपुर : जो महापुरूष जीवन में सफल होते हैं वो समर्पण भाव से काम करते हैं: सुश्री उइके : श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के दीक्षारंभ कार्यक्रम में शामिल हुई राज्यपाल

रायपुर । जो महापुरूष जीवन में सफल होते हैं वो समर्पण भाव से काम करते हैं। चाहे उनके समक्ष कितनी भी परेशानी आए वे हताश नहीं होते हैं और हमेशा लक्ष्य को सामने रखकर प्रयत्नशील रहते हैं, जो इस प्रकार कार्य करते हैं उन्हें एक न एक दिन सफलता अवश्य मिलती है। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा दीक्षारंभ, प्रतिभा सम्मान समारोह एवं आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।

राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि डिग्री तक सीमित न रहें, जो शिक्षा पाए हैं, उन्हें व्यावहारिक जीवन में उतारें और साथ ही आचार-विचार और संस्कारों को भी ग्रहण करें। उन्होंने कहा कि जिन विद्यार्थियों ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है उन्हें बहुत-बहुत शुभकामनाएं, मगर जिन्हें किसी कारणों से पीछे रह गए हैं, वे निराश न हों। वे लक्ष्य लेकर उत्साह के साथ कार्य करें, जीवन में अवश्य सफल होंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मूल लक्ष्य है नैतिकता एवं चरित्र निर्माण। मूल्य आधारित शिक्षा के माध्यम से इस लक्ष्य को प्राप्त करने का सतत् प्रयास किया जा रहा है। श्री रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय के आचार्यगण, अध्ययन और अध्यापन के अतिरिक्त स्वयं के आचार-व्यवहार के माध्यम से आदर्श व्यवहार प्रस्तुत करके विद्यार्थियों के समग्र विकास में सहायक होंगे, ऐसी हम सबकी अपेक्षा है। राज्यपाल ने कहा कि आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं लेकिन हमें यह अवश्य याद रखना है कि असंख्य सेनानियों, जिसमें पुरूषों और महिलाओं ने कंधे से कंधा मिलाकर भाग लिया और अपने प्राण भी न्यौछावर किए। इस आजादी को बरकरार रखने के लिए युवा पीढ़ी को विशेष रूप से सतत् जागरूक रहकर, राष्ट्र सेवा के लिए सदैव समर्पित होकर कार्य करने का संकल्प लेना होगा और भारत देश को दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल कराने हेतु प्रयास करने होंगे।

सुश्री उइके ने कहा कि आज से कई साल पहले अंग्रेजों ने देश को गुलाम बनाकर रखा था। जैसे-जैसे लोगों में जागृति आई, उन्होंने गुलामी के बंधन से मुक्त होने की ठानी। धीरे-धीरे अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंका। 1857 का विद्रोह किसी तरह से अंग्रेजों ने नियंत्रण में लिया परन्तु उसके बाद से देश के लोगों में आजादी के प्रति एक ललक जागी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पूरे देश को अंग्रेजों के खिलाफ खड़ा किया। उन्होंने देशवासियों को संगठित किया और उनमें आत्मविश्वास और ऊर्जा का संचार किया। महात्मा गांधी जी के साथ उस समय स्वाधीनता के संग्राम में अनेकों सेनानियों ने भाग लिया और विभिन्न तरीकों से जनमानस में राष्ट्रवाद की भावना का संचार किया, जिसके परिणाम स्वरूप हम सबको यह अनमोल आजादी मिली।
कार्यक्रम को प्रतिकुलाधिपति श्री राजीव माथुर ने भी अपना संबोधन दिया। इस अवसर पर विभिन्न संकायों में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को सम्मान किया गया। साथ ही विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘एस.आर.यू. टाईम्स’ का विमोचन किया गया।