मिलने लगा है गरीबों को आवास, सरकार के प्रति बढ़ रहा विश्वास
मिलने लगा है गरीबों को आवास, सरकार के प्रति बढ़ रहा विश्वास

रायपुर । कोई इंसान गरीब हो या अमीर, अपना खुद का एक घर हो यह सपना सबका होता है। सम्पन्न परिवार वाले अपना घर का सपना कभी भी पूरा कर लेते है, लेकिन गरीब और जरूरतमंद परिवार चाह कर भी अपना खुद का एक घर नहीं बना पाता। वह जैसे-तैसे कच्चे मकानों में जीवन गुजार देता है। परेशानियों से जूझता गरीब परिवार जब कच्चे मकान को पक्का मकान बनाने का सपना संजोता है और कुछ बचत कर रुपए जोड़ने की कोशिश करता है तो कच्चे मकानों में समस्याओं के बीच जूझते हुए उन्हें क्या-क्या मुसीबतें नहीं झेलनी पड़ती। कभी खपरैल छतों से बारिश के दिनों में पानी टपकता है तो कभी बारिश से मिट्टी की दीवारें दरकती है। आखिरकार बारिश के साथ पक्के मकान का सपना भी ढ़ह जाता है। उनके द्वारा बचत कर जमा की गई कुछ राशि भी कच्चे मकान के मरम्मत में खर्च हो जाते हैं। गरीब परिवारों के ऐसे ही मुसीबतों से उबारने और उनके टूटते सपनों को सच करने का बीड़ा छत्तीसगढ़ की सरकार ने उठाया है। शहरी क्षेत्र में रहने वाले गरीब परिवारों को पक्का मकान देने सबके लिए आवास योजना बनाई गई और पात्र गरीब परिवारों को पक्का मकान देकर उनके जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया के नेतृत्व और मागदर्शन में  प्रदेश के शहरी इलाकों में रहने वाले गरीब और जरूरतमंद परिवारों को पक्का आवास देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा सबके लिए आवास (शहरी) के तहत मोर जमीन-मोर मकान घटक अंतर्गत 2 लाख आवास तथा मोर मकान-मोर चिन्हारी घटक अंतर्गत 1 लाख आवास निर्माण किए जाने का लक्ष्य है। मोर जमीन-मोर मकान और मोर मकान-मोर चिन्हारी घटक अंतर्गत कुल 2 लाख 65 हजार 380 आवास की स्वीकृति प्राप्त की गई है। सबके लिए आवास (शहरी)  में कुल 86,635 आवास का निर्माण पूर्ण कराया जा चुका है तथा 68,906 आवास निर्माणाधीन है। सबके लिए आवास (शहरी)  के मोर मकान-मोर चिन्हारी घटक हेतु लक्ष्य के अंतर्गत किराए के मकान में निवास करने वाले पात्र हितग्राही परिवारों को भी आवास आबंटन करने का निर्णय लिया गया है। सरकार की प्राथमिकता है कि आवासहीन परिवारों को भी आवास उपलब्ध हो और वे भी पक्के मकान में निवास कर सकें।  

शासन की इस योजना से पक्का मकान प्राप्त करने वाले गरीब हितग्राही परिवार भी खुश है। बोरियाखुर्द में रहने वाले त्रिलोकराम यादव, श्रीमती बिसनी बाई ने कभी सोचा भी नहीं था कि उसे एक दिन अपने कच्चे खपरैल वाले घर से मुक्ति मिल जाएगी। गरीबी से जुझते हुए उसे अपने परिवार सहित बारिश के दिनों में हमेशा परेशानी उठानी पड़ी। कच्ची मिट्टी वाले घरों में बारिश की वजह से कभी भी छत से पानी टपकने लगता था, जिससे घर का जरूरी सामान भीग जाते थे। पानी से घर की दीवारे भी भीग कर उखड़ जाया करती थी। इन सबसे त्रिलोकराम की मुश्किलें और भी बढ़ जाती थी। उसे अपना काम छोड़कर घर का काम करना पड़ता था। अब जबकि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत शहरी क्षेत्र में पक्का आवास मिल गया है तो उनकी मुश्किलें दूर हो गई है। बरसात के दिनों में उन्हें न तो छत से पानी टपकने की चिंता सताती है और न ही अपना काम धंधा छोड़ना पड़ता है।

अपने पति की मौत के बाद कच्चे मकान में रह रही बीजापुर की श्रीमती हिरोंदी बाई कश्यप और बैकुण्ठपुर की श्रीमती बालकुंवर को मोर जमीन-मोर मकान के तहत पक्का मकान मिला है। राजनांदगांव की श्रीमती सोनबती साहू को भी मकान मिल गया है, जिससे उनका बिखरा हुआ परिवार संयुक्त हो गया है। इन सभी को अपने पुराने मिट्टी के घर के बदले इनकी ही जमीन में पक्का मकान मिला है। प्रदेश में शहरी क्षेत्र के ऐसे हजारों गरीब परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी अंतर्गत छत्तीसगढ़ सरकार की समावेशी मॉडल से लाभान्वित हो रहे हैं। बेघरों को समय पर पक्का मकान बनाकर उन्हें घर की चाबी देने वाली सरकार की बदौलत नए घर में जहां गरीबों का मान-सम्मान बढ़ रहा है, वहीं मोर जमीन-मोर मकान के हितग्राहियों को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने, अन्य योजनाओं का समावेश कर उनके सफल क्रियान्वयन के लिए भारत सरकार द्वारा भी ”बेस्ट कन्वर्जेंस विथ अदर मिशन“ की श्रेणी में छत्तीसगढ़ राज्य को उत्तम प्रदर्शन करने हेतु पुरस्कृत भी किया गया है। नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया के नेतृत्व में शहरी क्षेत्र के गरीबों के उन्नयन और उन्हें बेहतर सुविधा प्रदान करने की दिशा में लगातार कार्य किए जा रहे है, जिसका परिणाम रहा कि छत्तीसगढ़ राज्य को तीन श्रेणियों में भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया है।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. डहरिया की पहल से आवास निर्माण हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। नगरीय क्षेत्रों के भूमिहीन व्यक्तियों को पट्टा वितरण, आबादी भूमि के हितग्राहियों को पात्र हितग्राही प्रमाण-पत्र का वितरण, कम समय अवधि में हितग्राहियों को किस्त प्राप्ति एवं आवश्यकता अनुरुप आसान किस्तों की व्यवस्था की गई है। सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शासन ने स्पेशल प्रोजेक्ट की शुरुआत की है, जिससे ये समुदाय अब विकास की मुख्य धारा से जुड़ कर प्रगति की राह पर आगे बढ़ चले हैं। इसके साथ ही निकायों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा कराने एवं निर्माण कार्य को शीघ्रता से पूर्ण करने हेतु राज्य स्तरीय मोर प्रदर्शन-मोर सम्मान प्रतियोगिता का आयोजन कराया गया, जिसके परिणाम स्वरूप आवास निर्माण के कार्य अति शीघ्र पूर्ण हुए। जन जागरूकता हेतु स्वच्छ भारत मिशन के साथ संयुक्त रूप से व्यापक स्तर पर प्रचार प्रसार किया गया। राज्य शासन ने हितग्राहियों की सुविधाओं को प्रमुखता देते हुए आवास योजना अन्तर्गत 827 परियोजनाओं में अन्य योजनाओं का समावेश किया, जिसका सबसे बड़ा उदाहण ”आशा चढ़ी परवान“ है। इस योजना का सीधा लाभ कुष्ठ पीड़ितों और उनके परिवारों को मिला जो बीमारी की वजह से शहर से बाहर रह कर भिक्षावृत्ति कर पेट भरने को मजबूर थे। इनके इलाज के साथ, रोजगार की व्यवस्था और आत्मनिर्भर बनाने के साथ सम्मानपूर्वक जीवनयापन की दिशा में आवश्यक मूलभूत सुविधाएं सहित कल्याणकारी कदम उठाए गए हैं। मंत्री डॉ. डहरिया, विभागीय सचिव एवं अधिकारियों द्वारा नियमित निरीक्षण किए गए। कार्यों की नियमित रूप से ऑनलाइन मॉनिटरिंग भी की गई। सबके लिए आवास में गरीबों को जोड़कर हितग्राहियों को लाभान्वित किया जा रहा है।

भूमिहीन व्यक्तियों को भूमि धारण का अधिकार प्रदान करने हेतु अधिनियम भी लाया गया है। इसमें ऐसे व्यक्ति भी लाभान्वित होंगे जिन्हें पूर्व में पट्टा प्रदान किया गया था परंतु नवीनीकरण प्रावधानों के अभाव में वह भूमि का उपभोग नहीं कर पा रहे थे। इस निर्णय में राज्य के लगभग दो लाख से अधिक शहरी गरीब परिवार सीधे लाभान्वित होंगे। ‘मोर जमीन मोर मकान‘ योजना में स्वयं की उपलब्ध भूमि में अधिकतम 30 वर्गमीटर कारपेट एरिया में आवास निर्माण/विस्तार हेतु अधिकतम 2.29 लाख तक सब्सिडी प्रदान की जाती है। इसी तरह मोर जमीन मोर चिन्हारी अंतर्गत अस्थायी गंदी बस्ती एवं अव्यवहार्य झुग्गी बस्ती के हितग्राहियों के व्यवस्थापन बहुमंजिला इमारतों में मूलभूत सुविधाओं के साथ 30 वर्गमीटर क्षेत्रफल के फ्लैट्स निर्मित किए जाते हैं। जिसमें शासन द्वारा अधिकतम राशि 4 लाख रुपए अनुदान के रूप  में प्रदान की जाती है। हितग्राही आवास निर्माण/क्रय हेतु 3 से 6.50 प्रतिशत तक  ऋण पर ब्याज सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।