शेर की सवारी में हमेशा सवार को ही होता है नुकसान
शेर की सवारी में हमेशा सवार को ही होता है नुकसान

ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

पिछले दिनों हमारे यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी का जन्म दिन मनाया गया। नेताओ में नज़दीकी दिखने की होड़ लग गई थी। चाय की टापरी पर चर्चा चल रही थी कि अख़बारों में विज्ञापन प्रकाशित करवाकर सीएम साहब के नज़दीक जाने का अच्छा मौका है सो नेताओ ने पांच हजार से लेजर पांच लाख तक का विज्ञापन अपनी हैसियत के मुताबिक अख़बारों में छपवाया। एक नेता पांच हजार का विज्ञापन छपवाकर उसे सीएम हाउस में पचास हजार का विज्ञापन छपवाने का ढिंढोरा पीटा। अगले दिन वहां के एक कर्ताधर्ता ने अख़बार दफ्तर में फोन कर सच्चाई साहब को बता दिया उक्त नेता का मुँह देखने लायक था। इसी प्रकार बचे निगम मंडलों में नियुक्ति के लालसा में हर किसी ने मौके का फायदा उठाने में पीछे नहीं रहे। एक नेता ने 100 केला और संतरा बाँट कर फोटो खिचवाया तो कैयो अपने अपने स्तर पर काम किया। लेकिन कई निगम मंडल में पद पा चुके नेताओं ने धोके से किसी विज्ञापन में फोटो छपी उसी को लेकर सीएम साहब के नज़दीकी बनने की कोशिश करने में पीछे नहीं रहे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि सिर्फ अख़बार में विज्ञापन देने मात्र से ही नज़दीकी होने लगे, निगम-मंडल में जगह मिलने लगे तो उन गरीब कार्यकर्ताओ का क्या होगा जो बिचारे वर्षो से पार्टी का झंडा उठा रहे हैं और जिंदाबाद-मुर्दाबाद के नारे लगाते फिरते हैं और पार्टी के हर धरना प्रदर्शन में सक्रीय रहते हैं।

रंग बदलते नेता

नेताओ बदलते रंग को देखकर गिरगिट भी शरमा जाये। दरअसल हुआ ये कि पिछले दिनों सीआईआई के सालाना बैठक में उद्योग मंत्री पीयूष गोयल साब भी जुड़े वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से और उन्होंने उस बैठक में देश के पुरानी उद्योग समूह टाटा की जमकर आलोचना कर दी। उद्योगपतियों और विपक्षियों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये तो प्रधानमंत्री मोदी के ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस इन इंडिया के नारे का मज़ाक उड़ा रहे हैं। एक तरफ भाजपा सरकार ने नई संसद भवन बनाने का ठेका टाटा समूह को दिया है दूसरी तरफ केंद्र के उद्योग मंत्री का बयान जैसा समाचार पत्र वाले बता रहे हैं कि उद्योग मंत्री टाटा समूह को देशद्रोही चेहरा बता रहे हैं। इसमें क्या माजऱा है जनता के समझ में नहीं आने वाला।

पुरानी मशीनों का क्या हुआ

पिछले दिनों नगर निगम में मेकेनाइज़्ड स्वीपिंग मशीने आई जो शहर की सड़को की सफाई करेगी। किस किस सड़को की सफाई होगी निगम ने तय भी कर दिया है। साथ ही या भी दावा किया जा रहा है कि अब सड़को से धूल उडऩा बंद हो जायेगा। कंपनी ने यह भी दावा किया है कि मशीन से सफाई और वाटरिंग से धूल उडऩा बंद हो जायेगा जैसे बरसात होने पर धूल नहीं उड़ती उसे प्रकार वाटरिंग होने के बाद धूल नहीं उड़ेगी। जनता में खुसुर-फुसुर है कि अरे भई जब सड़को में पाई डालोगे तो धूल क्या धूल का बच्चा भी नहीं उस सकता। रहा सवाल मशीनों से सड़को की सफाई का तो पिछले महापौर द्वारा भी तो रोड स्वीपिंग मशीने मंगाई गई थी कुछ दिन सफाई के बाद मशीने निगम के गैराज में खड़े खड़े कबाड़ में तब्दील हो गई , उन मशीनों का क्या हुआ , कहाँ हैं वो मशीने कोई पूछने वाला नहीं है।

दिल्ली में छत्तीसगढ़ के सियासतदारों का लगा मेला

दिल्ली वापसी के तुरंत बाद फिर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बुलावा आया है। लगता है मंगलवार को हुई बैठक में कोई कसर बाकी रह गया होगा। देर रात 35 विधायकों के दिल्ली रवाना होने की खबर है। वहीं मुख्यमंत्री आज दिल्ली रवाना होने वाले है ऐसी खबर सोशल मीडिया में है। मुख्यमंत्री के साथ मंत्रिपरिषद के सदस्य और विधायक बी जाएंगे। शुक्रवार को दिल्ली में नेताओं का मेला लगाने वाला है।

दो साल पहले ही चुनावी आहट

छत्तीसगढ़ में भले ही चुनाव में अभी बहुत समय है, लेकिन नेतागिरी के चलते जनता में खुसुर-फुसुर शुरू हो गई है कि कहीं चुनाव तो नहीं आ गया है। क्योंकि चुनाव से पहले ही सीडी और वीडियो जारी करने का सिलसिला शुरू हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि जीत के लिए सीडी और वीडियो वायरल करने से चुनाव में आशातीत सफलता मिलती है। जैसा कि 2018 के चुनाव में मिला था। इसी की पुनरावृत्ति चुनाव के दो साल पहले 2021 में ही शुरूआत हो गई है। राजनीतिक पार्टियों के धाकड़ नेताओं ने राजनीति चमकाने और जो ऊपर उठ गए उन नेताओं को नीचे गिराने के लिए फर्जी वीडियो वायरल करने का खेल शुरू हो गया है। जनता को समझ नहीं आ रहा है कि वोट मांगने के लिए राजनीतिक सुचिता का पालन करने के बजाय इस तरह के अनाप-शनाप वीडियो वायरल करने का क्या औचित्य है। दो साल पहले जारी सीडी से सभी नेताओं को सबक लेनी चाहिए, कि राजनीति में किस तरह कौन टारगेट होता है और किसको इसका फायदा मिलता है। क्योंकि ये पब्लिक है सब जानती है?

सांसद फूलोदेवी नेताम और छाया वर्मा से भाजपाइयों में खौफ

राज्य सभा में गत दिनों विपक्षी हंगामा के दौरान छत्तीसगढ़ के सांसदों फूलोदेवी नेताम और छाया वर्मा से दुव्र्यवहार की घटना को लेकर छत्तीसगढ़ में माहौल गरमाया हुआ है। कांग्रेसी और भाजपाई महिला सम्मान को लेकर पिछले एक सप्ताह से बौखलाहट में अपनी लाइन बड़ी करने की गरज से बयानों का पोस्टमार्टम कर वार पर पलटवार का खेल खेल रहे है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी दूध की धुली नहीं है। जब भी मौका मिलता है महिलाओं के अपमान और दुव्र्यवहार से गुरेज नहीं करते है। महिलाएं स्वयं अपनी ताकत से राजनीतिक दुव्र्यवहार का जवाब देने के लिए समक्ष दिखाई देने लगी है। महिलाएं वीरांगना की तरह हर मोर्चे पर पूरी मुस्तैदी से डटी हुई है। जय हो छत्तीसगढ़ महतारी। 

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