डेयरीपालन से स्व-सहायता समूह की महिलाएं संवारेंगी अपनी जिंदगी
डेयरीपालन से स्व-सहायता समूह की महिलाएं संवारेंगी अपनी जिंदगी

सुकमा ।  छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी ग्राम योजना नरवा, गरुवा, घुरुवा एवं बाड़ी योजना अन्तर्गत महिला स्व-सहायता समूह गौठानों मे ही रोजगार मूलक गतिविधियों से जुड़कर आत्म निर्भर और आर्थिक रुप से सशक्त बन रहीं हैं। स्व-सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं न सिर्फ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही है बल्कि, समाज के लिए महिला सशक्तीकरण का जीवंत उदाहरण भी पेश कर रहीं हैं। विकासखंड छिंदगढ़ के ग्राम कांजीपानी मे महिलाएं सफलता की नई कहानी लिखने को आतुर हैं। गौठानों में साग सब्जी उत्पादन, वर्मी खाद निर्माण, मुर्गी पालन जैसी रोजगार मूलक गतिविधियों के साथ अब महिला समूह डेयरी पालन में भी जुड़ रही हैं।

डेयरीपालन कर दूध की बिक्री से आय जुटाकर महिलाएं अब आर्थिक रुप से और भी सुदृढ़ होंगे। पशुधन विकास विभाग सुकमा द्वारा ग्राम कांजीपानी गौठान में पाँच महिला स्व-सहायता समूहों को छत्तीसगढ़ राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत पाँच ईकाई दुधारु गाय प्रदाय किया गया है। रिद्धि, धनबाई, शबरी, वंदना तथा मुंडी माता महिला स्व-सहायता समूहों की महिलाओं का प्रति ईकाई में दो नग कुल 10 नग सहिवाल नस्ल की गाय प्रदान की गई हैं, जिनसे वे दुग्ध उत्पादन कर अतिरिक्त आय कमाने में सक्षम होगी।  

प्रतिमाह लगभग 58 हजार की आय अनुमानित उपसंचालक, पशु चिकित्सा विभाग डॉ.एस जहीरुद्दीन ने बताया कि सहिवाल नस्ल की गाय प्रतिदिन लगभग सोलह लीटर दूध देती हैं, इस प्रकार महिला समूहों को प्रति समूह 58 हजार प्रति माह की अनुमानित आय प्राप्त होगी। उन्होंने बताया कि समूह की महिलाओं को पशुपालन तथा डेयरी पालन के संबंध में सात दिवसीय प्रशिक्षण भी प्रदाय किया गया है ताकि महिलाएं बेहतर तरीके से डेयार पालन कर सकें। डॉक्टरों की क्रय समिति के माध्यम से दुधारू गायों का चयन किया गया, चयनित पशुओं का गठित डॉक्टरों की टीम द्वारा स्वास्थ परीक्षण कर हितग्राहियों को प्रदाय कर योजना का लाभ दिया गया है।