3 वर्षों में बुनकरों को 30 करोड़ 49 लाख 53 हजार की मिली आय
3 वर्षों में बुनकरों को 30 करोड़ 49 लाख 53 हजार की मिली आय

राजनांदगांव । छत्तीसगढ़ में कृषि के बाद आय अर्जित करने का दूसरा प्रमुख क्षेत्र हाथकरघा वस्त्र उत्पादन है। समिति से जुड़े बुनकरों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए शासन द्वारा शासकीय वस्त्र प्रदाय योजनांतर्गत उनके रोजगार का अतिरिक्त जरिया बनाया गया है। जिसके अंतर्गत शासकीय विभागों एवं उपक्रमों को लगने वस्त्रों का उत्पादन प्रदेश के बुनकरों से कराने हेतु नोडल एजेन्सी सचिव छत्तीसगढ़ राज्य हाथकरघा विकास एवं विपणन सहकारी संघ रायपुर एवं छत्तीसगढ़ खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड रायपुर द्वारा कार्य किया जा रहा है। इससे बुनकरों को बुनाई मजदूरी के रूप मे अच्छी आय हो जाती है। राजनांदगांव जिले के बुनकरों के जीवन में परिवर्तन आया है और उनकी आमदनी बढ़ी है। जिले के कारीगरों द्वारा निर्मित उम्दा वस्त्र शासन के प्रयासों से फेबइंडिया में विक्रय के लिए जा रहे हैं तथा आनलाईन मार्केटिंग से भी जोड़ा जा रहा है।

परम्परागत व प्रशिक्षित बुनकर सहकारिता अधिनियम अनुसार प्राथमिक बुनकर सहकारी समिति का गठन पंजीयन कराकर संचालक मंडल में कार्ययोजना तैयार कर निर्णय अनुसार स्वयं का उत्पादन एवं विपणन कार्य करते हैं, ऐसे बुनकरों के हितार्थ प्रशिक्षण, करघा उपकरण, अधोसंरचना निर्माण हेतु योजनायें भी संचालित है जिनका बुनकर लाभ ले रहे हैं। जिले की 39 कार्यशील बुनकर सहकारी समितियों से जुड़े 3 हजार से अधिक बुनकरों द्वारा विगत तीन वर्षों में बुनकरों को 30 करोड़ 49 लाख 53 हजार की आय हुई है। वर्ष 2019-20 में 23 करोड़ 58 लाख 37 हजार रूपए का उत्पादन कर 11 करोड़ 27 लाख रूपए की बुनाई मजदूरी प्राप्त की, वर्ष 2020-21 में 25 करोड़ 87 लाख 17 हजार रूपए का उत्पादन कर 11 करोड़ 70 लाख 41 हजार रूपए की बुनाई मजदूरी प्राप्त की। इसी तरह वर्ष 2021-22 में अक्टूबर तक 16 करोड़ 59 लाख 59 हजार रूपए का उत्पादन कर 7 करोड़ 52 लाख 12 हजार रूपए की बुनाई मजदूरी प्राप्त की। बुनकरों की आश्रिता शत प्रतिशत शासकीय वस्त्र प्रदाय हेतु उत्पादन पर ही न रहे इस हेतु बुनकर सहकारी समितियों के पदाधिकारियों एवं बुनकरों को बाह्य बाजार के लिए स्वयं का उत्पादन विपणन करने हेतु प्रेरित व आवश्यक मार्गदर्शन तथा सहयोग दिया जा रहा है।

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