सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ के दूरस्थ अंचल क्षेत्रों से कैदी के रूप में सजा काट रहे हजारों आदिवासियों को आबकारी एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया गया था. राजनंदगांव, सरगुजा, जशपुर, बस्तर संभाग के जेल में बंद आदिवासी शीघ्रता से रिहा हो सकते हैं.
30 अक्टूबर बुधवार को रायपुर के न्यू सर्किट हाउस में विशेष समिति के बैठक में निर्णय लिया गया है. इस कमिटी के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश ए. के. पटनायक ने कहा कि उनकी समिति ने बस्तर और अन्य आदिवासी क्षेत्रों के आदिवासियों के विरुद्ध प्रकरणों का समीक्षा किया है. जिसमे आबकारी एक्ट के तहत दर्ज मामलों पर विचार विमर्श किया गया. जिसमें तय सीमा से अधिक मात्र में शराब रखने के मामले ज्यादा है.
आदिवासी इलाकों में कानून के जानकार लोग बहुत कम होते हैं. उन्हें इस तरह के नियमों के बारे में भी पता नहीं होता है. इस तरह के मामलों में उन्हें रियायत मिलना चाहिए. इसके साथ नक्सल मामलों में दर्ज किये गए प्रकरण पर भी समीक्षा किया जायेगा.