CG High Court
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हाईकोर्ट का अहम फैसला: गलती की स्वीकृति पर जुर्माना नहीं!

क्या आप जानते हैं कि अगर आपने आयकर रिटर्न भरते समय कोई गलती की है और आपने उसे स्वेच्छा से सुधार लिया है, तो क्या आपको जुर्माना देना होगा? छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक ऐसे ही मामले में एक अहम फैसला सुनाया है जिससे लाखों करदाताओं को राहत मिल सकती है।

छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड का मामला

यह मामला छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (CSPTCL) से जुड़ा है। कंपनी के कर विवरण की जांच के दौरान पता चला कि कंपनी ने अपनी आय की जानकारी देते समय एक छोटी सी गलती कर दी थी। कंपनी ने स्वयं ही यह गलती स्वीकारी और उसे सुधारा। लेकिन, आयकर अधिकारी ने आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 271(1)(सी) के तहत कंपनी पर जुर्माना लगा दिया। इस धारा का इस्तेमाल आम तौर पर जानबूझकर आय छिपाने या गलत जानकारी देने वालों पर किया जाता है।

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हाईकोर्ट ने दिया राहत भरा फैसला

लेकिन, हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया! कोर्ट ने कहा कि जब कोई करदाता अपनी गलती स्वयं स्वीकार करता है और उसमें कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं होता, तो उस पर जुर्माना लगाना उचित नहीं है। यह फैसला उन सभी करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत है जो कभी-कभी गलती से आयकर रिटर्न में गलतियाँ कर देते हैं। कोर्ट ने इस मामले में कहा की डेटा फीडिंग में हुई मानवीय त्रुटि के लिए जुर्माना नहीं लगाया जा सकता। यह फैसला स्पष्ट रूप से बताता है कि स्व-सुधार और ईमानदारी को कानून में महत्व दिया जाता है।

आपके लिए क्या सीख है?

इस मामले से हम सीख सकते हैं कि अगर आपने कभी आयकर रिटर्न भरते समय कोई गलती की है, तो उसे जल्द से जल्द सुधारने की कोशिश करें। अपनी गलती को स्वीकार करें और आयकर विभाग को सही जानकारी दें। यह याद रखना ज़रूरी है कि ईमानदारी और पारदर्शिता ही लंबे समय तक आपको परेशानी से बचा सकती है। अगर आपको कोई संदेह है, तो एक योग्य कर सलाहकार से सलाह अवश्य लें।

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याद रखें, यह जानकारी केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से दी गई है और यह कानूनी सलाह नहीं है। किसी भी कर-संबंधित समस्या के लिए हमेशा एक योग्य कर पेशेवर से सलाह लें।