तिरंगा रैली और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया गया महत्वपूर्ण दिवस
तिरंगा रैली और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ मनाया गया महत्वपूर्ण दिवस

9 अगस्त 2024 को पूरे भारत में विश्व आदिवासी दिवस बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाया गया। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों में कई रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें आदिवासी समुदायों की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित किया गया।

दुर्ग में विशेष आयोजन

छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में इस दिवस को विशेष रूप से मनाया गया। आदिवासी विकास विभाग द्वारा जिले के सभी शासकीय छात्रावासों, प्रयास आवासीय विद्यालय और विज्ञान एवं वाणिज्य शिक्षण केंद्रों में विविध कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों में शामिल थे:

  • आदिवासी महापुरुषों पर शैक्षणिक सत्र
  • सामाजिक और समाज सेवा गतिविधियाँ
  • सांस्कृतिक प्रदर्शन
  • पर्यावरण संरक्षण पर जागरूकता कार्यक्रम
  • पारंपरिक गीत और संगीत प्रस्तुतियाँ
  • आदिवासी नृत्य प्रदर्शन
  • भाषण प्रतियोगिताएँ
  • चित्रकला प्रदर्शनी

पीढ़ीगत ज्ञान का हस्तांतरण

इन कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य था आदिवासी संस्कृति और सभ्यता को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाना। यह प्रयास आदिवासी समुदायों की विरासत को संरक्षित करने और उनकी अनोखी पहचान को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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कांकेर में समावेशी उत्सव

कांकेर में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस की रैली में एक अनूठी पहल देखने को मिली। यहाँ मुस्लिम समुदाय के सदस्यों का भी सम्मान किया गया, जो भारत की विविधता में एकता के सिद्धांत को दर्शाता है।

तिरंगा रैली: देशभक्ति का प्रतीक

इस अवसर पर, सरकार की “हर घर तिरंगा” पहल के अनुरूप, 9 अगस्त को एक भव्य तिरंगा रैली का आयोजन किया गया। यह रैली न केवल आदिवासी गौरव का प्रतीक थी, बल्कि राष्ट्रीय एकता और देशभक्ति का भी एक शक्तिशाली संदेश थी।

गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति

कार्यक्रम में कई प्रमुख व्यक्तित्व उपस्थित थे, जिनमें शामिल थे:

  • अरविंद कुमार एक्का, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी, दुर्ग
  • हेमंत कुमार सिन्हा, सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास
  • समाज के अन्य गणमान्य प्रतिनिधि

इन नेतृत्वकर्ताओं की उपस्थिति ने कार्यक्रम के महत्व को और बढ़ा दिया, साथ ही आदिवासी समुदायों के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया।

विश्व आदिवासी दिवस का यह आयोजन न केवल आदिवासी समुदायों के लिए गर्व का क्षण था, बल्कि यह पूरे देश के लिए अपनी विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाने का अवसर भी था। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारी जड़ें कितनी गहरी और मजबूत हैं, और हमें अपने आदिवासी भाइयों और बहनों के योगदान को सम्मान देने की आवश्यकता है।

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