रविशंकर विश्वविद्यालय में बड़ा बदलाव: कुलसचिव डॉ. शैलेंद्र पटेल हटाए गए!
छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा जगत में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय (पं. रविशंकर विश्वविद्यालय) के कुलसचिव डॉ. शैलेंद्र पटेल को हाईकोर्ट के फैसले के बाद पद से हटा दिया गया है। यह फैसला कई जांचों और विवादों के बाद आया है जो पिछले तीन सालों से चल रहे थे।
तीन जांचों में दोषी पाए गए
यह मामला सिर्फ़ एक पद से हटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और नियमों के पालन पर भी सवाल खड़ा करता है। डॉ. पटेल की नियुक्ति 2022 में हुई थी, लेकिन उनकी योग्यता को लेकर शुरू से ही सवाल उठते रहे। तीन अलग-अलग जांचों में उनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों की सत्यापन में गड़बड़ी पाई गई, जिसके कारण वे अयोग्य घोषित किए गए। ये जाँचें उच्च शिक्षा विभाग द्वारा ही कराई गई थीं।
एक नज़र जांचों पर:
सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि इन तीनों जांचों के बावजूद डॉ. पटेल तीन सालों तक विश्वविद्यालय के महत्वपूर्ण निर्णयों में शामिल रहे। एक जांच में, जो साल 2022 में शुरू हुई थी, पाया गया कि डॉ. पटेल के अनुभव संबंधित 7 बिंदुओं पर प्रस्तुत दस्तावेज़ मान्य नहीं थे। इस जांच में लगभग 5 महीने का समय लगा। यह सवाल उठाता है कि ऐसे गंभीर आरोपों के बाद भी उन्हें क्यों इतने लम्बे समय तक पद पर बनाए रखा गया।
नए कुलसचिव की नियुक्ति:
डॉ. अंबर व्यास, फार्मेसी विभाग के प्रोफेसर, को पं. रविशंकर विश्वविद्यालय का नया कुलसचिव नियुक्त किया गया है। 28 मई की देर रात उच्च शिक्षा विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया। डॉ. पटेल की नई पदस्थापना उच्च शिक्षा विभाग, इंद्रावती भवन में की गई है।
शिक्षा जगत के लिए सबक:
यह घटना हमें शिक्षा जगत में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व की याद दिलाती है। किसी भी संस्थान के प्रशासनिक पदों पर नियुक्तियों में पूर्ण पारदर्शिता होनी चाहिए ताकि ऐसे विवादों से बचा जा सके।