छत्तीसगढ़ में लगभग 200 छोटे स्टील प्लांटों ने हाल ही में बिजली टैरिफ में हुई भारी वृद्धि के विरोध में संचालन बंद करने का निर्णय लिया है। यह वृद्धि 26.67 प्रतिशत की है, जिसके कारण बिजली की लागत प्रति यूनिट ₹6.00 से बढ़कर ₹7.60 हो गई है। इस स्थिति ने राज्य के स्टील उद्योग को गंभीर संकट में डाल दिया है, जिससे लगभग 2 लाख श्रमिकों और उनके परिवारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
टैरिफ वृद्धि का विवरण
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग (CSERC) ने सभी उपभोक्ताओं के लिए 8.35 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की थी, जो 1 जून से प्रभावी हुई। इस वृद्धि ने उद्योग के लिए उत्पादन लागत को बढ़ा दिया है, जिससे कई छोटे प्लांटों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
उद्योग की चिंताएँ
छोटे स्टील प्लांट, जो स्पॉन्ज आयरन से कच्चे माल का उत्पादन करते हैं, अब प्रति टन 1,300 यूनिट बिजली का उपभोग करते हैं, जिसकी लागत पहले लगभग ₹8,000 थी, लेकिन अब यह बढ़कर ₹10,000 हो गई है। उद्योग के प्रतिनिधियों का कहना है कि यह वृद्धि उन्हें वित्तीय रूप से अस्थिर कर रही है।
छत्तीसगढ़ स्पॉन्ज आयरन निर्माताओं के अध्यक्ष अनिल नच्रानी ने कहा कि पिछले 20 वर्षों में ऐसा बंद होना अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि उद्योग ने राहत के लिए कई बार प्रयास किए, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस बीच, कांग्रेस पार्टी ने बिजली टैरिफ वृद्धि के खिलाफ राज्यभर में प्रदर्शन किए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि घरेलू उपभोक्ता, किसान और उद्योगपति इस वृद्धि का खामियाजा भुगत रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़, जो देश के आधे हिस्से को कोयला प्रदान करता है, खुद बिजली कटौती का सामना कर रहा है।
भविष्य की संभावनाएँ
छोटे स्टील प्लांटों के बंद होने से निर्माण सामग्री की कीमतों में वृद्धि और बाजार की आपूर्ति में बाधा आ सकती है। उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन ने कहा कि मुख्यमंत्री को व्यापार मालिकों की मांगों के संबंध में पत्र भेजा गया है, और इस मुद्दे पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।
इस स्थिति का समाधान न होने पर, इन प्लांटों का स्थायी रूप से बंद होना भी संभव है, जिससे छत्तीसगढ़ के औद्योगिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ का स्टील उद्योग, जो देश में दूसरे स्थान पर है, अब अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है। सरकार की ओर से जल्द ही कोई ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है, ताकि इस संकट का समाधान किया जा सके और उद्योग को पुनर्जीवित किया जा सके।