छत्तीसगढ़ में जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन: इतिहास, संस्कृति और योगदान का जश्न!
छत्तीसगढ़ में जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन: इतिहास, संस्कृति और योगदान का जश्न!

रायपुर: छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (CSVTU), भिलाई के तत्वावधान में, शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, रायपुर में जनजातीय गौरव दिवस के निमित्त एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य जनजातीय समाज के ऐतिहासिक, सामाजिक और आध्यात्मिक योगदान को सामने लाना था।

रानी दुर्गावती और बिरसा मुंडा को समर्पित:

यह कार्यक्रम रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती (5 अक्टूबर) और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती (15 नवंबर) को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया गया। इस अवसर पर पूरे राज्य में 5 अक्टूबर से 15 नवंबर तक 40 दिनों तक विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे। इन कार्यक्रमों के माध्यम से जनजातीय समाज के गौरवशाली अतीत, उनके सामाजिक मूल्यों और स्वतंत्रता आंदोलनों में महत्त्वपूर्ण भूमिका को समाज के सामने लाया जाएगा।

विशिष्ट व्यक्तियों का सहभागिता:

इस कार्यशाला में राज्यभर के विभिन्न इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निकल एवं आईटीआई संस्थानों के समन्वयक एवं प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा थे। मुख्य प्रशिक्षक एवं वक्ता के रूप में बस्तर से आए रामनाथ कश्यप और सामाजिक कार्यकर्ता वैभव सुरंगे ने जनजातीय समाज के ऐतिहासिक, सामाजिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर गहन प्रकाश डाला। कार्यक्रम स्थल पर जनजाति नायकों की सुंदर प्रदर्शनी भी लगाई गई जो विद्यार्थियों व प्राध्यापकों के बीच में आकर्षण का केंद्र रही।

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विभिन्न संस्थानों का सहयोग:

इस कार्यक्रम में CSVTU के कुलपति प्रो. एम. के. वर्मा, वनवासी विकास समिति के प्रांत अध्यक्ष श्री उमेश कच्छप, रजिस्ट्रार प्रो. अंकित अरोड़ा, शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एम.आर. खान, डॉ अनुराग जैन प्रांत सचिव वनवासी विकास समिति, टेक्निकल एजुकेशन के उप संचालक और राष्ट्रीय सेवा योजना के अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन राजीव शर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर जनजाति छात्राओं द्वारा आकर्षक स्वागत नृत्य की प्रस्तुति भी की गई।

समाज को जोड़ने का प्रयास:

यह कार्यक्रम सरगुजा, बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग और बस्तर संभाग से बड़ी संख्या में अध्येताओं और छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जनजातीय समाज के इतिहास और योगदान के बारे में जागरूकता फैलाना और समाज को एकजुट करना है।

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