घर-घर जाकर होगी प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली
घर-घर जाकर होगी प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली

रायपुर । रायपुर सहित राज्य के छोटे-बड़े निकायों में अब बिलासपुर, दुर्ग-भिलाई की तर्ज पर प्रॉपर्टी टैक्स की वसूली का जिम्मा प्राइवेट एजेंसी को सौंपने की तैयारी है। ठेका कंपनी के नुमाइंदे घर-घर दस्तक देकर प्रॉपर्टी टैक्स वसूल करेंगे। नगरीय प्रशासन विभाग ने इसके लिए टेंडर निकाल दिया है। हालांकि निगम प्रशासन एक बार पहले भी नगरीय प्रशासन विभाग के इस प्रस्ताव को खारिज कर चुका है। निगम इसे फिजूल खर्ची मानता है। नगरीय प्रशासन विभाग ने राज्य के छोटे-बड़े निकायों के लिए इसी सिस्टम के लिए फिर से टेंडर जारी किया है। रायपुर नगर निगम प्रशासन का तर्क है कि यहां लोग खुद ही प्रॉपर्टी टैक्स अदा करते हैं। निगम का राजस्व अमला इसके लिए सक्षम है।

यही वजह है कि यहां हर साल राजस्व में बढ़ोतरी भी हो रही है। उस समय ये भी तर्क दिया गया था कि जब निगम टैक्स वसूली में सक्षम है तो प्राइवेट एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपना फिजूल खर्ची होगी। अनावश्यक ही एजेंसी को करोड़ों बतौर कमीशन देना होगा। इसी आधार पर पिछले प्रस्ताव को खारिज किया गया था। इसके बाद भी नगरीय निकाय पिछले कुछ महीनों से लगातार टेंडर जारी कर रहा है। टेंडर में एक भी कंपनी ने हिस्सा नहीं लिया। इस वजह से अब 27 नवंबर 2021 को नया टेंडर निकाल दिया गया है। नए टेंडर के अनुसार ठेका लेने के लिए इच्छुक कंपनियां 8 दिसंबर तक टेंडर सबमिट कर सकती हैं। उसके बाद किसी का टेंडर स्वीकार नहीं किया जाएगा। नगर निगम के राजस्व विभाग ने करीब सालभर पहले एमआईसी में इस संबंध में प्रस्ताव लाया था। एमआईसी के सभी सदस्यों ने इस प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया था। सभी का कहना था इस सिस्टम की रायपुर में काेई जरूरत नहीं है।

प्रदेश के अन्य निकायों की तुलना में राजस्व के मामले में रायपुर बेहतर है। अपने ज्यादातर खर्चों के लिए निगम को शासन पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। निगम को जितना संपत्तिकर व अन्य मदों से राजस्व प्राप्त होता है, उसी से जरूरी सभी खर्चे पूरे हो रहे हैं। उसके बाद प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया था। महापौर एजाज ढेबर का कहना है कि रायपुर नगर निगम संपत्तिकर वसूलने में सक्षम है। हर साल संपत्तिकर में न्यूनतम 10 फीसदी की वृद्धि हो रही है। कुल राजस्व भी पिछले साल 229.50 करोड़ वसूला गया था। यह 2019-20 की तुलना में आठ करोड़ से अधिक है। इसलिए निजी एजेंसियों की जरूरत ही नहीं है। यदि निजी एजेंसी को हायर किया जाता है तो हमारा खर्च बढ़ेगा।

नगरीय प्रशासन विभाग एजेंसी नियुक्त देगी, लेकिन भुगतान तो निगम को ही करना पड़ेगा। निगम के दायरे में करीब 3.08 लाख मकान है। इनमें से 2 लाख 46 हजार मकानों से प्रॉपर्टी टैक्स मिल रहा है। निगम अफसरों का दावा है कि बमुश्किल 50 हजार मकानों से ही टैक्स या तो प्राप्त नहीं हो रहा है या बकाया है। बाकी मकानों से भी टैक्स वसूली के प्रयास किए जा रहे हैं। करीब छह महीने पहले मेयर इन काउंसिल की बैठक में निर्णय लिया गया था कि लोगों को संपत्तिकर सुधारने के लिए स्व विवरणी फार्म दिया जाएगा। उसके बाद लोग अपने टैक्स का निर्धारण खुद कर सकेंगे। इस फॉर्म को भरकर वे जोन दफ्तरों में जमा करेंगे। इस तरह निर्धारित टैक्स ही लोगों को देना होगा।

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