Gauthan, राज्य के 2029 गौठान हुए स्वावलंबी
Gauthan, राज्य के 2029 गौठान हुए स्वावलंबी

महासमुंद। महासमुंद ज़िले में गौठानों का क्लस्टर बना कर गोवंश की और बेहतर तरीके से देखभाल की अभिनव पहल शुरू की गयी है। मवेशियों को गौठानों में रोज़ नियमित रूप से सुरक्षित लाने-ले जाने के लिए चरवाहों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

प्रशिक्षण कृषि विभाग एवं पशु चिकित्सा द्वारा दिया जा रहा है। चरवाहों में प्रशिक्षण को लेकर अच्छा ख़ासा उत्साह देखने मिल रहा है। गौठानों की समितियो से सक्रिय रूप से जुड़े हुए चरवाहों को प्रशिक्षित करने से गोवंश की देखभाल गौठान व चारागाह के माध्यम से करने पर खेतो में किसान की फसल की रक्षा हो सकेगी। इससे रोका छेका अभियान को मदद मिल सकेगी। प्रशिक्षण के दौरान चरवाहों को वे सभी जरूरी बातें बताई जा रही है जो एक चरवाहे के लिए जरूरी होती है।

वही प्रशिक्षण के दौरान चरवाहों को परिचय पत्र (आई.डी. कार्ड) के साथ उन्हें श्रीफल देकर सम्मानित किया जा रहा है। कलेक्टर श्री डोमन सिंह ने बागबाहरा के ग्राम धरमपुर में चरवाहा प्रशिक्षण कार्यक्रम का सोमवार को अवलोकन के दौरान चरवाहों का सम्मान किया।

प्रशिक्षण में 13 गौठानों की समिति के सदस्य चरवाहे एवं संबंधित ग्राम पंचायत के सचिव शामिल हुए। कलेक्टर ने मवेशियों के लिए चारे-पानी की व्यवस्था का पूरा ध्यान ख़ासकर गर्मी के दिनों में ज्यादा रखने की बात कही। प्रथम चरण में प्रशिक्षण का कार्यक्रम बागबाहरा के ग्राम धरमपुर में था। कलेक्टर ने चरवाहों से बातचीत की। उनके पूछने पर चरवाहे आत्माराम ने 40 क्विंटल से ज्यादा गोबर विक्रय की जानकारी कलेक्टर को दी। ग्राम घोटियापानी के चरवाहे टेकुराम ने इस प्रशिक्षण को गौठान विकास के लिए बहुत उपयोगी बताया।

कलेक्टर श्री सिंह ने कहा कि गांव की पहचान खेती-किसानी के साथ ही मवेशियों से भी है। मवेशियों के होने से ही फसल उत्पादन में वृद्धि संभव है। गौठान में गायों के रहने से खेत में लगी फसल सुरक्षित रहेगी। इसके लिए खेत को घेरने की आवश्यकता नहीं होगी। गौठान में पानी, चारा, छांव आदि की व्यवस्था होने से मवेशी गौठान की ओर आकर्षित होंगे। इसलिए गौठान में चरवाहों की व्यवस्था की गयी है। उन्हें प्रशिक्षण के दौरान मवेशियों के मौसमी बीमारी, बीमार पशुओं की पहचान एवं अन्य रोगों के साथ उपचार की भी जानकारी देना प्रशिक्षण का हिस्सा है।

उन्हें गौठानों की गतिविधियों के बारे में भी वाकिफ कराया जा रहा है। चरवाहे भी सरकार के अंग है। इनका प्रशिक्षित होना भी ज़रूरी है। उन्हें रोज़गार भी मिला है। जिसके लिए मानदेय की व्यवस्था भी गौठान की आमदनी से होगी। उन्होंने एक अच्छे चरवाहा के लिए ज़रूरी टिप्स भी दिए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी भी कार्य अच्छे से सम्पादन निपुणता के साथ करने मेें अभिवृद्धि होती है। प्रशिक्षण एक अल्पकालीन शैक्षणिक प्रक्रिया है तथा जिसमें एक व्यवस्थित एवं संगठित कार्य-प्रणाली उपयोग में लायी जाती हैं, जिसके द्वारा एक कर्मचारी किसी निश्चित उद्देश्य के लिए तकनीकी ज्ञान एवं निपुणताओं को सीखता है। हमारा प्रशिक्षण का भी यही उद्देश्य है।

उन्होंने कहा गौठनो में गायों के गोबर से वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार किया जा रहा है। उन्होंने गरूवा, घुरवा, नरवा और बाड़ी के बेहतर प्रबंधन के लिए ग्रामीणों से सुझाव भी लिये और ग्रामीण महिलाओं को स्व-सहायता समिति के माध्यम से कार्य करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने ग्रामीणों को जैविक खाद का महत्व बताया। उन्होंने किसानों से कहा कि फसल अपशिष्ट पैरा को खेत में जलाकर नष्ट न करें। पैरा को गौठान में दान करे। इससे गौठान में चारा की व्यवस्था हो जाएगी।

उन्होंने धरमपुर में बनाए गए गौठान का भ्रमण कर कोटना, पानी की व्यवस्था, शेड, चारागाह आदि का निरीक्षण किया। इस अवसर पर बागबाहरा अनुविभाग के एस.डी.एम. श्री राकेश कुमार गोलछा, मुख्य कार्यपालन अधिकारी सुश्री पूजा बंसल, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी श्री एच.आर. देवांगन, ग्राम के सरपंच श्रीमती कामिनी चंद्राकर उपस्थित रही।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *