रायपुर । ग्रामीण क्षेत्रों में खेती-किसानी के साथ-साथ पशुपालन आय का महत्वपूर्ण जरिया है। पशुधन विकास विभाग द्वारा ग्रामीणों को कुक्कुट एवं पशुपालन के लिए प्रोत्साहन देने के साथ ही आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने हेतु लगातार प्रयास किया जा रहा है।

राज्य के सुदूर वनांचल के सुकमा जिले में पशुधन विकास विभाग द्वारा जिले के कृषकों और पशुपालकों को पशुपालन के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही आर्थिक रुप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से व्यक्ति मूलक योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ सुनिश्चित किया जा रहा है।

पशुधन विकास विभाग सुकमा द्वारा वर्ष 2020-21 में बकरी पालन योजना के तहत 130 स्व-सहायता समूहों की महिला हितग्राहियों लाभान्वित किया गया। कुक्कुट पालन योजना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से महिला स्व-सहायता समूहों को 28 दिवसीय चूजें एवं कुक्कुट आहार भी प्रदाय किये गए।

जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान मंे वितरित चूजों के अच्छे रख-रखाव से वृद्धि पश्चात मुर्गियों को 450 से 500 रूपये प्रति किलो की दर से एवं उत्पादित अंडो को पांच से छह रूपये प्रति नग की दर से स्थानीय ग्रामों, हाट बाजारों में विक्रय कर अपनी आर्थिक स्थिति को सशक्त बना रहे है।

राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत अनुदान पर 6 हितग्राहियों को उन्नत नस्ल की दुधारू गाय दी गई है, जिनसे दुग्ध उत्पादन कर वह अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे है।

उपसंचालक, पशुधन विकास विभाग सुकमा ने बताया कि छत्तीसगढ़ शासन पशुधन विकास विभाग द्वारा संचालित विभागीय व्यक्ति मूलक योजनाओं के अंतर्गत बैकयार्ड कुक्कुट पालन योजना अंतर्गत 350 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया।

इसी प्रकार सुकरत्रयी वितरण योजना के 15, सांड वितरण योजना के 03, मादावत्स पालन योजना के 12, नर बकरा वितरण योजना के 36 एवं बकरी पालन योजना के 130 हितग्राहियों को लाभान्वित किया गया।

उपसंचालक पशु चिकित्सा सेवाएं सुकमा से प्राप्त जानकारी के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष में विभिन्न व्यक्तिमूलक जनकल्याणकारी योजना अंतर्गत बैकयार्ड कुक्कुट पालन 447, नर बकरा वितरण 100, सुकरत्रयी वितरण-20, सांड वितरण 04, मादा वत्सपालन 06, राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना के तहत 06 हितग्राहियों को लाभान्वित किए जाने का लक्ष्य है। जिसकी पूर्ति हेतु हितग्राहियों के नामों का चयन एवं अनुमोदन किया जा चुका है।

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