पुष्पा ने गोबर, केंचुआ और जैविक खाद बेचकर कमाए तीन लाख रुपये
पुष्पा ने गोबर, केंचुआ और जैविक खाद बेचकर कमाए तीन लाख रुपये

रायपुर । छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए गांवों में निर्मित गौठान और साल भर पहले शुरू हुई गोधन न्याय योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एक नया संबल मिला है। यह योजना ग्रामीणों की अतिरिक्त आय का जरिया बन गया है। जांजगीर-चांपा जिले के एक छोटे से गांव बहेराडीह की महिला किसान श्रीमती पुष्पा यादव को गोधन न्याय योजना से सफलता की राह मिल गई है। इस योजना के तहत उन्होंने गांव के गौठान में एक वर्ष में 165 क्विंटल गोबर बेचकर 33 हजार रूपए की आय अर्जित की है। इसके अलावा  उन्हें केंचुआ पालन और ट्राइकोडर्मा युक्त वर्मीकम्पोस्ट से सालभर में ही 03 लाख रुपये से अधिक आमदनी प्राप्त हुई है। इससे पता चलता है कि वास्तव में गौठान अब ग्रामीण की आजीविका का नया ठौर बनते जा रहे हैं।
श्रीमती यादव ने बताया कि वह बिहान कार्यक्रम में नारी शक्ति महिला ग्राम संगठन बहेराडीह की सचिव है। साथ ही वह 10 सदस्यों के साथ गंगे मईय्या स्व सहायता समूह संचालित कर रही है। उसे केंचुआ पालन व्यवसाय से जुड़ी हैं।

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वह शासकीय दर 262 रुपये प्रति किलो के हिसाब से ऐसिनिया फोडिडा किस्म का केचुआ बेच रही हैं। जिला पंचायत, कृषि विभाग, उद्यान विभाग, पशुधन विकास विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से जिले के अलावा अन्य सात जिलों से गौठान तथा सामाजिक संस्थाओं से सप्लाई ऑर्डर मिला है। सबसे ज्यादा सप्लाई ऑर्डर कोरबा नगर निगम और कृषि विभाग से मिला है। उन्होंने बताया कि उनके पास अभी छः देशी गाय है। डेयरी व्यवसाय विस्तार के लिए उसने गौशाला का निर्माण किया है। उन्होंने क्रेडा विभाग की योजना से दीनबंधु मॉडल के दो गोबर गैस संयंत्र भी बनवाये हैं। इस संयंत्र से घर में दस लोगों के लिए रोज का भोजन तैयार हो जाता है। श्रीमती यादव की सफलता से गांव की अन्य महिलाएं भी प्रेरित हुई हैं। गोधन न्याय योजना से गौपालकों का उत्साह बढ़ा है। श्रीमती पुष्पा ने कहा कि गौठानों में महिला समूहों द्वारा जिस लगन और मेहनत के साथ आय मूलक गतिविधियां सफलतापूर्वक संचालित की जा रही है। वह अपने आप में बेमिसाल है। 

 

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