छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने निवास पर हरेली तिहार को भव्य रूप से मनाया। इस अवसर पर उन्होंने किसानों को एक विशेष उपहार देते हुए 23 ट्रैक्टर और एक हार्वेस्टर का वितरण किया। यह कदम राज्य सरकार की कृषि क्षेत्र को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

हरेली तिहार, जो छत्तीसगढ़ का पहला पारंपरिक त्योहार है, किसानों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन, किसान अपने कृषि उपकरणों की पूजा करते हैं और अच्छी फसल की कामना करते हैं। मुख्यमंत्री साय ने इस अवसर का उपयोग किसानों के कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं करने के लिए किया।

मुख्यमंत्री निवास में आयोजित समारोह में, साय ने अपनी पत्नी कौशल्या साय और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ तुलसी माता, नांगर, और गेड़ी की पारंपरिक पूजा की। उन्होंने राज्य के लोगों की समृद्धि और किसानों की समृद्ध फसल के लिए प्रार्थना की।

समारोह की एक विशेष विशेषता थी राउत नाचा कलाकारों का प्रदर्शन। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ी पारंपरिक वेशभूषा पहनी, जो स्थानीय संस्कृति के प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है।

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अपने संबोधन में, साय ने कहा, “छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। हमारी लगभग 80% आबादी कृषि पर निर्भर है। इसलिए, हमारी सरकार किसानों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।”

उन्होंने कृषि यांत्रिकीकरण सब मिशन योजना के तहत किसानों को ट्रैक्टर और अन्य कृषि उपकरण वितरित किए। यह पहल किसानों की उत्पादकता बढ़ाने और उनकी आय में वृद्धि करने में मदद करेगी।

समारोह में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, और कृषि मंत्री रामविचार नेताम जैसे कई वरिष्ठ नेता उपस्थित थे। उन्होंने भी किसानों के कल्याण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

इस अवसर पर, मुख्यमंत्री निवास में विशेष छत्तीसगढ़ी व्यंजन जैसे ठेठरी, खुरमी, पिड़िया, और अनरसा परोसे गए। यह राज्य की समृद्ध खाद्य संस्कृति का प्रदर्शन था।

साय ने यह भी घोषणा की कि वे अगले दिन भोरमदेव मंदिर के दर्शन करेंगे और कावड़ियों पर पुष्प वर्षा करेंगे, जो सावन के महीने में एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है।

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इस तरह, हरेली तिहार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति, कृषि और राजनीति के बीच एक सुंदर तालमेल प्रदर्शित किया। यह त्योहार न केवल किसानों के लिए आशीर्वाद का प्रतीक है, बल्कि राज्य सरकार के लिए कृषि क्षेत्र में नए सुधारों और पहलों की घोषणा करने का एक मंच भी है।

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