छत्तीसगढ़ में लोक वाद्य कार्यशाला का आयोजन और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता विनोद कुमार शुक्ल को सम्मान
छत्तीसगढ़ की संस्कृति का जश्न: लोक वाद्य कार्यशाला और ज्ञानपीठ सम्मान
छत्तीसगढ़ में कला और साहित्य का एक अनोखा संगम देखने को मिल रहा है! एक तरफ, दस दिवसीय लोक वाद्य कार्यशाला-शिविर का आयोजन हो रहा है, और दूसरी तरफ, ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता विनोद कुमार शुक्ल को सम्मानित किया जा रहा है।
लोक वाद्य कार्यशाला: छत्तीसगढ़ की धरोहर को सहेजना
कुहुकी एवं लोक रागिती सांस्कृतिक संस्था और छत्तीसगढ़ शासन के संस्कृति विभाग के संयुक्त प्रयास से 2 जून से 10 जून तक कुहुकी कलाग्राम संग्रहालय परिसर, मरोदा सेक्टर मैत्री बाग में एक कार्यशाला आयोजित की जा रही है। यह कार्यशाला छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक संगीत परंपरा को जीवित रखने का एक अद्भुत प्रयास है।
प्रख्यात लोकवाद्य संग्राहक रिखी क्षत्रिय के अनुसार, इस कार्यशाला में खंजेरी, तंबूरा, गतका, तुरही, चरहे, चिटकुली, कुहुकी और रूंजु जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्र बनाना सिखाया जाएगा। कोंडागांव, नारायणपुर, लोहारा, खैरागढ़ बालोद और बस्तर से आए हुए अनुभवी कलाकार इस कार्यशाला में प्रशिक्षण देंगे। यह एक ऐसा अवसर है जिसे कोई भी संगीत प्रेमी या पारंपरिक कलाओं में रुचि रखने वाला व्यक्ति नहीं गवा सकता! यदि आप भी इसमें भाग लेना चाहते हैं, तो अवश्य ही संपर्क करें।
ज्ञानपीठ विजेता विनोद कुमार शुक्ल को सम्मान
दूसरी ओर, विनोद कुमार शुक्ल जी को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किए जाने पर पूरे छत्तीसगढ़ में खुशी की लहर है। यह पुरस्कार उनके साहित्यिक योगदान की मान्यता है, उनके अद्भुत लेखन कौशल की पहचान है। डॉ. महेश चन्द्र शर्मा ने रायपुर जाकर श्री शुक्ल जी को सम्मानित किया और आशीर्वाद दिया।
विनोद कुमार शुक्ल जी की कृतियाँ जैसे “नौकर की कमीज़”, “दीवार में एक खिड़की रहती थी”, और “सब कुछ होना बचा रहेगा” समाज के प्रति उनकी गहरी समझ और मानवीय संवेदनाओं को दर्शाती हैं। उनके लेखन में मौलिकता, गहराई और मानवीय सरोकारों का अद्भुत संगम है। यह पुरस्कार न केवल उनके लिए बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ी साहित्य के लिए एक गौरवशाली क्षण है। आइये, हम सभी मिलकर विनोद कुमार शुक्ल जी को बधाई दें और उनके साहित्यिक योगदान को सलाम करें।
यह कार्यशाला और सम्मान समारोह छत्तीसगढ़ की कला और साहित्यिक समृद्धि का प्रमाण हैं। आइये, हम सब मिलकर इन उत्सवों को यादगार बनायें।