रायपुर के शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय में हर पुष्य नक्षत्र में आयोजित होने वाले स्वर्णप्राशन कार्यक्रम ने राष्ट्रीय आयुष मिशन की टीम को प्रभावित किया है. दिल्ली से आई टीम ने चिकित्सालय का दौरा किया और स्वर्णप्राशन के दौरान 1660 बच्चों की जांच की. टीम ने आयुर्वेद कॉलेज के चिकित्सकों से इस कार्यक्रम के प्रभावों पर अध्ययन करने को कहा.
स्वर्णप्राशन का सकारात्मक प्रभाव
स्वर्णप्राशन समन्वयक डॉ. लवकेश चन्द्रवंशी ने बताया कि नियमित रूप से स्वर्णप्राशन लेने वाले बच्चों में सकारात्मक बदलाव देखे जा रहे हैं. इनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है, साथ ही इनका शारीरिक और मानसिक विकास भी बेहतर हो रहा है. महाविद्यालय द्वारा बच्चों पर इस कार्यक्रम के प्रभावों का लगातार अध्ययन किया जा रहा है.
आयुष विभाग के निर्देशन में स्वर्णप्राशन
आयुष विभाग की संचालक सुश्री इफ्फत आरा, प्राचार्य प्रो. डॉ. जी.आर. चतुर्वेदी, चिकित्सालय अधीक्षक प्रो. डॉ. प्रवीण कुमार जोशी और कौमारभृत्य विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. नीरज अग्रवाल के निर्देशन में स्वर्णप्राशन कराया गया. डॉ. लवकेश चंद्रवंशी ने स्वर्णप्राशन के साथ ही बच्चों के स्वास्थ्य का भी परीक्षण किया. महाविद्यालय के स्नातकोत्तर एवं स्नातक छात्र-छात्राएं भी इस कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं.
इस वर्ष के अन्य पुष्य नक्षत्र में स्वर्णप्राशन
आयुर्वेद महाविद्यालय चिकित्सालय द्वारा इस वर्ष की अन्य पुष्य नक्षत्र तिथियों 25 जनवरी, 21 फरवरी, 18 मार्च, 16 अप्रैल, 13 मई, 10 जून, 8 जुलाई और 3 अगस्त को क्रमशः 1235, 1420, 1720, 1410, 1256, 1802, 1342 और 1370 बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया गया था.