Chhattisgarh: रसोई गैस का विकल्प बन रही बायोगैस, अब महंगी गैस से मिलेगी निजात
Chhattisgarh: रसोई गैस का विकल्प बन रही बायोगैस, अब महंगी

बिलासपुर। महंगी होती जा रही रसोई गैस का बायोगैस तेजी के साथ विकल्प बनती जा रही है। इसकी महत्ता कोटा ब्लाक के दूरस्थ वनांचलों में रहने वाले वनवासियों ने पहले ही समझ ली है। 12 गांवों के 158 घरों में बायोगैस संयंत्र की लौ में दोनों वक्त का भोजन बन रहा है। दो घनमीटर बायो गैस संयंत्र की स्थापना में लगभग 50 किलोग्राम गोबर की जरूरत पड़ती है। इससे पांच से आठ सदस्यों के लिए भोजन बन जाता है।

ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को धुएं से मिलेगी मुक्ति

ग्रामीण इलाकों में संयंत्र लगने से लकड़ी कटाई पर रोक लगेगी व महिलाओं को धुएं से मुक्ति मिलेगी। लकड़ी और कंडा (गोबर का उपला) के जलने से होने वाला प्रदूषण भी नहीं होगा। छत्तीसगढ़ के कोटा ब्लाक के दूरस्थ ग्राम में रहने वाले वनवासी क्रेडा की मदद से अपने घर की बाड़ी या फिर खाली जगह पर बायोगैस प्लांट लगाकर बायोगैस बना रहे हैं और इस गैस से दोनों वक्त आराम से भोजन बना रहे हैं। धुआं और ना ही जंगल से लकड़ी इकठ्ठा करने का झंझट..।

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रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के कारण गैस सिलिंडर गरीबों के पहुंच से दूर

खासकर बारिश के दिनों में लकड़ी और कंडा इकठ्ठा करना बहुत ही कठिन काम है। बारिश में लकड़ी के भीगे होने के कारण भोजन बनाने में भी दिक्कत होती है। मिट्टी के चूल्हा और लकड़ी से ग्रामीण महिलाओं को निजात दिलाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का संचालन भी किया जा रहा है। रसोई गैस की बढ़ती कीमतों के कारण गैस सिलिंडर गरीबों के पहुंच से दूर होते जा रही है।

दो घनमीटर का बायोगैस संयंत्र रसोई गैस सिलिंडर का बेहतर विकल्प

दो घनमीटर का संयंत्र बेहतर छोटे परिवार के लिए दो घनमीटर का बायोगैस संयंत्र रसोई गैस सिलिंडर का बेहतर विकल्प के रूप में सामने आया है। इसमें प्रतिदिन 50 किलोग्राम गोबर को घोल बनाकर संयंत्र में डालना होता है। घोल डालने के तकरीबन डेढ़ घंटे बाद इसमें बायोगैस बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसके बाद इसका उपयोग कर सकते हैं।

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संयंत्र से निकलने वाली जैविक खाद बेहद उपयोगी

संयंत्र से निकलने वाली जैविक खाद बेहद उपयोगी है। भूमि के लिए भरपूर मात्रा में पोषक तत्व की मौजूदगी रहती है। यह पर्यावरण के लिए अनुकूल है- डाॅ. आरकेएस तिवारी, अधिष्ठाता, ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर।

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