कोयला संकट से जूझ रहे ताप विद्युत संयंत्र और रोलिंग मिल
कोयला संकट से जूझ रहे ताप विद्युत संयंत्र और रोलिंग मिल

रायपुर। कोयले की उपलब्धता घटने से ताप विद्युत संयंत्रों के साथ-साथ रोलिंग मिलों पर भी असर पड़ने लगा है । देश के तमाम ताप विद्युत संयंत्रों के पास सितंबर महीने के अंत तक केवल चार दिन का कोयला उपलब्ध था । वहीं कोयले की अनुपलब्धता की वजह से प्रदेश के रोलिंग मिलों को बंद करने की नौबत आ गई है ।जानकारी के अनुसार, देश के ताप विद्युत संयंत्रों में अगस्त महीने के शुरू में 13 दिन के कोयले से घटते-घटते सितंबर महीने के अंत तक महज चार दिन का ही कोयला बाकी था । आशंका है कि कोयले के इस संकट का असर अगले छह महीनों तक बरकरार रहेगा ।

कोयले के संकट को देखते हुए ताप विद्युत संयंत्र प्रबंधन ने अलर्ट जारी कर दिया है। वहीं कोयले के संकट से जूझ रहे रोलिंग मिलों की स्थिति ठीक नहीं है । छत्तीसगढ़ स्टील रि रोलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल, उपाध्यक्ष संजय त्रिपाठी एवं कोषाध्यक्ष ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि रोलिंग मिलों की परेशानियों के संबंध में उद्योग विभाग के अधिकारियों के साथ ही छत्तीसगढ़ विद्युत नियामक आयोग में भी गुहार लगा चुके हैं । इस मामले में बीएसपी के उच्चाधिकारियों को भी चिट्ठी लिखी जा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है ।

एसइसीएल से कोयला नहीं मिलने का कारण उद्योगपति इन दिनों इंडोनेशिया से कोयला मंगा रहे है । आयातित कोयले के कारण ही उनका काम चल जा रहा है । इस गंभीर विषय पर चर्चा के लिए उद्योग मंत्री कवासी लखमा से 7 अक्टूबर की मुलाकात का समय निर्धारित है, इसके साथ प्रमुख सचिव उद्योग मनोज कुमार पिंगुआ को मुलाकात के लिए पत्र लिखा है । रोलिंग मिल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि छह माह में कोयला छह हजार से 16 हजार रुपये पहुंच गया है । इसके बाजवूद उन्हें एसइसीएल से कोयला नहीं मिल पा रहा है । रोलिंग मिल संचालकों का कहना है कि कोयले की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता के लिए एक नोडल एजेंसी बनाई जानी चाहिए. पांच साल पहले यह व्यवस्था थी, लेकिन बीते तीन सालों से बंद हो गई है ।

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