बिलासपुर । छठ पर्व पर मंगलवार को व्रतियों ने मिट्टी के चूल्हे में खरना का प्रसाद बनाकर ग्रहण किया। इसके साथ ही 36 घंटे का कठिन व्रत शुरू हुआ हो गया है। बुधवार की शाम छठ घाट में सामूहिक रूप से डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा-अर्चना की जाएगी। दूसरे दिन सुबह के पहर में उगते सूर्य की आराधना के साथ पर्व का समापन होगा। बिलासपुर में भी छठ पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। देश के सबसे बड़े छठ घाट में शामिल अरपा नदी किनारे भी व्रती महिलाओं की आस्था का सैलाब उमड़ा है। तोरवा घाट पर 50 हजार से अधिक व्रती महिलाएं सात्विक महा पर्व को मनाने पहुंचती हैं और सूर्य को अर्ध्य देती हैं।
छठ पर्व चार दिन का होता है। इस बार सोमवार से नहाय खाय और अरपा स्थित छठ घाट में महाआरती के साथ पर्व की शुरुआत की गई। व्रती महिलाएं पूरे दिन इसकी तैयारी में जुटी रहीं। देर शाम खरना का प्रसाद ग्रहण करने के साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू किया गया। जो 11 नवंबर की सुबह तक रहेगा। 10 नवंबर बुधवार की शाम डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर सूर्य देव की आराधना की जाएगी। इसी तरह 11 नवंबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व पर व्रत का पारण करेंगी। छठ पूजा के लिए तोरवा छठ घाट सज कर तैयार है।
यहां समिति ने आकर्षक लाइटिंग और साज-सज्जा कराई है। व्रत के लिए खुद को शुद्ध रखने पहले दिन लौकी और चने की सब्जी का सेवन किया गया। इसके बाद मंगलवार को छठ व्रतियों ने देर शाम अंधेरा होते ही मिट्टी के नये चूल्हे पर आम की लकड़ी से खरना का प्रसाद बनाया। यह प्रसाद छठी मैया के गीत गाते हुए ..भक्ति भाव के साथ चावल और गुड़ से बनाया गया। प्रसाद बनाया गया। फिर छठ माता की आराधना उसका ग्रहण किया। इसके बाद घर के सभी सदस्य छठ व्रती का आशीर्वाद लेते हुए गुड़ के बने प्रसाद को ग्रहण किया। गुड के बने प्रसाद के पीछे मान्यता है कि गुड़ की तासीर गर्म होती है और सर्दी के मौसम में इसका सेवन करने से अंदर के विकार निकलते हैं। शाम के समय गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद तैयार कर ग्रहण किया।