डेढ़ घंटे हुए चक्काजाम ने प्रशासन के कर दिए दांत खट्टे
डेढ़ घंटे हुए चक्काजाम ने प्रशासन के कर दिए दांत खट्टे

चांपा। शहर की जनता मनीष सेन और नगपत शर्मा ने जो पहल की, उसका आज सबके सामने है। दो दिन अनशन और आमरण अनशन के बाद आज हुए चक्काजाम में जिस तरह पूरी शहर की जनता की भीड़ उमड़ी, उससे प्रशासन को झुकना पड़ गया। बेरियर चौक के पास रोड को समतल कर लगातार पानी का छिड़काव किया जा रहा है, तो वहीं 12 अक्टूबर से जांजगीर से चांपा तक खराब सड़क पर डामर चढ़ाने के आश्वासन के बाद ही चक्काजाम समाप्त हुआ। इस बीच करीब डेढ़ घंटे तक चक्काजाम चलता रहा। बारिश ने जांजगीर से चांपा सहित पूरे जिले की सड़कों का कचूमर निकाल दिया है। उपर से जांजगीर और चांपा से होकर नेशनल हाईवे क्रमांक 49 भी गुजरा है, जिसके चलते भारी व ओवरलोड वाहनों की आवाजाही चौबीस घंटे लगातार होती है। बारिश में जिले की जनता जहां खस्ताहाल सड़क और गडढ़ों से परेशान थी, तो वहीं बारिश थमने के बाद जर्जर सड़क पर डाले गए राखड़ और डस्ट से लोग बेहद परेशान है। क्योंकि भारी वाहनों की लगातार आवाजाही से लगातार धूल के गुबार उठ रहे हैं, जो लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल रहा है। हालांकि कलेक्टर जितेन्द्र शुक्ला जिले की सड़कों को लेकर चिंतित है और उन्होंने जांजगीर से चांपा तक सड़क बनाने का भी हवाला दिया है, लेकिन इस कार्य को प्रारंभ होने के लिए अभी करीब दो से तीन माह का समय लग सकता है। इस बीच लोग धूल के गुबार से बेहद परेशान है।

इसे भी पढ़ें  धान के साथ-साथ अरहर की खेती

इसी समस्या को लेकर चांपा की जनता मनीष सेन और गनपत शर्मा ने प्रशासन से पत्राचार किया था, लेकिन प्रशासन ने अन्य आवेदनों की तरह इसे भी हल्के में लिया। मसलन, मनीष सेन ओर गनपत शर्मा ने गांधी जयंती 2 अक्टूबर को अनशन शुरू कर दिया, फिर भी प्रशासन हीलाहवाला करता रहा। लेकिन इन युवाओं ने ठान लिया था कि जब तक मांग पूरी नहीं हो जाती वो किसी भी हद तक जा सकते हैं। लेकिन इस पहल से लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया। 3 अक्टूबर को इन दोनों युवाओं ने आमरण अनशन किया और आज चक्काजाम की चेतावनी दी थी। लेकिन प्रशासन ने परवाह नहीं किया। मसलन, आज सुबह 10 बजे से सैकड़ों की संख्या में जनता की भीड़ बेरियर के पास जमा हो गई। इससे प्रशासन भी सकते में आ गया।

इस बीच एसडीएम, तहसीलदार, सीएमओ, टीआई सहित आला अधिकारी मौके पर आकर समझाइश देते रहे, लेकिन जनता अपनी मांग पर अड़ी रही। करीब डेढ़ घंटे मान मनौव्वल के बाद प्रशासन टूट ही गया और तत्काल जांजगीर से चांपा तक की खराब सड़क का तत्काल मरम्मत और 12 अक्टूबर से इन जगहों को धूलमुक्त बनाने के आश्वासन के बाद ही चक्काजाम समाप्त हुआ। अब तक हुए चक्काजाम में पहली बार अलग नजारा देखने को मिला। चक्काजाम के दौरान कुछ बीमार और जरूरतमंद लोग भी फंस गए थे, जिसकी खबर लगते ही आंदोलनकारी जनता ने ऐसे एंबुलेंस व आटो वाहन को जाम के बीच से निकालने की सुविधा दी। आंदोलन के दौरान जनता की इस पहल की सभी ने खूब सराहना की, क्योंकि जब कोई आंदोलन किसी राजनीतिक या संगठन से न होकर सिर्फ जनता का आंदोलन हो तो जनता के दर्द को समझना स्वभाविक हो जाता है। इस घटना से आंदोलनकारियों ने यह साबित कर दिखाया।

इसे भी पढ़ें  आदिवासी समाज: संस्कृति, परंपरा को संरक्षित करते विकास मार्ग पर आगे बढ़ें

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *