दुर्ग, छत्तीसगढ़: धर्म नगरी दुर्ग के गंजपारा में स्थित श्री बाबा रामदेव मंदिर के स्वर्ण जयंती महोत्सव में ‘लोक देवता बाबा रामदेव लीलामृत कथा’ का आयोजन किया जा रहा है। इस कथा में बाबा रामदेव जी के जीवन की अनुपम कहानी सुनाई जा रही है। आज पांचवें दिन बाबा रामदेव जी के जन्मोत्सव पर प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित श्याम देव शास्त्री जी ने भक्तों को बाबा के जीवन से जुड़े अद्भुत किस्सों से रूबरू कराया।
बाबा रामदेव जी का जन्म: शास्त्री जी ने बताया कि बाबा का जब जन्म हुआ तो “उफनता दूध थम गया, पवन की ठंडी ठंडी तेज हवाएं चलने लगी, पशु, पेड़ पौधे, जीव जंतु, आकाश पाताल में एक उमंग का माहौल” था। इस जादुई नज़ारे को देखकर भक्तों के चेहरे खुशी से खिल उठे और पांडाल जयकारों से गूंज उठा।
धर्म की भूमि दुर्ग: शास्त्री जी ने कहा कि “धन्य है ये धर्म की भूमि दुर्ग जिसे भारत वर्ष के लोग नमन वंदन करते हैं।” उन्होंने बाबा रामदेव जी की नित्य सेवा और आरती करने से होने वाले लाभ के बारे में भी बताया।
बाबा रामदेव की बाल लीला: कथा वाचक ने बाबा रामदेव जी की बाल लीलाओं पर प्रवचन दिए। जैसे उफनते हुए दूध को रोकना, निसंतान के संतान सुख, कपड़े के घुडलिए में प्राण फूंककर आकाश में उड़ाना आदि।
कलाकारों ने दी जीवंत झांकी: बाबा रामदेव जी के जीवन आधारित झांकी के लिए कलकत्ता के प्रसिद्ध कलाकारों का सहयोग लिया गया है। कलाकारों ने बाबा का बचपन, भेदभाव मिटाने के संदेश, भैरव राक्षस का वध, बाबा द्वारा दिए गए विभिन्न परचे आदि का बेहतरीन तरीके से अभिनय किया।
भक्तों का उत्साह: कलाकारों की जीवंत झांकी देखकर भक्तगण झूम उठे और देर रात्र तक झूमते, गाते रहे। प्रतिदिन की कथा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है।
समिति का योगदान: अलग अलग समाज के पदाधिकारी एवं धार्मिक सामाजिक संगठनों द्वारा बाबा रामदेव जी की महाआरती एवं अभिषेक किया जा रहा है।